कैंसर के ट्रीटमेंट में अच्छा होगी यह दवा, वैज्ञानिकों ने किया दावा

वाशिंगटन : वैज्ञानिक एक दवा का परीक्षण कर रहे हैं, जो स्तन  फेंफड़े के कैंसर पैदा करने वाले जीन के विकास एवं कैंसर को फैलने से रोक सकता है इस जीन का ताल्लुक मोटापे से है अमेरिका के मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने दिखाया है कि किस प्रकार आई- बीईटी-762 नाम की दवा स्तन  फेंफड़े के कैंसर को फैलने से रोकने में मददगार है इससे कैंसर कारक ज़िंदगी सी- मीक की कार्यप्रणाली का भी पता चलता है मिशिगन में सहायक प्रोफेसर कारेन लिबी ने बताया, ‘आई- बीईटी-762 डीएनए को निशाना बनाकर कार्य करता है ताकि ये जीन आगे नहीं बढ़ पाए ‘ इस अध्ययन का प्रकाशन ‘कैंसर प्रिवेंशन रिसर्च’ जर्नल में किया गया है

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इससे पहले कैंसर के उपचार में ‘रोबोटिक क्रायोसर्जरी’ का भी नाम सामने आया इस सर्जरी के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध चाइना का जिनान यूनिवर्सिटी स्‍कूल ऑफ मेडिसिन, फूडा कैंसर अस्‍पताल द्वारा दिल्‍ली में मरीजों के लिए मुफ्त परामर्श किया गया था दर्दनाक कीमोथेरेपी के बिना क्रायोसर्जरी, नैनो नाइफ थेरेपी के माध्‍यम से कैंसर के मरीजों का उपचार करता है ‘रोबोटिक क्रायोसर्जरी’ कैंसर जैसी भीषण बीमारी से छुटकारा पाने की एक नयी  बेहतर तकनीक है

क्रायोसर्जरी एक ऐसी आधुनिक तकनीक है, जिसमें कैंसर का उपचार कीमोथेरपी, रेडियोथेरपी या बॉडी को खोलकर की जाने वाली सर्जरियों के बिना किया जाता है दरअसल में यह एक रोबोटिक सर्जरी का उपाय है, जो अमेरिका की स्पेस कूलिंग तकनीक पर कार्य करती है इसमें आईस बॉल पद्धति के माध्यम से कैंसर की कोशिकाओं को पूरी तरह समाप्त किया जाता है इस पद्धति में कैंसर की कोशिकाओं को -160 डिग्री तापमान पर लेजाकर पूरी तरह समाप्त किया जाता है

क्रायोसर्जरी की सबसे अच्छी बात है कि इसके द्वारा मरीज को किसी तरह का दर्द या पीड़ा का अहसास नहीं होता साथ ही इस रोबोटिक सर्जरी के लिए बॉडी में चीर-फाड़ करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती

 

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