कुमार सानू के बेटे के लिए मेडिटेशन की तरह है रियाज़

आजकल फिल्म इंडस्ट्री में कई सॉन्ग्स को रिक्रिएट किया जा रहा है. पूराने सॉन्ग को नए तरीके से पेश किया जाता है. यह अब ट्रेंड बन गया है. लेकिन किसी भी सॉन्ग को रिक्रिएट करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अोरिजिनल सॉन्ग का सोल कही गुम न हो जाए.यह कहना है मशहूर गायक कुमार सानू के बेटे जान का जो खुद म्यूजिक इंडस्ट्री में एंट्री कर चुके हैं अच्छा कार्य कर रहे हैं. कुमार जान ने अपने पिता कुमार सानू द्वारा गाया गीत ”दिल मेरा चुराया क्यों” को रिक्रिएट किया है. जान ने मीडिया रिपोर्टर से संगीत को लेकर एक्सक्लूसिव वार्ता की.

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मेलोडी है पसंद

जान कहते हैं, मैं आरंभ से मेलोडी पर ही फोकस कर रहा हूं. इसकी वजह यह है कि, मेलोडी के साथ ज्यादा अच्छे से एक्सप्रेस किया जा सकता है. 90 का दशक मैजिकल था जिसमें ज्यादातर मेलोडी गीत बने थे. आज भी बन रहे हैं, लेकिन 90 के दशक की बात अलग थी. मुझे वैसा ही कुछ करना है.मेरे पिता कुमार सानू को मेलोडी किंग बोला जाता है तो उस विरासत को आगे ले जाना है.

तीन वर्ष की आयु में पहली बार गाया

जान बचपन के समय को याद करते हुए कहते हैं, मैं तीन वर्ष की आयु का था लेकिन बोल नहीं पाता था. पर एक बार घर के पास मंदिर में गणेश पांडाल में गणेश जी की आरती हो रही थी. आरती को सुनकर मैंने जय गणेश जय गणेश गाया तो मेरी मां चौंक गईं. यहीं से गायकी की आरंभ हुई  माता-पिता को लगा कि मुझे संगीत में दिलचस्पी है. आगे जान बताते हैं, मेरे बड़े भाई को संगीत सिखाने के लिए एक टीचर आते थे. लेकिन भाई ने तो नहीं बल्कि मैंने पूरा संगीत सीखा.

संगीत से रहा है परिवार का गहरा नाता

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जान बताते हैं कि सिर्फ पिता ही नहीं बल्कि मां के परिवार से भी संगीत में बहुत ज्यादा दिलचस्पी रही है. मेरी नानी मेरी पहली म्यूजिक टीचर हैं. मेरी मौसी भी अच्छी गायिका हैं जिन्होंने 9 वर्ष की आयु में मोहम्मद रफी साहब के साथ कार्य किया. कुमार जान कहते हैं कि, कई बार इस कारण से घर में मन मुटाव इस बात को लेकर हो जाता है कि किशोर कुमार अच्छे गायक थे या फिर मोहम्मद रफी.चूंकि, कुछ सदस्यों को किशोर दा पसंद हैं तो किसी को रफी साहब.

जान बताते हैं कि, पहली बार पापा ने मेरे द्वारा रिक्रिएट किया गया वर्जन कार में सुना था. उस समय वे पांच मिनिट तक चुप रहे थे  कुछ नहीं बोले थे. यह देखकर मैं भय गया था कि कहीं मैंने बहुत बड़ी गल्ती तो नहीं कर दी है. लेकिन पापा ने मुझसे पूछा कि यह तुमने खुद लिखा  कंपोज किया है, तो मेरा जवाब था हां. इसके बाद उन्होंने बोला कि, अब ये मेरा नहीं बल्कि तुम्हारा गीत है.इसके बाद मुझे खुशी हुई.

एेसे किया रिक्रिएशन

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जान कहते हैं कि, मैंने पापा का सॉन्ग ”दिल मेरा चुराया क्यों” को इसलिए रिक्रिएट करने के लिए चुना है क्योंकि यह पापा के बेस्ट सॉन्ग्स में से एक है पर इसे ज्यादा एप्रिशिएशन नहीं मिला  ज्यादा लोग नहीं जानते. कॉलेज में एक दिन फ्रैंड के साथ बैठकर इस सॉन्ग को रिक्रिएट करने का सोचा.इसके बाद सोचना प्रारम्भ किया तो लगभग दो घंटे बाद लिरिक्स समझ आए  इसके धुन बनाते चले गए. पता चला कि गाना तैयार हो गया. इसलिए इसे रिकॉर्ड कर लिया.

एक्टिंग नहीं करूंगा

एक्टिंग करने के सवाल का जवाब देते हुए जान कहते हैं कि, मैं एक्टिंग में करियर नहीं बनाना चाहता. सिंगिंग मुझे बहुत अच्छा लगता है. मेरे लिए इससे अच्छा कुछ नहीं है.

रियाज़ है मेडिटेशन

जान कहते हैं कि, संगीत  अच्छी गायकी के लिए रियाज़ बहुत महत्वपूर्ण है. एक किस्सा सुनाते हुए जान कहते हैं कि, मैं बचपन में रियाज़ दे दूर भागता था लेकिन गायक भी बनना था. उस समय बचपन में मार भी खाई है. लेकिन अब उल्टा हो गया है कि, मेरे लिए रियाज़ मेडिटेशन की तरह है.इसके बिना कुछ नहीं है. एक दिन में लगभग तीन घंटे जरूर रियाज़ करता हूं. अगर कहीं बाहर हूं तो मोबाइल में म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट की एप्प है जिसकी मदद से रियाज़ हो जाती है.

 

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