जन्मदिन विशेष: राम लक्ष्मण की जोड़ी “आडवाणी- महाजन” को पीछे छोड़ कर राजनाथ सिंह बने थे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह सियासत के काफी माहिर खिलाड़ी रहे हैं. सियासत में इनके रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अटल-आडवाणी के दौर में भी राजनाथ सिंह की तूती बोलती थी और आज जब मोदी-अमित शाह का दौर है, तब भी वह गृह मंत्री के रूप में सत्ता में नबंर दो की कुर्सी पर काबिज हैं. राजनाथ सिंह को राजनीति में काफी सुलझे हुए राजनेता के रूप में जाना जाता है. राजनाथ सिंह की जितनी भारतीय जनता पार्टी में लोकप्रियता है, उतनी ही बीजेपी की मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस में स्वीकार्यता है. यही वजह है कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के बाद बीजेपी अध्यक्ष के रूप में किसी की ताजपोशी की बारी आई, तो राजनाथ सिंह को ही इस पद के लिए सबसे योग्य चुना गया. खास बात है कि अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवानी सरीखे ही राजनाथ सिंह भी बीजेपी के दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं. आज इनके बारे में जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आज राजनाथ सिंह 67 साल के हो गये हैं. 

राजनाथ सिंह का पहली बार बीजेपी अध्यक्ष बनने का वाकया काफी मजेदार रहा है. दरअसल, बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी अपनी पाकिस्तान दौरे के दौरान जिन्ना के मजार पर गये और उस वक्त उन्होंने उन्हें धर्म निरपेक्ष बता दिया था. उसके बाद भारत में उनके इस बयान की काफी आलोचना हुई. यहां तक की विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने भी नाराज़गी जताई थी और उस वक्त के प्रवक्ता राम माधव ने कहा भी था कि उनकी वापसी के बाद उनसे बातचीत की जाएगी. मगर उसी वक्त प्रमोद महाजन का राजनीतिक ग्राफ काफी तेजी से ऊपर चढ़ रहा था. आडवाणी की टिप्पणी के बाद प्रमोद महाजन ने पार्टी नेताओं को इसकी सूचना दी और उसी वक्त आडवानी के इस्तीफे की खिचड़ी पकने लगी. 

उस टिप्पणी के बाद आडवानी के ऊपर इस तरह का परोक्ष दवाब बनाया गया कि अंतत: लालकृष्ण आडवाणी को इस्तीफा देना पड़ा. लालकृष्ण आडवानी ने वेंकैया नायडू को अपना इस्तीफा सौंपा. इसके बाद फिर बीजेपी अध्यक्ष बनाने की बारी आई, तो संघ और बीजेपी में राजनाथ सिंह की अच्छी पहुंच को देखते हुए उन्हें भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया. इस तरह से देखा जाए तो राजनाथ सिंह अटल के मुताबिक, राम-लक्ष्मण की जोड़ी के बीच उभरते हुए अध्यक्ष पद तक पहुंचे थे. 

राम लक्ष्मण की जोड़ी वाले वाकया को जानने के हमें ये जाना होगा कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी रिटायरमेंट के दौरान कहते हैं कि अब आडवाणी- महाजन की जोड़ी राम लक्ष्मण की तरह बीजेपी को आगे ले जाएगी. यानी उनके मुताबिक आडवाणी राम थे और प्रमोद महाजन लक्ष्मण. मगर जिन्ना विवाद की वजह से आडवाणी और महाजन में दूरियां थोड़ी सी बढ़ गई. और फिर राजनाथ सिंह को बीजेपी अध्यक्ष पद का मौक मिला. 

भारतीय राजनीति में अपनी एक अलग छवि स्थापित करने वाले राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई 1951 को हुआ. देश-विदेश में ख्याति प्राप्त करने वाले राजनाथ सिंह का पूरा नाम राजनाथ राम बदन सिंह है. दरअसल, राजनाथ सिंह का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले के एक छोटे से ग्राम भाभोरा में हुआ. उनके पिता का नाम राम बदन सिंह था. ऐसा कहा जाता है कि वे करीब 13 साल की उम्र से ही संघ से जुड़े हुए हैं. वह पहले भाजपा के युवा विंग के साथ-साथ भाजपा की उत्तर प्रदेश विंग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 

राजनाथ सिंह के बारे में यह कम ही लोगों को पता है कि वे उन्होंने गोरखपुर विश्‍वविद्यालय से भौतिकी विषय में प्रोस्‍ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. उसके बाद मिर्ज़ापुर में भौतिकी विषय के लेक्चरर भी रह चुके हैं. खास बात है कि नौकरी लगने के बाद भी राजनाथ सिंह ने संघ से नाता नहीं तोड़ा और वे संघ से जुड़े रहे. 1974 में माथे पर एक चमकदार लाल तिलक के साथ, उन्हें भारतीय जनसंघ का सचिव नियुक्त किया गया. इस तरह से राजनाथ सिंह का राजनीतिक सफर ऐसा शुरू हुआ कि उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक पदों पर पहुंचते हुए आज देश के गृहमंत्री हैं. 

संघ से लेकर विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा से लेकर बीजेपी के विभिन्न पदों पर काबिज रहते हुए उन्होंने अपनी कार्यशैली से कई तरह के कीर्तिमान स्थापित किये और पार्टी को देश भर में फैलाने के लिए काफी मेहनत किया. राजनाथ सिंह बीजेपी के दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं. एक बार वह 2005 से 2009 और दूसरी बार वह 2013 से 2014 तक. हालांकि, इससे पहले यह सौभाग्य सिर्फ पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी को प्राप्त था. 

1991 में जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी तब राजनाथ सिंह को शिक्षामंत्री बनाया गया. वह तीन बार विधायक भी रह चुके हैं. राजनाथ सिंह 1994 से 1999 के दौरान राज्यसभा सांसद के रूप में चुने गये थे. 1999 से 2000 में वह केंद्रीय मंत्री भी रहे. मगर एक बार फिर से उनकी राज्य की सत्ता में वापसी हुई और 2000 से 2002 तक वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. फिर 2003 से 2008 तक दूसरे टर्म के लिए राज्य सभा सदस्य के रूप में दोबारा चुने गये. इसके बाद राजनाथ सिंह 15वीं लोकसभा चुनाव (2009) में बाजी मारते हैं और जीत दर्ज करते हैं. 

16वीं लोकसभा चुनाव में भी राजनाथ सिंह ने जीत दर्ज की. 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आती है, तब राजनाथ सिंह को गृहमंत्री बनाया जाता है. 2014 में एक बार राजनाथ सिंह ने कहा था कि 75 फीसदी भारती लोग या तो हिंदी बोलते हैं या फिर जानते हैं. राजनाथ सिंह अपनी अच्छी हिंदी के लिए भी जाने जाते हैं. जब वह भाषण देते हैं, तो उनके शब्द काफी सधे हुए होते हैं.

 

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