केंद्र सरकार के रेड सिग्नल के बाद दलाई लामा का कार्यक्रम दिल्ली से धर्मशाला शिफ्ट

नई दिल्ली। तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के निर्वासन की 60वीं जयंती के समारोहों को सरकार के निर्देश पर रद्द किए जाने की रिपोर्टों के बीच तिब्बत की निर्वासित सरकार ने अपने कार्यक्रमों में बदलाव किया है. दिल्ली में होने वाले ऐसे ही एक कार्यक्रम को जहां रद्द कर दिया गया है वहीं एक और कार्यक्रम को दिल्ली से धर्मशाला शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है.

‘थैंक यू इंडिया’ नाम से होने वाले कार्यक्रम को दिल्ली से धर्मशाला शिफ्ट किया गया है. सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (सीटीए) के अधिकारियों का कहना है कि कार्यक्रम को शिफ्ट करने के लिए अखबार में आई उस रिपोर्ट से पहले ही सोचा जा रहा था जिसमें कैबिनेट सचिव के दिशानिर्देश का हवाला दिया गया.

सीटीए के प्रवक्ता सोनाम दागपो ने कहा, ‘हमारा दिल्ली में बड़ा कार्यक्रम था जहां परम पावन दलाई लामा को भी हमने आमंत्रित किया था. अब इस कार्यक्रम को हमने धर्मशाला शिफ्ट कर दिया गया है.’

प्रवक्ता ने कहा, ‘थैंक यू इंडिया’ के लिए हमारी एक आयोजन समिति है. हम आयोजन स्थल पर चर्चा कर रहे थे. हम इसे  दिल्ली से धर्मशाला शिफ्ट करने की सोच रहे थे. तभी हमने एक लेख को देखा जो विदेश सचिव की ओर से कैबिनेट सचिव को भेजे नोट के संदर्भ में था.’

निर्वासन के बाद दलाई लामा के भारत आने की 60वीं जयंती के दो मुख्य कार्यक्रमों में प्रार्थना सभा भी शामिल थी जो 31 मार्च को राजघाट पर होनी थी. दूसरा कार्यक्रम ‘थैंक यू इंडिया’ 1 अप्रैल को त्यागराज स्टेडियम में होना था.

सीएटी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक दोनों कार्यक्रमों को लेकर अभी तक पुष्टि नहीं हुई है क्योंकि अभी तक अतिथियों को न्योते नहीं भेजे गए हैं. सूत्रों के मुताबिक राजघाट और त्यागराज स्टेडियम में होने वाले कार्यक्रमों की अतिथियों की सूची में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू के भी नाम शामिल थे.

केंद्र सरकार के दिशानिर्देश को लेकर सीएटी प्रवक्ता सोनाम दागपो ने कहा, ‘हमारी कोई प्रतिक्रिया नहीं है. हम भारत सरकार और इस देश के लोगों का सम्मान करते हैं. इस कार्यक्रम को करने का मूल उद्देश्य भारत के प्रति अपनी कृतज्ञता जताना था. हम विनम्रता से मानते हैं कि हम पिछले 60 साल से भारत में हैं सिर्फ भारत सरकार और यहां के लोगों के समर्थन की वजह से.’

बता दें कि अप्रैल 2017 में दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के बाद से ही चीन और भारत के बीच रिश्तों पर दबाव महसूस किया जा रहा है. भारत को डोकलाम ट्राइजंक्शन में बढ़ी गतिविधियों और तनाव का सामना करना पड़ा था.

इस साल 22 फरवरी को विदेश सचिव विजय केशव गोखले की ओर से कैबिनेट सचिव प्रदीप कुमार सिन्हा को भेजी चिट्ठी में कहा गया कि ‘सरकारी पदाधिकारियों’ और ‘उच्च नेतृत्व’ को दलाई लामा के कार्यक्रमों से अलग रहने का निर्देश देने का फैसला चीन की संवेदनशीलता को देखते हुए लिया गया.

सीटीए की सूचना और अंतर्राष्ट्रीय संबंध सचिव डारडॉन शारलिंग ने कहा कि तिब्बत की निर्वासित सरकार संवेदनाओं को समझती है. शारलिंग के मुताबिक, ‘ये फैसला ना तो हैरान करने वाला है और ना ही कोई झटका है. ऐसी बातें पहले भी हुई हैं. हमारा ये रुख बरकरार रहेगा कि भारत के हम बहुत ऋणी हैं. और ये हमारा भी कर्तव्य बनता है कि भारत के हितों की रक्षा करें.’

वहीं सीएटी प्रवक्ता सोनाम दागपो ने कहा, भारत और चीन के बीच बेहतर रिश्ते होने से तिब्बत मुद्दे का समाधान ढूंढने में भी मदद मिल सकती है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक विदेश सचिव गोखले ने 22 फरवरी को कैबिनेट सचिव सिन्हा को भेजे नोट में लिखा था, ‘हम समझते हैं कि इसमें नई दिल्ली के त्यागराज स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में 1 अप्रैल को आयोजित होने वाला बड़ा पब्लिक इवेंट ‘थैंक यू इंडिया’ भी शामिल है.

प्रस्तावित समय चीन से भारत के रिश्तों को लेकर बहुत संवेदनशील है. वरिष्ठ नेताओं, केंद्र सरकार या राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों का इसमें हिस्सा लेना वांछित नहीं है और इसे हतोत्साहित किया जाना चाहिए.’

तिब्बत की निर्वासित सरकार ने भारत सरकार से कोई सूचना  मिलने या विदेश सचिव के नोट की प्रामणिकता के बारे में पुष्टि नहीं की.

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा था कि दलाई लामा को लेकर भारत की स्थिति ‘साफ’ और ‘सतत’ है. इस स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. हिज होलीनेस (दलाई लामा) को भारत में अपनी धार्मिक गतिविधियां करने के लिए पूरी स्वतंत्रता हासिल है.

 

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