दारू के बिजनेस से भी अधिक घिनौना बन गया है स्कूल का बिजनेस
उत्तर प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूले जाने पर रोक लगाने के लिए योगी सरकार द्वारा अध्यादेश लाये जाने का विचार सराहनीय है, लेकिन इसमें सिर्फ़ मनमानी फीस वृद्धि पर ही अंकुश नहीं लगाना चाहिए, बल्कि यदि स्कूल की मौजूदा फीस मनमानी और एक सीमा से ज्यादा अधिक है, तो उसे भी तर्कसंगत कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
साथ ही, योगी सरकार इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को भी लागू कराए, जिसमें उसने सभी सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने को अनिवार्य करने को कहा था। अगर सरकारी स्कूलों पर सरकारी कर्मचारियों का ही भरोसा नहीं है, तो सवाल है कि सरकार जनता के पैसे क्यों बर्बाद कर रही है? इसलिए अगर वह इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला लागू नहीं करा सकती, तो उसे सभी सरकारी स्कूलों को बंद कर देना चाहिए।
सरकारी स्कूलों की बदहाली के चलते आज केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मां-बाप प्राइवेट स्कूलों के दैत्य-जाल में फंसकर कराह रहे हैं। अधिकांश प्राइवेट स्कूल प्रशासन एक तरह से मां-बाप का लहू पी रहे हैं। स्कूल का बिजनेस आज दारू के बिजनेस से भी अधिक घिनौना बन गया है और इसमें किसी उसूल का पालन नहीं किया जा रहा है।
ऐसे में, उत्तर प्रदेश अगर सचमुच में उत्तम प्रदेश है, तो उसे सरकारी स्कूलों को बेहतर करके और प्राइवेट स्कूलों के शोषण-जाल को तोड़कर पूरे देश के लिए मिसाल बनना चाहिए।
(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से )
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