गंगा नदी का पानी पैमाने पर नही उतरा खरा, यमुना हुई निर्मल

कोरोना वायरस महामारी के दौरान लागू लॉकडाउन के चलते भले ही औद्योगिक गतिविधियां ठप रहीं। लेकिन इस दौरान भी पवित्र गंगा नदी( Gangas river ) के पानी में सुधार होने के बजाय गंदगी की मात्रा बढ़ती ही चली गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central pollution control board) ने बुधवार को अपने 46वें स्थापना दिवस पर जारी रिपोर्ट में यह दावा किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चार अन्य नदियों व्यास, चंबल, सतलुज और स्वर्णरेखा का पानी भी इस दौरान मानक पर खरा नहीं उतरा है, जबकि यमुना नदी का पानी पहले से साफ होने की बात जांच में सामने आई।

प्राथमिक जल गुणवत्ता मानक को भी पास नहीं कर पाया है

सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट ‘असेसमेंट ऑफ इंपेक्ट ऑफ लॉकडाउन ऑन वाटर क्वालिटी ऑफ मेजर रिवर्स’ में कहा है कि इन नदियों का पानी इतना खराब पाया गया है कि बाहर नहाने के लिए तय प्राथमिक जल गुणवत्ता मानक को भी पास नहीं कर पाया है।

सीबीसीबी ने इसके लिए लॉकडाउन के दौरान नदियों से जुड़े शहरों से बिना ट्रीटमेंट किए ज्यादा सीवेज बहाए जाने और ड्राई सीजन के कारण उनके उद्गम स्थलों से कम मात्रा में ताजा पानी का डिस्चार्ज होने को कारण के तौर पर गिनवाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 20 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की निगरानी के दायरे में रखी गई 19 में से 7 नदियों के पानी की गुणवत्ता में लॉकडाउन के दौरान सुधार देखा गया।

पर्यावरण संरक्षण कानून-1986 के तहत तय किए गए…

सीपीसीबी के मुताबिक, नदियों की गुणवत्ता का विश्लेषण उनके पानी में पीएच वैल्यू, घुली हुई ऑक्सीजन (डीओ), बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), फीकल कोलिफार्म (एफसी) आदि मानकों के आधार पर किया गया। इसके बाद मिले परिणाम की तुलना पर्यावरण संरक्षण कानून-1986 के तहत तय किए गए खुले में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानक से की गई थी।

इस मानक पर चार नदियों बैतरणी, महानदी, नर्मदा और पेन्नार को 100 फीसदी खरा पाया गया, जबकि घग्गर नदी का पानी बेहद खराब गुणवत्ता का मिला। साबरमती और माही नदी के पानी में लॉकडाउन से पहले और बाद में कोई अंतर नहीं पाया गया, जबकि ब्राह्मणी, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, गोदावरी, कृष्णा, तापी और यमुना नदी के पानी में सुधार देखा गया।

365 जगह के सैंपल लेकर की गई जांच

रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन से पहले 387 निगरानी स्थल से सैंपल लिए गए थे, जिनमें से 77.26 मानक पर खरे उतरे थे। लॉकडाउन के दौरान उन्हीं जगह पर 365 सैंपल लिए गए, जिनमें से 75.89 फीसदी ही मानक मुताबिक पाए गए। सीपीसीबी का कहना है कि इससे लॉकडाउन के दौरान नदियों के पानी में सुधार नहीं होने पुष्टि होती है।

इन 19 नदियों पर आधारित है रिपोर्ट

गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा, व्यास, ब्रह्मपुत्र, बैतरणी, ब्राह्मणी, कावेरी, चंबल, घग्गर, महानदी, माही, पेन्नार, साबरमती, सतलुज, स्वर्णरेखा और तापी।

ऐसी रही छह नदियों की गंदगी (जल गुणवत्ता प्रतिशत में)
नदी पहले अब
गंगा 64.6 46.2
व्यास 100 95.45
चंबल 75 46.15
सतलुज 87.1 78.3
स्वर्णरेखा 80 53.33
यमुना 42.8 66.67
साबरमती 55.6 55.6
माही 92.9 92.9
ब्राह्मणी 85 100
ब्रह्मपुत्र 87.5 100
कावेरी 90.5 96.7
गोदावरी 65.8 78.4
कृष्णा 84.6 94.4
तापी 77.8 87.5

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button