फिर बोतल से बहार निकला नॉएडा का जिन्न……………………..,तो योगी का नोएडा जाना पार्टी पर पड़ रहा है भारी

लखनऊ । हाईप्रोफाइल कैराना सीट पर लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद बीजेपी में हाहाकार मचा हुआ है. पार्टी के अंदर से बगावती सुर सुनाई देने लगे हैं. इस बीच बीजेपी की हार की एक नई थ्योरी सामने आ रही है.

ये नई थ्योरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नोएडा दौरे को लेकर है. योगी आदित्यनाथ नोएडा को लेकर फैले तमाम अंधविश्वासों को दरकिनार करते हुए पीएम मोदी के साथ मेट्रो के उद्घाटन के लिए पहुंचे थे.

कैराना के रिजल्ट के बाद जबरदस्त तरीके से इस बात की कानाफूसी हो रही है कि योगी आदित्यनाथ का नोएडा जाना पार्टी को भारी पड़ रहा है. सोशल मीडिया पर लोग बीजेपी की हार को योगी के नोएडा दौरे से जोड़ रहे हैं. कोई नोएडा वाला भूत लिख रहा है तो कोई नोएडा का मनहूस साया.

दरअसल पिछले साल दिसंबर में योगी के नोएडा आने के बाद पार्टी यूपी में एक भी चुनाव जीत नहीं पाई है. पहले गोरखपुर और फूलपुर में हारी और अब कैराना में लोकसभा और नूरपुर में विधानसभा का चुनाव पार्टी योगी की अगुवाई में हार गई.

नोएडा को लेकर क्यों बनी ऐसी मान्यता?
सीएम रहते अखिलेश यादव कभी नोएडा नहीं आए, अखिलेश से पहले मायावती नोएडा आईं तो 2012 में उनकी सरकार चली गई. शुरुआत 1980 में वीर बहादुर सिंह के कार्यकाल से हुई थी वो नोएडा आए और बाद में कुर्सी चली गई. मुलायम 2003 में नोएडा आए तो 2007 में उनकी सरकार सत्ता में नहीं आई.

हालांकि ये एक अंधविश्वास ही है क्योंकि अखिलेश यादव इतने पढ़े लिखे और आधुनिक ख्यालों के नेता हैं फिर भी वो सीएम रहते नोएडा नहीं आए. इसके बावजूद पिछले साल विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी बुरी तरह से चुनाव हारी.

इसलिए ये कह सही नहीं होगा कि हार जीत में नोएडा आना असर डालता है. फिलहाल विरोधियों को इस विषय पर मजे लेने का मौका जरूर मिल गया है.

 

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