चीन और अमेरिका व्यापार युद्ध में फिर आमने-सामने, जानें चीन ने क्या उठाए कदम

बीजिंग। चीन ने अमेरिका के साथ अगले सप्ताह होने वाली व्यापार वार्ता रद्द कर दी है और अपने उप प्रधानमंत्री लियू ही को वार्ता के लिए नहीं भेजने का फैसला किया है. समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जनरल ने यह जानकारी दी है. समाचार पत्र ने सूत्रों के हवाले से कहा कि चीन लियू की योजनाबद्ध यात्रा से पहले अमेरिका में मध्यस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी नहीं भेज रहा है. चीन सरकार ने इस संबंध में अभी तक कोई घोषणा नहीं की है.

चीन और अमेरिका दोनों के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है और दोनों पक्ष एक-दूसरे के अरबों डॉलर के उत्पादों पर आयात शुल्क लगा रहे हैं. इस सप्ताह की शुरुआत में अमेरिका ने चीन के 200 अरब डॉलर के उत्पादों पर 10 फीसदी का अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया और साथ में चीन के 267 अरब डॉलर के सामान पर भी आयात शुल्क लगाने की चेतावनी दी.

अमेरिका के इस रुख पर प्रतिक्रियास्वरूप बीजिंग ने अमेरिका के 60 अरब डॉलर के सामान पर आयात शुल्क लगा दिया. इससे पहले भी दोनों देश एक-दूसरे के 50 अरब डॉलर के उत्पादों पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगा चुके हैं.

US CHINA

दोनों देशों में तकरार जोरदार
अमेरिका द्वारा चीन के 279 उत्पादों पर नया शुल्क लगाया जाएगा, जिसमें रासायनिक उत्पाद, मोटरसाइकिल, स्पीडोमीटर और एंटीना शामिल हैं. वहीं, चीन रासायनिक सामानों और डीजल ईंधन सहित अमेरिकी सामानों पर शुल्क लगाएगा. सीएनएन के मुताबिक, अमेरिका इस साल चीन पर तीसरे दौर का प्रतिबंध भी लगा सकता है.

दोनों देशों के बीच 636 अरब डॉलर का व्यापार
अमेरिका और चीन के बीच 636 अरब डॉलर का व्यापार होता है. इसमें चीन 375 अरब डॉलर के व्यापार अधिशेष की स्थिति में है. हाल में चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी कदम स्पष्ट रूप से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) नियमों का उल्लंघन है. इसका नुकसान हो सकता है. उसने कहा कि वह डब्ल्यूटीओ की विवाद समाधान प्रणाली के तहत मुकदमा करेगा.

भारतीय कंपनी हिंडाल्को को चिंता
भारत की एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने हाल ही में अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध को लेकर चिंता जताई है. कंपनी को आशंका है कि इस व्यापार युद्ध के कारण एल्युमीनियम का आयात बढ़ेगा जिससे घरेलू एल्युमीनियम बाजार को जबरदस्त झटका लगेगा. कंपनी के मुताबिक एल्युमीनियम की कुल घरेलू मांग में से करीब 50 फीसदी की पूर्ति एल्युमीनियम कबाड़ से की जा रही है और इसलिए यह हिंडाल्को के घरेलू कारोबार के लिए एक बड़ी चिंता की बात है.

 

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