पंजीरी घोटाला : ब्लैकलिस्ट कंपनी ने निगला कुपोषितों का पोषण

बाल विकास सेवा पुष्टाहार विभाग उत्तर प्रदेश में पुष्टा आहार आपूर्ति के टेंडर में बड़ा खेल हो रहा है। अपने चहेतों को टेंडर देने के लिए टेंडर के नियमों और शर्तों को ही तक पर रख दिया जा रहा है। 

57 जिलों में आपूर्ति के लिए 17 जिलों में किसी भी निविदा दाता ने निविदा ही नहीं डाली है। चौकाने वाली बात ये है कि 30 जिलों में से केवल एक ही निविदादाता निविदा डाली गयी है। जबकि लगभग आठ जिलों में केवल दो ही निविदा डाली गयी है।

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जबकि 57 में से केवल दो ही जिले ऐसे है जिनमे तीन या तीन से जयादा निविदा डाली गयी है। नियम के हिसाब से हर जिले में काम से कम तीन निविदा ही डाली जा सकती थी। ऐसे में विभाग के पास दोबारा टेंडर जाने के आलावा कोई और उपाय नहीं है। बता दें कि 14 निविदा दाताओं ने निविदा डाली जिसमे से तीन टेंडर की शर्तों के अनुसार न होने के कारण निरस्त कर दी गयी थी.

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जबकि एमपी एग्रोटॉनिक्स जिसने निविदा डाली है उसका इतिहास पहले से ख़राब है और कई आपराधिक मामलों में मुकदमा दर्ज़ होने के बावजूद निविदा में पास कर दिया गया। जेवी एस फूड प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 2001 से 2004 के बीच खाद्य कार्यक्रम के अतर्गत आपूर्ति की गयी थी। इस दौरान कंपनी द्वारा कई धांधलियां की गयी थी। कंपनी ने विभाग की आँखों में धूल झोंक कर बिलों में अधिक धनराशि प्राप्त की गयी थी।

इस मामले में इस कंपनी को आर्थिक अपराध शाखा द्वारा जाँच करके ब्लैक सूची में डाले जाने के आदेश पारित किये गए थे। इस आधार पर उच्च न्यायलय ने भी 2020 में ब्लैक सूची में डालने का आदेश दिया गया था। अधिकारियों ने आपसी साठ गांठ करके कंपनी को दूसरे नाम से डाला गया और उसे टेंडर की शर्तों और नियमों के खिलाफ योग्य मान लिया गया।

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कंपनी को टेंडर देने के लिए नियमों और शर्तों को भी तक पर रख दिया गया। सभी तथ्यों को बिड के रूप में अधिकारीयों के संज्ञान में होने के बावजूद कोई करवाई नहीं हुई। विभाग के अधिकारीयों द्वारा मामले की लगातार अनदेखी की जा रही है। इतना कुछ होने के बावजूद न ही निविदा निरस्त की जा रही हैं न ही कोई करवाई की जा रही हैं। जबकि निविदा को निरस्त करने की बजाय पास कर दिया गया।

 

 

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