बच्चों को बताएं हर स्पर्श का मतलब

जिस तरह आप अपने बच्चे को खाना खाने, कपड़े पहनने समेत अन्य सभी चीजों की अहमियत सिखाती हैं, उसी तरह उन्हें हर स्पर्श का मतलब समझाना भी महत्वपूर्ण है, ताकि वे कभी किसी के द्वारा यौन शोषण का शिकार न होने पाएं.
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बच्चे बहुत मासूम होते हैं. उनकी नजर में संसार का हर शख्स अच्छा ही होता है, खासकर वे लोग जो उन्हें ज्यादा दुलार दें  प्यार करें. इस आयु में सच्चा  अच्छा प्यार पहचानने की क्षमता उनमें नहीं होती है. इस कारण वे अक्सर यौन शोषण का शिकार बनते हैं. बच्चों की एजुकेशन  सुरक्षा पर कार्यकर रहीं शिक्षाविद् डॉ जानकी राजन कहती हैं कि पिछले कुछ वर्षों की घटनाओं पर नजर डालें, तो बच्चों के साथ छेड़खानी  यौन शोषण के मामले बहुत ज्यादा बढ़े हैं.

स्कूल ही नहीं, घरों में भी छोटे बच्चे सुरक्षित नहीं हैं. लड़कियां ही नहीं लड़के भी हो रहे शिकार हुए हैं.आज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बच्चों को ‘गुड टच’  ‘बैड टच’ के बारे में बताना महत्वपूर्ण हो गया है. आप शहर में हों या गांव में, बच्चों को हर स्पर्श का मतलब समझाना महत्वपूर्णहो गया है, ताकि वे कभी किसी के द्वारा यौन शोषण का शिकार न होने पाएं.

करने होंगे ये उपाय

टीवी देखते समय किसी प्रकार के अंतरंग दृश्य आने पर या फिर यौन शोषण के दृश्य आने पर अक्सर हम टीवी बंद कर देते हैं या बच्चों को इधर-उधर भेज देते हैं. ऐसा करने की बजाय उन्हें वह देखने देना चाहिए, इससे उन्हें यह बात सरलता से समझ आती है कि ‘गुड टच’  ‘बैड टच’ क्या होता है?

बच्चों से स्कूल के दोस्तों, टीचर्स या स्टाफ आदि के बारे में जानकारी लेती रहें. क्लास के अतिरिक्तस्कूल में वह किन-किन एक्टिविटी में भाग लेता है  किस-किस टीचर से उसका वास्ता होता है, यह सब जानकारी अवश्य रखें. आैर यह सब बच्चा तभी आपसे शेयर करेगा, जब आप अपने बच्चे के करीब रहेंगी. यदि आप उन्हें हर समय डांटती फटकारती रहेंगी, तो वह कभी आपको अपनी बातें शेयर नहीं करेगा, यह बात ध्यान में रखें.

यदि यौन शोषण से जुड़े किसी केस को टीवी पर दिखाया जा रहा है, तो उसे भी बच्चे को देखने दें, ताकि बच्चा यह समझ सके कि ऐसी हालात में खुद को कैसे बचाना है? कैसे मदद हासिल करनी है?

जब भी पीटीएम में शामिल होने बच्चे के स्कूल जाएं, तो स्कूल के प्रवेश द्वार से लेकर बच्चे की कक्षा तक के रास्तों का खुद मुआयना करें  देखें कि सभी स्थान सुरक्षित हैं या नहीं. सुरक्षा व्यवस्था में कोई भी खामी दिखे, तो इसकी शिकायत स्कूल प्रबंधन से अवश्य करें.

यदि आपका बच्चा स्कूल बस से स्कूल जाता है, तो यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि बस ड्राइवर कंडक्टरों की पहचान सत्यापित कराई गई है या नहीं. इस बारे में स्कूल से जानकारी ले सकती हैं.

स्कूल परिसर में सीसीटीवी कैमरा जरूर हो, यह भी सुनिश्चित करें. इस बारे में भी स्कूल से जानकारी हासिल कर सकती हैं. बच्चे को उल्टा हालात में अपने को बचाने  मदद हासिल करने के उपायों के बारे में बताती रहें. अक्सर लोग छोटे बच्चे को लेकर गोद में बैठाकर उसे चूमने लगते हैं. अपने बच्चे के अंदर प्रारम्भ से ही इस बात का विरोध करने की बात डालें, क्योंकि किसके मन में क्या चल रहा है, यह सरलता से पता नहीं लगाया जा सकता.

बच्चे को बताएं कि प्राइवेट भाग को किसी को नहीं छूने देते हैं या न ही किसी को दिखाते हैं. विवाह या पार्टी में जाएं, तो खुद दोस्तों के बीच पूरी तरह व्यस्त न हो जाएं. बच्चों का ध्यान रखें, क्योंकि सूनसान ही नहीं, भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी अक्सर यौन शोषण की घटनाएं सामने आती हैं. कहीं बाहर जाना हो  बच्चों को घर पर छोड़ना हो, तो किसी महिला को भी घर पर छोड़कर जाएं  बीच-बीच में बच्चे से बातें करती रहें.

1. ऐसे कई कानूनी प्रावधान, प्रोग्राम आैर सेवाएं हैं, जिनके जरिए हम बच्चों की हिफाजत कर सकते हैं.
अगर कोई आदमी किसी बच्चे के बॉडी के किसी भाग को अश्लील प्रयोजनों के लिए उपयोग करता है, तो उसे तीन वर्ष की सख्त कारावास से दंडित किया जाएगा आैर जुर्माना भी होगा.
2. अगर कोई आदमी लैंगिक आशय से बच्चे के व्यक्तिगत अंगों का स्पर्श करता है या ऐसा करने के लिए दूसरों को बाध्य करता है, तो उसको तीन वर्ष से पांच वर्ष तक का सख्त कारावास होगा.
3. अगर कोई आदमी बच्चे के व्यक्तिगत अंग से छेड़छाड़ करता है, तो उसे सात वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सजा आैर जुर्माने से दंडित किया जाएगा.
4. कोई पुलिस अधिकारी, लोकसेवक, अस्पताल कर्मचारी,  किसी बच्चे पर लैंगिक उत्पीड़न करता है, तो उसको दस वर्ष के सख्त कारावस से लेकर आजीवन कारावास तक दंडित किया जाएगा.
5. लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 के निर्देशानुसार सभी संस्थान चाहे वह कोई शैक्षणिक संस्थान, बाल कल्याण संस्थान, अस्पताल या फिर कोई हॉस्टल हो, सभी का यह संवैधानिक कर्तव्य है कि वह बाल यौन शोषण के क्राइम की घटना या ऐसी कोई भी अपराधिक घटना होने की संभावना को तुरंत विशेष किशोर पुलिस इकाई या लोकल पुलिस या बाल कल्याण समिति को सूचित करें.
 

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