पत्नी मेलानिया बनी US राष्ट्रपति ट्रंप नीति की आलोचक, कहा- नतीजे से हुई नफरत

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बच्चों एवं अभिभावक से जुड़ी नीति कमजोर पड़ती नजर आई है, ट्रंप की पत्नी और अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने ही उसकी आलोचना की है. नीति अमेरिकी सीमा पर प्रवासी माताओं-पिताओं और उनके बच्चों को अलग होने के विषय पर है.

पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की पत्नी लॉरा बुश ने भी मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति की नीति पर निशाना साधते हुए, बच्चों के उनके माता-पिता से अलग होने के कदम को क्रूर और अनैतिक बताया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इससे उनका मन हताश होता है.

गृह सुरक्षा विभाग के आंकड़ों की अगर बात की जाए तो 19 अप्रैल से 31 मई के बीच करीब 2,000 बच्चे अपने माता-पिता एवं अभिभावक से अलग हुए हैं, जिन्हें कुछ विशेष केंद्रों में रखा गया है. यह राष्ट्रपति ट्रंप की जरा भी बर्दाश्त नहीं करने की आव्रजन नीति के कारण हुआ है. इस मुद्दे पर अमेरिका में बहस उस वक्त तेज हो गई जब माता-पिता से अलगाव झेल रहे बच्चों की तस्वीरें और कहानियां लोगों के सामने आई, जिसकी उपज ट्रंप की विवादित आव्रजन नीति के कारण हुई.

बहुत कम देखा जाता है जब मेलानिया इस तरह के नीतिगत मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करती है. यह नीति उन्हें इस कदर खटकी कि अपनी प्रवक्ता के जरिए उन्होंने कहा कि बच्चों को उनके परिवारों से अलग होते देखने से उन्हें नफरत है. मेलानिया की संचार निदेशक स्टीफनी ग्रिशैम ने यह भी कहा कि हमें ऐसा देश बनने की जरूरत है जो सारे कानूनों का पालन करता .लेकिन ऐसा देश भी बनना है जहां शासन दिल से चलता हो. खुद आप्रवासी रह चुकी ग्रिशैम ने मेलानिया के माध्यम से कहा कि वह उम्मीद करती हैं कि सफल आव्रजन सुधार के लिए दोनों पक्ष साथ आएंगे.

बुश ने वॉशिंगटन पोस्ट में एक आलेख लिखकर कहा है, ‘मैं एक सीमाई राज्य में रहती हूं. मैं अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा की जरूरत मानती हूं, लेकिन यह जरा भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति क्रूर है. यह अनैतिक है. इससे मेरा दिल टूटता है.’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार को बच्चों को बॉक्स स्टोर में रखने के काम में शामिल नहीं होना चाहिए और न ही एल पासो के बाहर रेगिस्तान में तंबू डालकर रखना चाहिए. ये तस्वीरें द्वितीय विश्व युद्ध की जापानी अमेरिकी नजरबंदी शिविरों की याद दिलाती हैं, जिसे अब अमेरिकी इतिहास में सबसे शर्मनाक घटनाओं में गिना जाता है.’

ट्रंप प्रशासन की नीति के तहत अब अवैध रूप से सीमा पार करते पाए जाने वाले हर वयस्क व्यक्ति पर संघीय अपराधों का केस दर्ज किया जाता है. जबकि पहले अगर किसी वयस्क को उसके बच्चों के साथ सीमा पार करते गिरफ्तार किया जाता था तो उन्हें आव्रजन अदालतों के हवाले कर दिया जाता था.

सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया कि चूंकि सरकार माता-पिता को आपराधिक न्याय प्रणाली के तहत आरोपित कर रही है, बच्चे उनसे अलग कर दिए जा रहे हैं, कोई ऐसी स्पष्ट प्रक्रिया नहीं है कि वे फिर से एक हो सकें. कोई ऐसी सुविधा भी नहीं है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों का पता लगाने के लिए कॉल कर सकें.

सभी वयस्कों पर मुकदमा चलाने की नीति सात मई को घोषित की गई थी, लेकिन न्याय विभाग ने ऐलान किया कि वह अप्रैल की शुरुआत में उसके पास भेजे गए 100 फीसदी केसों में मुकदमा चलाएगा. राष्ट्रपति ट्रंप ने इस हालात के लिए बार – बार डेमोक्रेटिक पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है जबकि उनके प्रशासन ने नीति में बदलाव किया है.

 

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