टीपू सुल्तान के राज में कम से कम 8,000 मंदिर तोड़े गए

रोहित सरदाना

आज तक के पत्रकार रोहित सरदाना ने टीपू सुल्तान की जयंती मानने वालों और उसके समर्थकों पर पर कड़ा प्रहार किया है| ये लेख उनके सोशियल मीडीया अकाउंट से लिया गया हाई और इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है:

“वोट बैंक की राजनीति अपने ही देश के लोगों का ख़ून बहाने वाले टीपू सुल्तान का जन्मदिन मनाने पर आमादा है.

अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ने की वजह से टीपू सुल्तान को कुछ इतिहासकारों ने ‘फ़्रीडम फ़ाइटर’ का दर्जा दिया है. पर क्या इससे टीपू की तलवार पर लगे अपने ही देश के लोगों के ख़ून के दाग़ धुल जाते हैं?

कूर्ग के इतिहास को टटोलिए तो टीपू के इतिहास के सबसे दाग़दार पन्ने खुलते हैं. जिसने कूर्ग के लोगों को धोखे से बंदी बना कर उन्हें इस्लाम क़ुबूल करने पर मजबूर किया. टीपू सुल्तान ने ख़ुद करनूल के नवाब को लिखी चिट्ठी में दावा किया है कि उसने 40,000 कूर्ग निवासियों का धर्म परिवर्तन कराया.

कूर्ग के मंदिरों को तबाह करने पर आमादा टीपू सुल्तान के क़हर से बचाने के लिए ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारियों ने मंदिर पर गुंबद बनवा दिए. मैसूर गजट के मुताबिक़ टीपू के राज में कम से कम 8,000 मंदिर तोड़ डाले गए. जब टीपू सुल्तान परास्त हुआ तो उसके राज्य में केवल दो मंदिर ऐसे कहे जाते हैं जहाँ नित्य पूजा होती थी.
केवल कूर्ग में हिंदू ही नहीं मालाबार में ईसाई भी टीपू को उतना ही अत्याचारी शासक मानते हैं.

लेकिन धर्म में वोट बैंक तलाशने वाली राजनीतिक पार्टियों का असली धर्म केवल वोट ही होता है. इसलिए उन्हें ना इतिहास दिखता है, ना भूगोल. उन्हें दीखता है सिर्फ़ वोट. भले ही वो एक समुदाय की पीढ़ियों की लाशों पर क्यों न खड़ा हो!”

 

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