जानिए क्यों तलाक से है जल्दी मौत का खतरा
वैज्ञानिकों का कहना है कि या शारीरिक गतिविधियों में पर्याप्त भाग नहीं लेने की संभावना बढ़ जाती है व ये दोनों ही गतिविधियां समय पूर्व मौत की कारक होती हैं। की कई वजहों से जोड़ा है जिसमें समय से पहले मौत का ज्यादा जोखिम भी शामिल है। हालांकि इनमें संबंध का कारण अभी बहुत अच्छी तरह समझ में नहीं आया है। अमेरिका के एरीजोना विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में दो संभावित दोषियों को रेखांकित किया गया। तलाक के बाद धूम्रपान की ज्यादा संभावना व शारीरिक गतिविधियों का घटता स्तर।
विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के शोधार्थी व जर्नल एनल्स ऑफ बिहेवियोरल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के प्रमुख लेखक कैली बौरासा ने कहा, ‘‘हम वैवाहिक स्थिति व असमय मृत्यदर के आपस में जुड़े होने के साक्ष्यों के अंतर को पाटना चाहते हैं। हम जानते हैं कि वैवाहिक स्थिति मनोवैज्ञानिक व शारीरिक सेहत दोनों से जुड़ी है, व तलाक से सेहत के जोखिमों का एक रास्ता धूम्रपान व व्यायाम जैसे सेहत व्यवहारों से भी जुड़ा है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम यह भी जानते हैं कि सेहत व्यवहार अक्सर मनोवैज्ञानिक कारकों, जैसे ज़िंदगी संतुष्टि से जुड़े हैं। ’’
महिलाएं तलाक के बाद भी पूर्व पति की ज्यादती के विरूद्ध दर्ज करा सकती हैं शिकायत : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम न्यायालय ने बोला कि वैवाहिक संबंध टूटने के बाद भी कोई महिला अपने पूर्व पति की ज्यादती के विरूद्ध घरेलू हिंसा कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है। बताते चलेंकि उच्च कोर्ट ने एक वैवाहिक संबंध टकराव में निर्णय सुनाते हुए आदेश जारी किया था कि घरेलू संबंध का अभाव किसी भी तरह से एक न्यायालय को पीड़िता को राहत देने से नहीं रोकता है।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई , न्यायामूर्ति आर भानुमति व न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की सदस्यता वाली एक पीठ ने उच्च कोर्ट के निर्णय के विरूद्ध अपील खारिज करते हुए बोला कि यह आदेश में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं है। सुनवाई के दौरान महिला के पति ( जो अलग हो चुका है ) की ओर से पेश हुए एडवोकेट दुष्यंत पाराशर ने बोला कि घरेलू हिंसा कानून को पूर्व असर से लागू नहीं किया जा सकता। हालांकि , पीठ पाराशर की दलील से सहमत नहीं हुई व उच्च कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया।
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