देवरिया केस: गोरखपुर में भी चल रहा है अवैध वृद्धाश्रम, जहां लड़कियों के साथ होता था ‘गलत काम’

लखनऊ/गोरखपुर। देवरिया के नारी संरक्षण गृह में देह व्यापार और लड़कियों के उत्पीड़न का भंडाफोड़ होने के बाद हड़कंप मचा है. प्रशासनिक और पुलिस अफसरों की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि गोरखपुर के खोराबार इलाके में रानीडीहा में गिरिजा त्रिपाठी के निजी मकान में ही वृद्धाश्रम चलता है. हैरानी की बात ये है कि मान्यता खत्म होने के बाद भी एक साल से अवैध तरीके से वृद्धाश्रम का संचालन किया जा रहा है और जानकारी के बाद भी जिला प्रशासन ने इस अवैध वृद्धाश्रम पर कोई कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा.

ऊंची रसूख की बदौलत हो रहा था संचालन
चर्चित एनजीओ संचालिका गिरजा त्रिपाठी अपनी ऊंची रसूख की बदौलत वृद्धाश्रम को संचालन कर रही हैं. शहर से दूर वीराने स्थित आलीशन भवन में वृद्धाश्रम को बनाया गया है. लोगों पर अपनी धाक जमाने के लिए वृद्धाश्रम के दफ्तर में संचालिका गिरिजा त्रिपाठी ने सियासातदारों और पुलिस के बड़े अफसरों के साथ खींची गई अपनी फोटों को लगा रखा है.

स्थानीय युवक ने लगाए कई आरोप
स्थानीय युवक ने वृद्धाश्रम की आड़ में गलत काम किये जाने की आशंका जताई है, युवक ने कहा है कि देर रात में लग्जरी कारों में महिला और पुरूष वृद्धा आश्रम में आते हैं. स्थानीय युवक ने कहा है कि वृद्धाश्रम में बुजुर्ग की ठीक से देखभाल नहीं किया जाता है. युवक ने खुलासा करते हुए कहा कि यहां बुजुर्गों की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार भी ठीक तरीके से नहीं कराया जाता था. इसने आरोप लगाया कि लाश को ठिकाने लगाने के लिए टैंपू चालक को कुछ पैसा दिया जाता हैं. युवक ने बताया है कि अधिकारियों के निरीक्षण के वक्त ग्रामीणों को पैसा देकर वृद्धाश्रम में भर्ती कराया जाता है.

काउंसलिंग के बहाने आती थी लड़कियां
आसपास के लोगों का भी कहना है कि वृद्धाश्रम में कई बार लड़कियां देखी गई हैं. वृद्धाश्रम के एक कर्मचारी ने बताया कि बुजुर्गों की काउंसलिंग के लिए लड़कियां आती थीं. हालांकि, पुलिस वृद्धाश्रम में जांच पड़ताल करने नहीं गई है.

पीड़िता के बयान में था ‘गोरखपुर कनेक्शन’
खास बात ये है कि देवरिया की पीड़ित किशोरी ने भी अपने बयान में गोरखपुर कनेक्शन का जिक्र किया था, जिसमें उसने कहा है कि किशोरियों को देर रात में गोरखपुर लाकर गलत काम कराया जाता था.

आरोपों को बताया निराधार
वहीं, वृद्धा आश्रम के लिपिक अंकित मिश्रा ने सभी आरोपों को निराधार बताया है. अंकित मिश्रा का कहना है कि मां विंध्यवासिनी महिला एवं बालिका संरक्षण गृह के तहत वृद्धाश्रम संचालित किया जा रहा है. वहीं, वृद्धाश्रम का पेपर मांगने पर लिपिक टाल-मटोल करता रहा. इस पूरे प्रकरण में चौंकाने वाली बात ये है कि जानकारी के बावजूद जिला प्रशासन चर्चित एनजीओ संचालिका के अवैध वृद्धाश्रम पर कोई कार्रवाई करने से बचता रहा है.

 

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