बिहारः NDA और महागठबंधन दोनों में तय हो गई है सीट शेयरिंग? फंसा है यह पेंच

पटना।  बिहार में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग की बात एनडीए और महागठबंधन दोनों में हो चुकी है. सूत्रों की मानें तो एनडीए और महागठबंधन दोनों में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो चुका है. जिसमें सभी पार्टियों के लिए सीटें तय कर दी गई है. हालांकि कुछ ऐसे पेंच हैं, जिसकी वजह से इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हो सकी है.

सूत्रों की मानें तो दोनों ही गठबंधनों में 20-20 का फॉर्मूला तय किया गया है. जिससे अब सीट शेयरिंग पर कुछ पार्टियां जो लगातार बयान दे रही थीं, चुप हो गई हैं. इसमें सबसे अहम रालोसपा है उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा को लेकर जिस तरह की चर्चाएं सियासी गलियारों में हो रही है. उससे अभी तक साफ नहीं हुआ है कि उपेंद्र कुशवाहा का स्टैंड क्या होगा. वह एनडीए के साथ ही रहेंगे या फिर महागठबंधन का दामन थामेंगे. हालांकि एनडीए छोड़ने की चर्चा काफी समय से चल रही है. लेकिन अब चुनाव आनेवाला है तो अब यह साफ होना ही है कि वह क्या करेंगे. लेकिन समय-समय पर वह एनडीए को कटघरे में खड़े कर महागठबंधन की ओर इशारा जरूर करते हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स में एनडीए की सीट शेयरिंग में 2 सीट रालोसपा को देने की बात सामने आ रही है. वहीं, महागठबंधन ने उन्हें 4 सीट देने का फैसला किया है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा अपना पाला बदल सकते हैं. क्योंकि उन्हें अहसास है कि उन्हें एनडीए में 4 सीटें शायद नहीं मिलेंगी. हालांकि अभी तक उन्होंने एनडीए के साथ रहने की बात कही है.

वहीं, महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है. बताया जाता है कि बिहार में महागठबंधन का फॉर्मूला आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने पहले ही तय कर दिया है. हालांकि सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर कांग्रेस की सहमति हुई है या नहीं, यह साफ नहीं किया गया है. महागठबंधन में भी 20-20 का फॉर्मूला तय किया गया है. इसके तहत आरेजडी 20 से अधिक सीटों में चुनाव नहीं लड़ेगी.

महागठबंधन में जीतनराम मांझी को दो सीट दिए जाने की खबर मिली है. लेकिन जानकारों की मानें तो उन्होंने तीन सीट की मांग की है. वहीं, शरद यादव की वजह से भी सीट शेयरिंग में पेंच फंसा है. शरद यादव को लेकर पहले से ही चर्चाओं का बाजार गरम है कि वह मधेपुरा सीट से मैदान में उतरेंगे.

बहरहाल सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तो तय है लेकिन सबसे अहम है कि गठबंधन के घटक दलों का इसे स्वीकार करना. अगर घटक दलों की इच्छा और अपेक्षाओं के अनुरूप सीट शेयरिंग तय नहीं किया गया है तो चुनाव से पहले दोनों गठबंधनों की तस्वीर काफी बदल जाएगी.

 

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