त्तर प्रदेश में राज्यसभा: घर बचाने की जद्दोजहद के साथ ही दूसरे के घर में सेंधमारी की कोशिशें तेज

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों के लिए शुक्रवार को होने वाले चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शह-मात का निणार्यक दौर जारी है. दोनों पक्षों को क्रॉस वोटिंग की अाशंका है ऐसे में घर बचाने की जद्दोजहद के साथ ही दूसरे के घर में सेंध की कोशिशें पूरे जोर पर हैं. लखनऊ में बीते चौबीस घंटे से चल रही इस सरगर्म सियासत में दोनों पालों में कई ऐसे विधायक चेहरे दिखे जिनकी अाहट ने पहले से तय समीकरण बदलने के पूरे संकेत दे दिए हैं.

चूंकि इस चुनाव में विधायक ही वोटर हैं लिहाजा उनका पहले से तय माना जा रहा खेमा छोड़ कर दूसरे के खेमे में दिखने के निष्कर्ष भी लगभग साफ हैं. सबसे खास बात यह कि विधायकों का यूं इस पाले की जगह उस पाले में दिखना उनकी सियासी अास्थाएं कम और निजी रिश्तों का असर ज्यादा बड़ी वजह बनकर उभरा है.

राज्यसभा चुनाव में बीजेपी का पलड़ा भारी होने के अासार

बदलते घटनाक्रम में क्रॉस वोटिंग के अासार भी बढ़ गए हैं और दसवीं सीट जिसके लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष में मुकाबला है उसका फैसला होने में पहली और दूसरी वरीयता के वोटों की खासी अहमियत होगी. यदि विपक्षी पाला पहली वरीयता के 37 वोटों का इंतजाम बीएसपी के भीमराव अंबेडकर के लिए करने में कामयाब हो गया तो उनकी राह अासान हो जाएगी लेकिन इससे एक भी वोट कम पड़ा तो फैसला दूसरी वरीयता के वोटों से होगा जिसमें बीजेपी का पलड़ा भारी होने के अासार हैं.

समाजवादी पार्टी ने चुनाव में जया बच्चन को उम्मीदवार बनाया है और साथ ही बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को अपने बाकी बचे वोट देने का भरोसा भी दिया है. एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीती शाम अपने पाले के विधायकों को डिनर पर बुलाया तो उसमें सबसे चौंकाने वाली एंट्री शिवपाल यादव की रही जो एसपी के विधायक तो हैं ही साथ ही अखिलेश के सगे चाचा भी हैं.

Lucknow: Samajwadi Party President Akhilesh Yadav, MP Dimple Yadav, senior leader Jaya Bachchan and MLA Raghuraj Pratap Raja Bhyaiya (Independent) after the dinner party organised by Samajwadi party ahead of Rajya Sabha election in Lucknow on Wednesday. PTI Photo(PTI3_21_2018_000175B)

अखिलेश यादव के साथ जया बच्चन (फोटो: PTI)

चाचा और भतीजे में बीते करीब डेढ़ साल से रिश्तों में खासी खटास रही. राष्ट्रपति के लिए चुनाव में शिवपाल ने अपने समर्थक विधायकों के साथ एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को वोट किया था. राज्यसभा के चुनाव में ऐसा न हो सके इसके लिए गए कुछ दिनों में अखिलेश ने कई बार मीडिया के जरिए कहा कि वे चाचा का भी वोट चाहते हैं. सियासी रिश्तों पर निजी रिश्तों की गर्माहट भारी पड़ी और चाचा ने भतीजे की बात मान ली और उनके संग हो लिए.

एसपी के उस डिनर में एक और चौंकाने वाली उपस्थिति कुंडा के निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया की रही. वे अपने साथी विधायक विनोद सरोज के साथ अखिलेश के डिनर में अाए. जबकि यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से माना जा रहा था कि वे एसपी का पाला छोड़ भगवा खेमे में चले गए हैं. विधानपरिषद में एसपी के सदस्य यशवंत सिंह राजा भैया के काफी करीबी माने जाते हैं और उन्होंने अपनी सीट से इस्तीफा देकर उसे योगी के लिए खाली कर दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. बताया जाता है कि राजा भैया उम्मीद थी कि राज्यसभा के चुनाव में बीजेपी यशवंत सिंह को प्रत्याशी बनाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुअा.

बीजेपी को अपना और विनोद सरोज का वोट न देकर विपक्ष के पाले के साझा प्रत्याशी यानी बीएसपी के भीमराव अंबेडकर को वोट देने में उनके सामने बड़ा धर्मसंकट था. दरअसल उनके और मायावती के रिश्ते छत्तीस के रहे हैं.

राजा भैया निर्दलीय होकर भी एसपी के ज्यादा करीबी रहे हैं

मायावती ने अपनी सरकार में राजा भैया को जेल भिजवाया था. यानी बीजेपी की अोर न जाने की मंशा के बावजूद मायावती से खटास भरे निजी रिश्तों के कारण राजा भैया अनिश्चय की स्थिति में थे. एसपी नेतृत्व ने इसका इंतजाम यूं किया कि राजा भैया और सरोज का वोट जया बच्चन के लिए आवंटित कर दिया. ऐसे में दोनों के लिए बीएसपी के उम्मीदवार को वोट देने से होने वाली असहज स्थिति भी नहीं रहेगी. चूंकि राजा भैया निर्दलीय होकर भी एसपी के ज्यादा करीबी रहे हैं लिहाजा जया बच्चन से भी उनके निजी ताल्लुकात अच्छे हैं. एसपी सूत्रों के मुताबिक जया बच्चन ने भी उन्हें फोन कर समर्थन मांगा और यह सुनिश्चित भी किया कि बीती रात के डिनर में वे खुद भी मौजूद रहें.

हरदोई के विधायक नितिन अग्रवाल से एसपी के टिकट पर जीते और अभी भी एसपी में ही हैं लेकिन राज्यसभा चुनावों की इस गहमागहमी में बीती रात अखिलेश यादव के डिनर की जगह मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ की ओर से बुलाई गई बीजेपी व सहयोगी दलों की बैठक व रात्रि भोज में दिखे. उनके मामले में भी राजनीतिक आस्था और पहचान पर निजी रिश्ते भारी पड़ गए. गौरतलब है कि उनके पिता नरेश अग्रवाल हाल ही में एसपी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं लिहाजा बेटे ने भी पिता की राह पकड़ी.

 

Jaya-Bachchannareshaggarwal

शिवपाल के बदले सुर

ऐसे ही अाजमगढ़ के एक दबंग नेता हैं तो बीजेपी में और उनका बेटा भी बीजेपी से ही विधायक है लेकिन पिछले कुछ समय से पिता ने एसपी से तार जोड़ रखे हैं. पिता के इन तारों के जरिए एसपी के रणनीतिकार बेटे को टटोल रहे हैं ताकि उसका वोट राज्यसभा चुनाव में विपक्ष के पाले के लिए हासिल कर लिया जाए. निजी रिश्तों को पैमाना बनाकर दूसरे के खेमे से कुछ विधायकों को अपनी अोर कर लेने की कोशिशें बीजेपी की अोर से भी हो रही हैं. सूत्रों के मुताबिक बीएसपी के 19 में से तीन विधायकों को अपनी अोर करने के लिए बीजेपी ने उनके जिले के उन बीजेपी नेताओं को लगाया है जिनसे उनके अच्छे निजी रिश्ते हैं.

निजी रिश्तों ही एक बानगी भदोही के ज्ञानपुर से निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्रा के बदलते अंदाज में भी दिख रही है. वे पुराने एसपीई हैं और पार्टी में मुलायम और शिवपाल के भत्त माने जाते रहे हैं. अखिलेश यादव से उनकी कभी पटी नहीं और अखिलेश ने 2017 के विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया. वे निषाद पार्टी से लड़े और जीत भी गए. यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से बीजेपी के समर्थन में ही खड़े दिखे हैं. यहां तक कि तीन दिन पहले ट्वीट भी किया- देशहित और प्रदेशहित के लिए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को वोट दूंगा. ऐसे में यह माना जा रहा था कि उनका वोट बीजेपी को ही जाएगा लेकिन अाज दोपहर बाद शिवपाल यादव के अावास पर पहुंच कर उन्होंने चौंका दिया.

चूंकि शिवपाल की अखिलेश से वापस बन गई ऐसे में उनके लिए जरूरी और मजबूरी दोनों हो गए हैं कि अपने करीबी विधायकों को बीजेपी से तोड़ कर एसपी से जोड़े. लिहाजा निजी रिश्तों का हवाला देकर उन्होंने विजय मिश्रा को बुलाया और वे आ भी गए मिलने. हालांकि यह तय नहीं है कि इस मुलाकात के बावजूद विजय मिश्रा विपक्षी के उम्मीदवार को वोट करेंगे.

 

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