चीन की दोस्ती पाकिस्तानी गैरत को पैरों तले रौंद रही है

नगमा सहर

शॉर्ट्स और जोग्गर्स पहने जीप पर खड़ा एक चीनी इंजीनियर. उसके पैरों के पास पाकिस्तान का झंडा. ये तस्वीर आपने भी इंटरनेट पर देखी होगी. साथ ही इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ, चीनी इंजीनियरों के हाथों पाकिस्तान पुलिस की पिटाई का. पाकिस्तान के पंजाब सूबे के खानेवाल की ये घटना अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर नजर रखने वालों के लिए एक बड़ी कहानी कहती है. ये पाकिस्तान और चीन की सदाबहार दोस्ती की असली तस्वीर है, जिसमें चीन आका है और पाकिस्तान उसका गुलाम. विदेशी सरज़मीं पर सभी कानून की अनदेखी कर चीनियों का ये आक्रामक रवैया दिखता है कि चीन पाकिस्तान को किस हीन भावना से देखता है.

जिस तरह पाकिस्तानी पुलिस वाले पिट रहे हैं उस से साफ है कि पाकिस्तान चीन के साम्राज्यवाद के मंसूबों के आगे झुकता जा रहा है. बहावलपुर फैसलाबाद हाइवे पर हुई ये घटना कई सवाल खड़े करती है. क्या ये CPEC नाम के भूकंप के झटके हैं, जो पाकिस्तान को रह रह कर हिला रहे हैं? क्या इस कीमत पर बनेगा चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर?

‘चीनी पाकिस्तान की तरक्की के लिए आए हैं’

पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री इकबाल अहसन के मुताबिक चीनी पाकिस्तान के मेहमान हैं. वो यहां पाकिस्तान की तरक्की के लिए आए हैं, ये पाकिस्तान के विकास की सबसे बड़ी उम्मीद है जिसकी वजह से दुश्मनों की नींद उड़ गई है. शायद मंत्री जी का ये मतलब है कि इसलिए चीनियों के हाथों पिट जाने पर पाकिस्तान को बुरा नहीं मानना चाहिए.

पिटाई की वजह तो और भी कमाल की है. रेड लाइट इलाके में बिना सिक्योरिटी जाने पर पाकिस्तानी पुलिस ने चीनी इंजीनियरों को रोका. बस यहीं उनका अपमान हो गया और उन्होंने पुलिस की बुरी तरह पिटाई की. पाकिस्तान की मीडिया में जैसे इस घटना को पेश किया उससे साफ था कि ज्यादातर लोग इसे मुल्क की बेइज्जती मान रहे थे. मामला तूल पकड़ने के बाद इन 5 चीनियों को पाकिस्तान से निकाल दिया गया है. जिसमें प्रोजेक्ट मेनेजर Xu भी है.

iqbal ahsan

इकबाल अहसन

वैसे ये पहली घटना नहीं है. इससे पहले 2016 में भी चीनी मजदूर और पाक पुलिस में टकराव हुआ था. ज्यादातर चीनियों को PLA का साथ भी होता है. सितंबर 2017 में पेशावर में चीनी महिलाओं ने एक दुकानदार की जमकर पिटाई की थी. क्या यही चीनी इंजीनियर या महिलाएं किसी दूसरे देश में ये करने की हिम्मत करते? पाकिस्तान को खुद से ये सवाल पूछना है. क्या पाकिस्तान चीन की कॉलोनी बनने की तरफ बढ़ रहा है? ये सवाल मैंने अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी से पूछा.

वो कहते हैं कि ये पाकिस्तान के हित में नहीं है कि वो एक देश पर इतना निर्भर हो. पहले पकिस्तान पूरी तरह अमेरिका पर निर्भर था और अब चीन उसकी जगह ले रहा है. अमेरिका ने पाकिस्तान को मिलिट्री एड दी, आतंक की लड़ाई में साथ देने के लिए आर्थिक मदद दी लेकिन बदले में पाकिस्तान में अपनी मनमानी की. हम सबको याद है CIA अधिकारी रेमंड दाविस का मामला जिस ने दिनदहाड़े लोगों पर गोलियां चलाई और बाद में अमेरिका उन्हें ‘blood money’ देकर ले गया.

नवाज शरीफ ने दी थी दोस्ती की उपमाएं

करीब पांच साल पहले पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने चीन और पाकिस्तान की दोस्ती के कसीदे पढ़े थे. चीन के ग्रेट हॉल आफ द पीपुल में राष्ट्रपति ली केछियांग को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने कहा था कि चीन और पाकिस्तान की दोस्ती हिमालय से ऊंची है, ये रिश्ता सबसे गहरे समंदर से ज्यादा गहरा और शहद से मीठा है. चीन हमारा सदाबहार दोस्त है. इतिहासकार और सामरिक विश्लेषक दोनों ही इस अजीबो-गरीब दोस्ती पर हैरान रहे हैं. दो ऐसे मुल्क जो सामान्य तौर पर दोस्त नहीं होने चाहिए थे, लेकिन देशों के सामरिक और भूराजनीतिक रिश्ते गणित के फॉर्मूले से कब चलते हैं, वो सियासत पर टिके होते हैं.

Pakistan's former PM Nawaz Sharif speaks during a news conference in Islamabad

पाकिस्तान और चीन का साथ उतना ही पुराना है जितना पाकिस्तान का इतिहास. ताईपेई में चीनी गणतंत्र की सरकार से रिश्ता तोड़ कर पाकिस्तान के इस्लामिक गणतंत्र ने कम्युनिस्ट पार्टी को सबसे पहले मान्यता दी. पाकिस्तान के मिलिट्री शासक याहया खान अमेरिकी के राष्ट्रपति निक्सन और माओ की दोस्ती का जरिया बने. अमेरिका और चीन के बीच दोस्ती के दरवाजे खोलने में सहायक रहे. लेकिन आज ये दोस्ती मतलब पर टिकी है. और भारत, इन दोनों का पड़ोसी, इनका साझा दुश्मन भी है.

भारत का प्रतिद्वंदी पाकिस्तान का दोस्त

पाकिस्तान के वजूद से पहले जो भारत से उसका साझा इतिहास है पाकिस्तान उस से अलग अपनी एक पहचान की कोशिश में रहा. हिंदुस्तान का जो मुगल या इस्लामिक इतिहास है, उसे पाकिस्तान ने बड़े शौक से अपना बनाना चाहा. भारत में भी उर्दू जुबां पाकिस्तानी या मुसलमानों की ज़बान बन गई.

पाकिस्तान पर अपनी पहचान की तलाश में अरब की संस्कृति हावी होने लगी क्योंकि सऊदी अरब उसकी मदद करता रहा. पाकिस्तान में कट्टर इस्लाम और वहाबी सोच हावी होती गई जिसे जिया उल हक के वक्त हवा दी गई. अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने अपनी नई किताब ‘रीइमैजिनिंग पाकिस्तान’ में लिखा है कि पाकिस्तान के रहनुमा ने पाकिस्तान की आइडियोलॉजी के दो स्तंभ बना दिए. इस्लाम और भारत के खिलाफ नफरत. इसी विचारधारा पर चल कर भारत को हजार जख्म देने की नीति पर पाकिस्तान काम कर रहा है.

ऐसे में भारत का हर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान का दोस्त है. यहीं चीन का रोल आता है. चीन और पाकिस्तान दोनों भारत के खिलाफ एक दूसरे के साथ खड़े हैं. आतंकवाद के सवाल पर पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है. पाकिस्तान की जमीन से आतंक पनप रहा है, और पाकिस्तानी स्टेट का उसे परोक्ष तौर पर समर्थन है.

ऐसे में अब दुनिया के ज्यादातर देश पाकिस्तान को आतंकवाद की पनाहगाह मानते हैं सिवाए चीन के. चीन खुलेआम संयुक्त राष्ट्र के मंच पर मसूद अजहर को आतंकी घोषित किए जाने पर रोक लगाता है. चीन पाकिस्तान के लिए सहारा बन कर खड़ा है. और इसकी एक बड़ी वजह मल्टी बिलियन डॉलर का CPEC है जिसमें लगभग 60 बिलियन डॉलर का निवेश हो रहा है.

अमेरिका से दूरी की वजह से हुआ है करीब

पाकिस्तान और अमेरिका की दूरी बढ़ रही है. UN कि नई लिस्ट में 139 पाकिस्तानी आतंकियों में हाफिज सईद का भी नाम है जिसे पाकिस्तानी सरकार पनाह देती रही है. ट्रंप प्रशासन ने 900 मिलियन डॉलर सुरक्षा ऐड में कटौती की और कहा कि पिछले 15 सालों में दी गई 33 बिलियन डॉलर की मदद बेवकूफी थी.

ऐसे में पाकिस्तान चीन को अपने वजूद के लिए जरूरी मानने लगा है. और सवाल उठ रहे हैं कि क्या चीन पाकिस्तान के लिए अंकल सैम की जगह ले पाएगा? सवाल ये भी है की क्या चीन बिना किसी शर्त के पाकिस्तान पर मेहरबान हो गया है? बिलकुल नहीं. पाकिस्तान इसकी कीमत चीन के आगे झुक कर चुका रहा है. तभी पुलिस जीप पर अकड़ के साथ खड़े हैं चीनी प्रोजेक्ट मैनेजर Xu libing जिनके जूते के पास पाकिस्तानी झंडा है.

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ये दिखाता है कि पाकिस्तान की संप्रभुता किस तरह चीन के पैरों तले है . पाकिस्तान ने एक तरह से ग्वादर बंदरगाह चीन को दे दिया है, जिसे चीन शायद ही वापस करे. चीन पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर (CPEC) के नाम पर पाकिस्तान के ऊपर चीन का बड़ा कर्ज है. चीन की वन बेल्ट वन रोड पॉलिसी उसकी बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षा का नमूना है, पाकिस्तान इसका एक हिस्सा है. इसी के तहत वो पाकिस्तान में भी सड़क बना रहा है. जैसे बहावलपुर से फैसलाबाद तक वो हाईवे जहां ये इंजीनियर काम कर रहे थे.

बहावलपुर फैसलाबाद हाईवे पर जो पाकिस्तानी पुलिस के साथ चीनियों ने मारपीट की उसे ट्विटर पर कई पाकिस्तानी ‘चाइनागर्दी’ भी कह रहे हैं. यानी चीन का रुख यही रहेगा, आका की तरह, अकड़ से भरा. बहुत सारे पाकिस्तानियों को ये मुल्क की बेइज्जती लगती है. CPEC के विरोधी इस घटना को आने वाले दिनों कि आहट बता रहे हैं. कह रहे हैं कि चीन का मंसूबा पाकिस्तान को अपनी कॉलोनी बनाने का है. पार्टी तो अभी शुरू हुई है.

 

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