बुराड़ी कांड में नया खुलासा: 1 नहीं इन 5 आत्माओं को मुक्ति दिलाना चाहता था ललित

नई दिल्ली। दिल्ली के बुराड़ी में हुए 11 मौतों के मामले में एक अहम खुलासा हुआ है. घर से बरामद रजिस्टर में लिखी बातों पता चला है कि ललित अपने पिता के अलावा चार अन्य लोगों की आत्मा को मुक्ति दिलाना चहता था. ऐसा अंदेशा है कि घटना वाली रात इसीलिए भी इस क्रिया की तैयारी की गई थी. इतना ही नहीं भटिया परिवार करीब डेढ़ साल पहले उज्जैन भी गया था.

एक चश्मदीद के मुताबिक पूरे परिवार ने उज्जैन के भृतहरि गुफा और गढ़कालिका क्षेत्र में तांत्रिक क्रियाएं की थी. जब तांत्रिक ने लाखों रुपये की डिमांड की तो भाटिया परिवार इतने पैसे नहीं दे पाया. इसके बाद तांत्रिक ने उनके परिवार के पतन का श्राप दे दिया था. तांत्रिक से विवाद होने के बाद भटिया परिवार दिल्ली लौट आया और घर में ही पूजा-पाठ शुरू कर दिया था.

पुलिस को बरामद रजिस्टर के एक पेज पर 9 जुलाई 2015 को लिखा गया था, ‘अपने सुधार में गति बढ़ा दो. यह भी तुम्हारा धन्यवाद करता हूं कि तुम भटक जाते हो पर फिर एक दूसरे की बात मानकर एक छत के नीचे मेल मिलाप कर लेते हो. 5 आत्माएं अभी मेरे साथ भटक रही हैं. यदि तुम अपने में सुधार करोगे तो उन्हें भी गति मिलेगी. इससे सबका फायदा होगा’

आगे लिखा है, ‘तुम तो सोचते होंगे कि हरिद्वार जाकर सब कुछ कर आएं तो गति मिल जाएगी. जैसे मैं इस चीज़ के लिए भटक रहा हूं ऐसे ही सज्जन सिंह, हीरा, दयानंद और गंगा देवी मेरे सहयोगी बने हुए हैं. ये भी यही चाहते हैं कि तुम सब सही कर्म करके अपना जीवन सफल बनाओ. यदि हमारे नियमित काम पूरे हो जाएंगे तो हम अपने वास को लौट जाएंगे.’

रजिस्टर में जिन चार अन्य नामों का जिक्र किया गया है पुलिस उनके बारे में पता लगा रही है. इसके साथ ही सीसीटीवी फुटेज और घर से मिली डायरियों और रजिस्टर में लिखी गई बातों से सूत्रों के मुताबिक पुलिस इस नतीजे पर पहुंच चुकी है कि पूरा मामला साफ-साफ खुदकुशी का ही है. पिता की मौत के बाद से ललित ने रजिस्टर और डायरी लिखना शुरू किया था.

क्राइम ब्रांच को 5 जून 2013 से 30 जून 2018 तक की डायरी मिली है. पुलिस को कुल 11 डायरियां मिली हैं. इनमें लिखी बातों से पुलिस इस नतीजे पर पहुंचती नजर आ रही है कि ये मामला कत्ल का नहीं है. डायरियों में तीन चार तरह की लिखावट मिली है. कुछ लिखावट प्रियंका की है. ऐसा माना जा रहा है कि ललित बातों को प्रियंका नोट किया करती थी.

यह पूरा मामला बेहद नाटकीय तरीके से शुरू हुआ था. पिता की मौत के बाद दुकान पर ललित का झगड़ा हुआ था. हमलावरों ने उसे दुकान के अंदर बंद करके बाहर से आग लगा दी थी. ललित की जान तो बच गई लेकिन दहशत में उसकी आवाज चली गई थी. इस घटना से ललित व परिवार पूरी तरह टूट गया. कई साल तक ललित की आवाज नहीं लौटी थी.

एक रजिस्टर के मुताबिक ललित घर वालों को बताता था कि वो पिता की आत्मा से बात करता है. सूत्रों का कहना है कि ललित के सपने में एक दिन पिता आए और कहा कि वो चिंता न करे, जल्दी ही उसकी आवाज लौट आएगी. इस सपने को सुबह उठते ही उसने परिवार के साथ लिखकर साझा किया. फिर आए दिन सपने में ललित को अपने पिता दिखाई देने लगे.

कुछ दिनों बाद ललित की जब आवाज में सुधार हुआ तो उसकी अटूट आस्था शुरू हो गई. इसके बाद तो ललित अक्सर पिता की आत्मा से मिलने करने की करने लगा. वो जो कुछ कहता परिवार के लोग पिता का आदेश मानकर पूरा करते. इत्तफाक देखिये. ललित की बहन की मांगलिक प्रियंका की शादी में अड़चनें आ रही थी. पूजा-पाठ के बाद उसकी शादी तय हो गई.

यही नहीं, पहले भाटिया परिवार के पास तीन दुकानें हो गई. बताया जाता है कि पूरा परिवार इसका श्रेय पिता के बताए रास्ते को देता था और ललित इसका माध्यम था. इसलिए परिवार के लोग ललित को पिता की तरह सम्मान देते थे. उस रोज जो प्रक्रिया अपनाई जा रही थी, उसके पीछे मकसद परिवार को मिली खुशियों के लिए ईश्वर का धन्यवाद ज्ञापन करना था.

 

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