दिल्ली : जान की कीमत पर हुजूर – ए- आला आप…

दिल्ली : जिस समय दिल्ली दंगों की आग में झुलस रही थी उसी दरम्यान एक किसान का परिवार उस दंगों में अपने कमाऊ पिता को खोने पर बिलख रहा था। मामला चूकीं जब आप के सत्ताधीश समेत राजनैतिक पार्टियों के संज्ञान में आया तो किसान गजेंद्र की मौत पर सियासत तेज हो गई और उसकी जान जाने की कीमत आंकी जाने लगी।

हर दल नें आगे बढ़कर औकातानुसार बोली लगाई थी। जिसमे कॉग्रेस की तरफ से 2 लाख, भाजपा 4 लाख समाजवादी पार्टी 5 लाख तो सरकार चलाने वाली पार्टी आप ने 10 लाख देने की पेशकश किया। गजेन्द्र की मौत की ‘कीमत’ लगनी शुरू हो गई थी। राजनीतिक दलों ने मुआवजे के लिए पार्टी फंड के दरवाजे खोल दिए हैं। इस दौड़ में सबसे आगे निकली आम आदमी पार्टी। गजेन्द्र के परिजनों के लिए दस लाख रुपए का चेक लेकर आप नेता संजय सिंह उनके गांव नांगल झामरवाड़ा पहुंच गए। वही संजय, जिन्होंने गजेन्द्र की मौत की पार्टी पर कोई जिम्मेदारी लेने से साफ इनकार कर दिया था।

वे गजेन्द्र के परिजनों से मिले। बेटी मेघा के आगे हाथ जोड़े, माफी मांगी। बाद में बंद कमरे में गजेन्द्र के चाचा गोपाल सिंह को 10 लाख रुपए का चेक सौंपा। सीएम अरविंद केजरीवाल से फोन पर बात कराई। गजेन्द्र को ‘शहीद’ का दर्जा दिलाने का भरोसा दिलाया, साथ ही दिल्ली में उनकी मूर्ति लगाने की भी बात कही।

बेटी मेघा ने उस दौरान भी मौत के मुआवजे पर आवाज बुलंद करते हुए कहा था कि मौत का मुआवजा दस लाख रुपए है तो मैं दे दूंगी 10 लाख रुपए, कोई आप नेता मरकर दिखाए। लेकिन काफी अरसे के बाद स्वर्गीय किसान गजेंद्र के मौत का मामला फिर सुर्कियों में है। दरअसल मरहूम किसान की बेटी मेघा का पोस्टर आजकल खूब वायरल हो रहा है। जिसमें उन्होंने आप नेताओं पर पदाधिकारियों पर केजरीवाल को कार्रवाई करने की मांग किया जिन्होंने दंगों के दौरान स्वर्गीय गजेंद्र को घटना स्थल पर जाने के लिए उकासया था।

आप जानकर हैरत करेंगे कि किसान किसी भी पार्टी की प्राथमिकता में नहीं है। जब चुनाव आता है या फिर सियासत की कढ़ाई में सूप बनाना होता है तो किसान और नौजवानों को आगे कर दिया जाता है। जिससे कि माहोल में थोड़ी गर्मी आ सके।

 

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