चीन ने गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश पर चुप्पी साधी, कहा- यह भारत-पाकिस्तान के बीच का मुद्दा

बीजिंग। चीन ने मंगलवार को विवादित गिलगित-बाल्टिस्तान को अपना पांचवां राज्य घोषित करने के पाकिस्तान के फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. चीन ने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान, भारत और पाकिस्तान के बीच का मुद्दा है. भारत का दावा है कि यह क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू एवं कश्मीर का हिस्सा है. चीन ने यह भी कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) इस मुद्दे पर बीजिंग की निष्पक्षता को प्रभावित नहीं करेगा. सीपीईसी विवादित कश्मीर से गुजर रहा है, जिस पर भारत दावा करता है.

प्रशासनिक नियंत्रण से संबंधित पाकिस्तान के ताजा आदेश पर कोई प्रत्यक्ष टिप्पणी करने से मंगलवार (29 मई) को परहेज किया लेकिन कहा कि विवादित क्षेत्र से गुजरने वाले सीपीईसी से उसका यह रूख प्रभावित नहीं होगा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान भारत और पाकिस्तान के बीच होना चाहिए. पाकिस्तान की कैबिनेट ने 21 मई को गिलगित-बाल्टिस्तान संबंधी आदेश को मंजूरी प्रदान की थी. क्षेत्र की विधानसभा ने भी इसका समर्थन किया है.  कहा जा रहा है कि पाकिस्तान का यह आदेश विवादित क्षेत्र को अपने पांचवें प्रांत के रूप में शामिल करने का प्रयास है.

जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है
पाकिस्तान के इस कदम से क्षेत्र में रोष और नाराजगी है.  भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा कि पूरा जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तथा गिलगित-बाल्टिस्तान उसी प्रांत का हिस्सा है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनियंग ने संवाददाताओं से कहा कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच ‘ऐतिहासिक समस्या’’ है और इसलिए इसका दोनों देशों के द्वारा ही बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए.

पाकिस्तान के हालिया कदम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बीजिंग का यह रूख है कि कश्मीर मुद्दे का हल दोनों देशों के बीच होना चाहिए तथा और गिलगित और बाल्टिस्तान से गुजरने वाले 50 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीईपीसी) से उसका यह रूख प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमने कई बार जोर दिया है कि सीपीईसी आर्थिक सहयोग के लिए एक पहल है.

गिलगित-बाल्टिस्तान हमारा, जबरन कब्जे वाले इलाके खाली करे पाकिस्तान: भारत
गिलगित – बाल्टिस्तान के संबंध में इस्लामाबाद के तथाकथित आदेश को लेकर भारत ने रविवार को पाकिस्तानी उप – उच्चायुक्त सैयद हैदर शाह को तलब किया. भारत ने उनसे कहा कि उनके देश के जबरन कब्जे वाले क्षेत्र के किसी भी हिस्से के दर्जे में बदलाव करने के लिए किसी भी कार्रवाई का कोई कानूनी आधार नहीं है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उसने शाह को सूचित किया कि 1947 में हुए विलय के आधार पर पूरा जम्मू कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा है और तथाकथित ‘गिलगित – बाल्टिस्तान’ इलाका उस राज्य में शामिल है.

भारत ने जताया कड़ा विरोध
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के जबरन और अवैध कब्जे वाले क्षेत्र के किसी भी हिस्से के दर्जे में बदलाव के लिए किसी भी कार्रवाई का कोई कानूनी आधार नहीं है और वह पूरी तरह से अस्वीकार्य भी है. पाकिस्तान को कब्जे वाले क्षेत्रों के दर्जे में बदलाव के बदले अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली कर देना चाहिए. मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तानी उप – उच्चायुक्त को यह भी कहा गया कि इस तरह के किसी भी कार्य से पाकिस्तान द्वारा जम्मू – कश्मीर के एक हिस्से पर अवैध कब्जे तथा गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण को छिपाया नहीं जा सकता है. साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों के निवासियों को स्वतंत्रता से इंकार नहीं किया जा सकता. बता दें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने गिलगित – बाल्टिस्तान पर 21 मई के एक आदेश के जरिए क्षेत्र के मामलों से निपटने के स्थानीय परिषद के ज्यादातर अधिकार ले लिए. पाकिस्तान के नागरिक अधिकार समूहों ने इस आदेश की आलोचना की है.

 

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