भारत में शरीया कोर्ट की कोई जगह नहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का ये कदम देशद्रोह जैसा: वसीम रिजवी

लखनऊ। देश के हर जिले में शरीया अदालतें खोलने के ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले को शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने देशद्रोह करार दिया है। एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत में संविधान है। इसके आधार पर ही जजों को नियुक्त किया जाता है। शरीया कोर्ट खोलने का मतलब है देश में समानांतर अदालतें खड़ी करना। उन्होंने कहा, इसकी देश में कोई जरूत नहीं। ये देशद्रोह है।

गौरतलब है कि तलाक व अन्य पारिवारिक मामलों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत के हर जिले में शरई कोर्ट खोलने की तैयारी कर रहा है। जिससे कि तलाक और निकाह जैसे मामलों का निपटारा देश के इन कोर्ट में किया जा सके।

पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने रविवार को बताया था कि बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में 15 जुलाई को दिल्ली में होने वाली कार्यकारिणी की बैठक में शरई अदालतों की संख्या बढ़ाने में उन पर होने वाले खर्च पर चर्चा की जाएगी। जिलानी का कहना है कि ये कोई नया विचार नहीं है बल्कि 1993 से इस पर काम किया जा रहा है।

पर्सनल लॉ बोर्ड का मकसद है कि तलाक, निकाह और जायदाद समेत मुसलमानों के पारिवारिक मामलों का फैसला शरीया कानून के मुताबिक किया जाए। जिसका विरोध करते हुए वसीम रिजवी ने इसे राष्ट्रद्रोह कहा है।

 

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