तन्वी-अनस पासपोर्ट विवादः पुलिस की 2 टिप्पणियों से शुरू हुआ था पूरा मामला

लखनऊ/नई दिल्ली। तन्वी सेठ और अनस सिद्दीकी के पासपोर्ट विवाद से जुड़ा मामला अभी भी खत्म होता नहीं दिख रहा. भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से दिए गए बयान से नई बात सामने आई कि इस पासपोर्ट पर सारा विवाद पुलिस वेरिफिकेशन के दौरान पुलिस की ओर से की गई 2 टिप्पणियों के बाद शुरू हुआ.

इससे पहले लखनऊ में क्षेत्रीय कार्यालय ने बुधवार को सिद्दीकी दंपति को पासपोर्ट जारी कर दिया था. पिछले 16 दिनों से यह मामला सोशल मीडिया से लेकर खबरों के बीच लगातार चर्चा और विवादों में बना हुआ है. यहां तक कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराजको भी इस मामले में ट्विटर पर ट्रोल किया गया.

पुलिस की 2 टिप्पणियां

पासपोर्ट पुलिस वेरिफिकेशन (पीवी) के आधार पर जारी किए जाते हैं. क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस (आरपीओ) लखनऊ को भेजा गया पीवी रिपोर्ट उस 2 बिंदुओं पर आधारित होना चाहिए था जिसके आधार पर आवेदक को भारतीय नागरिक होना चाहिए और उस पर किसी तरह का कोई आपराधिक केस न चल रहा हो. लेकिन पीवी रिपोर्ट यह 2 बिंदुओं की जगह 6 बिंदुओं में तैयार करके भेज दिया गया.

विदेश मंत्रालय के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के डीजीपी को 1 जून, 2018 को नए पीवी नॉर्म को लागू कराने संबंधी जानकारी दे दी गई थी. जबकि तन्वी सेठ के मामले में रिवाइज्ड फॉर्म में उल्लखित सभी 6 पॉइंट्स में कोई प्रतिकूल रिपोर्ट नहीं दी गई, लेकिन वेरिफिकेशन में गए पुलिस अफसर ने इस रिपोर्ट में अपने स्तर पर 2 टिप्पणी कर दी, जिससे पीवी रिपोर्ट क्लीयर नहीं लगी.

मैरिज सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं

पुलिस अफसर ने अपनी ओर से 2 टिप्पणियां कीं जिसमें उसकी पहली टिप्पणी थी कि आवेदक तन्वी सेठ जिनका मैरिज सर्टिफिकेट पर नाम सादिया अनस है और दूसरी टिप्पणी थी कि उनका पता सही नहीं है, क्योंकि वह नोएडा में किराए के मकान में रहती हैं जिसका उल्लेख उन्होंने नहीं किया था.

इन दो टिप्पणियों के आधार पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा ने अपने स्तर पर आगे की कार्रवाई की और मामले ने तूल पकड़ लिया. अब विदेश मंत्रालय का कहना है कि संशोधित पासपोर्ट नियम के अनुसार पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के दौरान मैरिज सर्टिफिकेट जमा करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि मैरिज सर्टिफिकेट में दर्शाए गए नाम की कोई प्रासंगिकता नहीं है.

पता के लिए आधार-बैंक अकाउंट जरूरी

दूसरा विवाद पते को लेकर था जिस पर विदेश मंत्रालय का कहना है कि तन्वी सेठ ने अपना आधार कार्ड और एक संयुक्त बैंक खाता बतौर अपने नाम और पते की पुष्टि के लिए जमा कर दिया था और यही नाम आवेदन फॉर्म में भी था. जो नए नियमों के मुताबिक सही था.

इससे पहले बुधवार को पासपोर्ट जारी करने के दौरान स्थानीय पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने बताया कि तन्वी सेठ और अनस सिद्दीकी के पासपोर्ट जारी कर दिए गए हैं. विदेश मंत्रालय के जून 2018 के नियमों के अनुसार पुलिस रिपोर्ट में 6 अहम बिंदुओं में अगर आवेदक पर कोई आपराधिक केस नहीं है और उसकी नागरिकता पर कोई विवाद नहीं है तो पासपोर्ट नहीं रोका जा सकता. इसी आधार पर तन्वी और अनस को पासपोर्ट जारी किए गए हैं.

मैरिज सर्टिफिकेट मांगना गलत

पूरा मामला सामने आने के बाद सरकार की ओर से एक आंतरिक जांच की गई जिसमें पाया गया कि दस्तावेज के लिए कार्यालय में अपना आवेदन देने गए हिन्दू-मुस्लिम दंपति से धर्म के बारे में अप्रासंगिक सवाल पूछने वाला लखनऊ का पासपोर्ट अधिकारी (विकास मिश्रा) गलत था.

सूत्रों ने बताया कि पासपोर्ट जारी करने के लिए जरूरी सत्यापन प्रक्रिया के समय उनके आवास और अन्य अप्रासंगिक ब्यौरा जुटाने में उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी गलती की. साथ ही तन्वी सेठ से पूछताछ करने वाले पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्र का मैरिज सर्टिफिकेट मांगना भी गलत था.

नियमों के मुताबिक अन्य दस्तावेजों के सही पाए जाने पर पासपोर्ट के लिए इस सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं पड़ती है. एक बार पुलिस सत्यापन के बाद पासपोर्ट जारी कर दिया जाता है और दोबारा सत्यापन की जरुरत सिर्फ आपराधिक रिकॉर्ड और नागरिकता संबंधी दिक्कतों के बाद ही होती है. और इस मामले में दंपती के खिलाफ ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं था. इसी वजह से पासपोर्ट के लिए दोबारा पुलिस सत्यापन की कोई जरुरत नहीं थी.

 

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