गंगा सफाई के दावों की खुली पोल, और जहरीला हो रहा है पानी

पटना। केंद्र की मोदी सरकार नमामि गंगा योजना के नाम पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है, गंगा की अविरलता वापस लाने के लिए सरकार ने इसके लिए अलग मंत्रालय तक बना डाला लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी क्या गंगा की हालत में सुधार आया है? तो इसका उत्तर एक शब्द में है ‘नहीं’. बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ही रिपोर्ट पर नजर डालें तो बिहार में गंगा की हालत दिन व दिन खराब होती जा रही है. गंगा में हानिकारक कीटाणुओं की संख्या इतने खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है कि जिस गंगा को आप पवित्र मानते हैं उसके पानी से आपको चर्मरोग हो सकता है. गोमुख से निकलकर गंगा कुल 2525 किलोमीटर का सफर तय करती है जिसमें से 445 किलोमीटर का हिस्सा बिहार में पड़ता है.

बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ने बक्सर से लेकर भागलपुर तक में कुल 31 जगहों पर गंगा की गुणवत्ता की जांच की गई है और जांच में टोटल कॉलिफोर्म और फीकल कॉलिफोर्म का स्तर औसत से कई गुना ज़्यादा पाया गया है. टोटल कॉलिफोर्म का औसत स्तर 5000 MPN/100ml होना चाहिए जबकि फीकल कॉलिफोर्म का एवरेज लेवल 500 MPN/100ml से ज्यादा नहीं होना चाहिए लेकिन बक्सर से लेकर भागलपुर तक दोनों ही मानकों का स्तर औसत से कहीं ज्यादा पाया गया.

गंगा प्रदूषण की बड़ी वजह क्या है?

गंगा प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार बिना किसी रोकथाम गंगा में गिरता सीवर का पानी है. बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एनलिस्ट एस एन जायसवाल के मुताबिक, अकेले बिहार में करीब 730 मिलियन लीटर सीवर का पानी साफ किए बिना गंगा में गिराया जा रहा है. बक्सर से लेकर भागलपुर तक 42 से ज्यादा ऐसे बड़े नाले हैं जिनसे हर दिन लाखों लीटर सीवर का पानी गंगा में गिराया जा रहा है जिससे गंगा जहरीली होती जा रही है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीते 10 मई को ये दावा किया था कि देश के 10 शहर गंगा को 70 प्रतिशत तक गंदा करते हैं जिनमें बिहार के दो शहर पटना और भागलपुर शामिल हैं. नितिन गडकरी का ये भी दावा है कि जो 70 शहर गंगा को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार हैं. उनमें बिहार के कुल 32 शहर शामिल हैं और गडकरी कि इन बातों को बल बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इस रिपोर्ट से मिलता है.

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की हालत बदतर

सरकार बिहार में पटना समेत कुछ शहरों में नमामि गंगे योजना के अंतर्गत 3200 करोड़ की लागत से 11 योजनाओं पर काम कर रही है. जिनमें पटना के बेऊर, कर्मलीचक, सैदपुर और पहाड़ी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का विस्तारीकरण और पटना के ही कंकड़बाग, दीघा समेत हाजीपुर, मुंगेर और बेगूसराय में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और सीवरेज नेटवर्क शुरू करना है. पटना हर रोज 350 मिलियन लीटर सीवर का पानी गंगा में गिरा रहा है लेकिन सरकार का दावा है कि पटना में इस वक्त 4 सीवर ट्रीटमेंट प्लांट सैदपुर, बेऊर, पहाड़ी और कर्मलीचक में चालू अवस्था में हैं जिनसे अधिकतम 109 मिलियन लीटर सीवरेज का ट्रीटमेंट किया जा सकता है.

एबीपी न्यूज़ की टीम जब पहाड़ी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पहुंची तो प्लांट के हालात बदतर दिखे. प्लांट के अंदर पहुंचते ही शिलान्यास पट दिखाई दिया. जिसके मुताबिक इस ट्रीटमेंट प्लांट के विस्तारीकरण का शिलान्यास 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी ने मोतिहारी से किया था. विस्तारीकरण का काम शिलान्यास के दो महीने बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है.

प्लांट के हालात पर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी से पूछा गया तो उन्होंने हमारी ग्राउंड रिपोर्ट को ही नकार दिया. सुशील मोदी ने बिना ठोस जानकारी के कहा कि हम जिस ट्रीटमेंट प्लांट गए थे वो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं था. हालांकि वहां के स्टाफ से हुई बातचीत और वहां मौजूद शिलान्यास पट ये साबित करने के लिए काफी थे कि सुशील मोदी के दावे सिर्फ गोल-मोल घुमाने वाले थे.

 

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