केरल बाढ़: घरों की ओर लौट रहे हैं लोग, कांग्रेस की मांग- विदेशी मदद स्वीकार करे मोदी सरकार

नई दिल्ली। केरल में बाढ़ का पानी कम होने के बाद लोग धीरे-धीरे अपने घरों की और लौटने लगे हैं. बर्बाद हो चुके घरों को ठीक करने में जुटे हैं. सूबे के 14 जिलों में करीब 13 लाख लोग राहत शिविरों में शरण लिये हुए हैं. इन लोगों को 3,000 से अधिक राहत शिविरों में रखा गया है. वहीं सूबे में विदेशी सहायता को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है. केरल के राजनीतिक दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार से प्रदेश में राहत कार्य के लिए विदेशी सहायत स्वीकार करने पर दोबारा विचार करने को कहा है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बातचीत करेंगे. आज मुख्यमंत्री राहत शिविरों का दौरा करेंगे.

केंद्र की मोदी सरकार ने केरल बाढ़ के लिए विदेशी सहायता स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. इस फैसले पर सत्तारूढ़ मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी दल कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की है. पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा कि विदेशी दान स्वीकार करने के लिए नियमों में परिवर्तन किया जाना चाहिए.

केंद्र द्वारा विदेशी मदद स्वीकार करने से मना करने की रिपोर्ट के बाद यह मसला गंभीर हो गया है क्योंकि पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने ही राष्ट्रीय आपदाओं से निपटने में देश को सक्षम बताते हुए विदेशी सहायता नहीं लेने का फैसला लिया था और मौजूदा सरकार भी उस रुख पर कायम है. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बाढ़ प्रभावित केरल में राहत कार्य के लिए मंगलवार को 10 करोड़ डॉलर (तकरीबन 700 करोड़ रुपये) की मदद की पेशकश की. मालूम हो कि यूएई में केरल के प्रवासी बहुतायत में हैं.

उधर, नई दिल्ली में थाइलैंड के राजदूत ने केरल में बाढ़ राहत कार्य के लिए भारत द्वारा विदेशी मदद स्वीकार नहीं करने की बात ट्वीट के माध्यम से कही. चुटिंनटोर्न सैम गोंगस्कडी ने कहा, “अनौपचारिक रूप से यह बताते हुए खेद है कि केरल में बाढ़ राहत के लिए विदेशी मदद स्वीकार नहीं की जा रही है. हमारे दिल में आपके लिए सहानुभूति है, भारत के लोग!” बताया जाता है कि मालदीव और कतर ने भी राज्य को मदद की पेशकश की है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा नीति 2016 के अनुसार, विदेशी निधि स्वीकार की जा सकती है, इसलिए इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. विजयन ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “मेरा मानना है कि यूएई ने खुद सहायता का प्रस्ताव दिया है. यूएई को किसी अन्य राष्ट्र के रूप में नहीं समझा जा सकता है, जैसाकि उनके शासकों ने रेखांकित किया है.”

उन्होंने कहा, “भारतीय, खासतौर से केरल के लोगों का उनके राष्ट्र निर्माण में काफी योगदान है.” केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक कहा कि वह केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की वित्तीय सहायता पर रोक लगाने को लेकर अचंभे में हैं जबकि सरकार ने खुद अभी तक केवल 600 करोड़ रुपये की ही सहायता दी है.

इसाक ने कहा, “हमने दो हजार करोड़ रुपये मांगे थे. उन्होंने (केंद्र) हमें केवल 600 करोड़ रुपये ही दिए. मुझे नहीं पता कि वे क्यों अन्य सरकारों की मदद को नकार रहे हैं.” पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने भी केंद्र द्वारा कथित तौर पर यूएई की मदद अस्वीकार करने पर हैरानी जाहिर की.

चांडी ने मोदी को एक पत्र लिखकर कहा, “मुझे खेद है कि भारत सरकार द्वारा घोषित वित्तीय सहायता निराशाजनक है क्योंकि संकट काफी जटिल है.” उन्होंने कहा कि केरल को संकट से उबरने के लिए समुचित मदद की आवश्यकता है. उन्होंने मोदी से आग्रह किया कि विदेशी मदद की राह में जो बाधाएं हैं उसे दूर किया जाना चाहिए.

 

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