चीन की एक और कायराना हरक़त, प्रधानमंत्री समेत कई हस्तियों की करा रहा है जासूसी

a case has been reported by China to spy on ten thousand celebrities ; चीन के साथ लगातार बनी  तनातनी के बाद एक और बड़ा खुलासा हुआ है । एक रिपोर्ट के अनुसार चाइना के द्वारा भारत की दस हजार हस्तियों की जासूसी कराने का मामला सामने आया है।  इन हस्तियों में देश की कई नामी हस्तियां भी शामिल हैं। इन हस्तियों में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री  और राजनाथ सिंह समेत कई हस्तियों के नाम शामिल हैं।

ये हैं वो लोग जिन पर चीन कर रहा है जासूसी 

चाइना जिन लोगों का डाटा इकट्ठा किया हैं उनमे से ये प्रमुख लोग हैं  इसमें पांच पूर्व पीएम और 26 मुख्यमंत्रियों की जासूसी करने का मामला सामने आया था मामले में 350 सांसद और 1350 वीवीआईपी की जासूसी हो रही हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी,CJI शरद बोबडे, CDS बिपिन रावत, सोनिया गांधी, पूर्व PM मनमोहन सिंह,JP नड्डा, राजनाथ सिंह, VK सिंह, स्मृति ईरानी, पीयूष गोयल, शिवराज सिंह चौहान जैसी हस्तियों का नाम शामिल हैं।

मुझे जया जी से ये उम्मीद नहीं थी : भाजापा सांसद रवि किशन

 

सदन में इस मामले की चर्चा 

यह मामला अब संसद तक पहुंच गया है. कांग्रेस के  सांसद एम. टैगौर ने स्थगन प्रस्ताव दिया है कि चीनी जासूसी का जो मामला सामने आया है, वह बहुत गंभीर मामला  है. ऐसे में सदन में इसपर चर्चा की जानी चाहिए.

‘मुझे शर्म आती है कि जिस थाली में खाते हैं उसमें छेद करते हैं’: सपा सांसद जया  बच्चन

इससे पहले  कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस मामले  को उठाने की कोशिश की थी, लेकिन विरोध के कारण उठा नहीं पाए थे. अब कांग्रेस की ओर से स्थगन प्रस्ताव दिया गया है.

मुग़ल म्यूजियम नहीं छत्रपति ‘शिवाजी महाराज म्यूजियम’ कहिए जनाब !

 

जब भारत और चाइना का हुआ था युद्ध 

चीन और भारत के बीच 1962 में हुआ एक युद्ध था। विवादित हिमालय सीमा युद्ध के लिए एक मुख्य बहाना था, लेकिन अन्य मुद्दों ने भी भूमिका निभाई।चीन में 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो भारत चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हो गयी।

भारत ने फॉरवर्ड नीति के तहत मैकमोहन रेखा से लगी सीमा पर अपनी सैनिक चौकियाँ रखी जो 1959 में चीनी प्रीमियर झोउ एनलाई के द्वारा घोषित वास्तविक नियंत्रण रेखा के पूर्वी भाग के उत्तर में थी।

चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये। चीनी सेना दोनों मोर्चे में भारतीय बलों पर उन्नत साबित हुई और पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला एवं पूर्व में तवांग पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी और साथ ही विवादित दो क्षेत्रों में से एक से अपनी वापसी की घोषणा भी की, हलाकिं अक्साई चिन से भारतीय पोस्ट और गश्ती दल हटा दिए गए थे, जो संघर्ष के अंत के बाद प्रत्यक्ष रूप से चीनी नियंत्रण में चला गया।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button