क्या महिलाओं के लिए दुनिया में सबसे बुरा है भारत? जानें रिपोर्ट की सच्चाई

नई दिल्ली। लंदन की एजेंसी ‘थॉम्सन रॉयटर्स फाउंडेशन’ की रिसर्च में भारत को दुनिया में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताया गया है. इस रिपोर्ट के आने के बाद से ही देश में बहस शुरू हो गई है कि क्या सच में ऐसा है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए मोदी सरकार को निशाने पर लिया है, तो वहीं सरकार की ओर से ऐसी किसी रिपोर्ट को खारिज किया गया है. इस लिस्ट में भारत को अफगानिस्तान, पाकिस्तान से भी बदतर हालत में बताया गया है. लेकिन क्या ये रिपोर्ट विश्वसनीय है और क्या भारत सच में महिलाओं के लिए असुरक्षित है.

कितने लोगों से पूछा गया सवाल?

थॉम्सन रॉयटर्स के अनुसार ही इस सर्वे के लिए सिर्फ 548 लोगों से सवाल जवाब किए गए और उसी आधार पर रिपोर्ट को तैयार किया गया है. इन लोगों से सवाल किया गया कि आपके अनुसार दुनिया के वो पांच देश कौन-से हैं. ये 548 लोग संयुक्त राष्ट्र के सदस्य 193 देशों से थे. इन सभी से फोन पर और आमने-सामने सवाल हुए और 26 मार्च से 4 मई के बीच सवाल पूछे गए.

इन मुद्दों पर पूछा गया सवाल…

#हेल्थकेयर

#भेदभाव

#इकॉनोमिक रिसॉर्स

#कल्चरल और ट्रेडिशनल प्रैक्टिस

#यौन अपराध और हिंसा

#मानव तस्करी

इस सर्वे में भारत को ह्यूमन ट्रैफिकिंग, सेक्स स्लेवरी और घरेलू कामकाज के आधार पर सबसे खराब आंका गया है.

कैसे हुआ पूरा सर्वे?

अभी तक इस रिपोर्ट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं आई थी, इंडिया टुडे ने थॉम्सन रॉयटर्स फाउंडेशन की एडिटर-इन-चीफ Belinda Goldsmith से बात की. रॉयटर्स की तरफ से इन देशों की लिस्ट तैयार करने वाले एक्सपर्टों के नाम बताने से मना कर दिया. उन्होंने बताया कि जिन लोगों से सवाल पूछा गया है उनमें से करीब 100 लोग भारत के थे.

बेलिंदा के अनुसार, इस सर्वे को किसी डेटा के अनुसार नहीं किया गया है बल्कि लोग उस देश के बारे में क्या सोचते हैं उसके आधार पर किया गया है. जब उनसे पूछा गया कि क्या किसी के परसेप्शन के आधार पर किसी देश को असुरक्षित बताया जा सकता है, तो उन्होंने कहा कि लोगों के विचारों के अलावा इसमें WHO, UNO की रिपोर्ट को भी आधार बनाया गया है.

भारत के लोगों की क्या है राय?

भारत में जिन लोगों से पूछा गया था उनमें से एक कर्नाटक के लेबर वेलफेयर बोर्ड के ज्वाइंट लेबर कमिश्नर मंजूनाथ गंगाधारा भी थे. उन्होंने कहा कि लेकिन वह इस आधार रिपोर्ट मानने को तैयार नहीं हैं कि सिर्फ विचारों के आधार पर इसे तैयार किया गया हो.

एजेंसी के अनुसार, मादा जननांग विकृति (Female genital mutilation) को सर्वे का एक पैरामीटर माना गया, जिसमें भारत काफी पिछड़ा हुआ था. लेकिन इसी से उलट WHO की रिपोर्ट में भारत का नाम उन टॉप 29 देशों में कहीं नहीं है जहां पर ये प्रचलित है.

पूरी तरह से अलग थी UN की रिपोर्ट

इस एजेंसी की रिपोर्ट में भले ही भारत को कोंगो, सीरिया और अमेरिका से पीछे रखा गया हो. लेकिन यूएन की 2015 में आई रिपोर्ट कुछ और ही कहती है. जिसमें ये कहा गया था कि 15 से 49 की उम्र के बीच की महिलाएं जो कि सेक्सुएल वायलेंस का शिकार हुई हैं वो कभी ना कभी भारत में रही हैं. लेकिन ये आंकड़ा सिर्फ 10 फीसदी ही था जबकि कई देशों में ये आंकड़ा 20-30 फीसदी भी था.

 

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