महाराष्ट्र में किसानों से “प्यार” और केरल में किसानों के मोर्चे पर “वार” यही है कम्युनिस्टों का असली चेहरा

वामपंथियों के “किसान प्रेम” का मुखौटा इतनी जल्दी उतर जायेगा सॊचा न था। पिछले दिनों महाराष्ट्र में किसान मोर्चा निकाल कर वाह वाही लूटने वाली कम्युनिस्टों की अपनी सरकार वाले राज्य केरल में इन्ही वामपंथियों ने मोर्चा निरत किसानों के तम्बू को ही आग में जला डाला। यही है इनका किसान प्रेम। केरल में वयलक्किली मोर्चे के दौरान सीपीआई(एम) के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा निरत किसानों के तम्बू को ही जलाकर राख कर दिया।

ये किसान हाईवे के काम के लिए किसानों की धान की 250 एकड़ खेत को अधिग्रहण करने के आदेश के विरॊध में सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन दे रहे थे। इस परिसर के लगभग 58 किसान सरकार के फैसले के खिलाफ धरना दे रहे थे। आदेश वापस ना लेने पर खुद को आग में झुलसाने की चेतावनी भी किसानों ने सरकार को दी थी। लेकिन सरकार ने किसानों की बात को सुनने के बजाये उनको गिरफ़्तार करने के आदेश दे दिया। 40 किसानों को गिरफ़्तार कर जेल में भर दिया गया। और भूमी अधिग्रहण का सर्वे का काम भी पूरा कर लिया।

इसके बाद सरकार के सीपीआई(एम) के कार्यकर्ताओं ने किसानों के मोर्चे के जगह पर पहुंचकर उनके शिविरों को आग लगा कर जला डाला। माहाराष्ट्र के किसानों पर मगरमच्छ के आँसू बहानेवाले सब के सब मर गये हैं। विनीत नामक एक किसान ने कहा कि सीपीआई(एम) के कार्यकर्ता उन्हें रॊज़ धमकाते हैं और विरोध प्रदर्शन करने की अनुमती नहीं देते। उनका कहना है कि वे हाईवे के खिलाफ नहीं है बल्कि धान के खेतों पर हाईवे बनाने के खिलाफ है और सरकार से मांग कर रहे हैं की धान की खेतों से हाईवे ना ले जाया जाये लेकिन सरकार उनकी एक नहीं सुन रही है। भाजपा शासित राज्यों की किसानों के बदहाली पर छाती कूट ने वाले लिबरल बुद्दिजीवियों को वामपंथी सरकार में किसानों की बदहाली नहीं दिखते, उनके ऊपर हो रहे अत्याचार नहीं दिखते। केरल और महाराष्ट्र की बातें छोड़िये ऒडिशा में सैकड़ों किसान ऋण छूट और पेंशन के लिए राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं और तो और उनमें से कई लोग भूख हड़ताल पर भी बैठे हैं। लेकिन उनका दर्द ना वामपंथियों को दिखता है ना देश के बिकाऊ मीडिया को दिखता है।

अंग्रेज़ी में इस बीमारी को सेलेक्टिव अटेनशन कहते हैं। आप को जिस विषय से निजी फायदा पहुंचता हो उस विषय में आप विषेश ध्यान देते हैं और बाकी चीज़ों को नज़र अंदाज़ कर देते हैं। वामपंथी और बुद्दीजीवी, धर्मनिरपेक्षता का स्वांग रचनेवलों को यही बिमारी है। 2019 के चुनावों के लिए महाराष्ट्र की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए वहां राजकीय अस्थिरता करना बेहद ज़रूरी है। जहां कहीं पर भी भाजपा शासित राज्य है वहां दंगे करवाकर सरकार को गिराना, किसानों और दलितों के नाम पर राजनीति कर जनता को बरगालाकर 2019 में मोदी जी को हराना यही है इनका अजेंडा। इनके अजेंडा को पहचानिए और इन्हें हराकर धूल चटाइये। कांग्रेस और कम्यूनिष्टॊं की फूट डाल कर राज करनेवाली राजनीति को नकारिये और सबका साथ सबका विकास करनेवाले मोदी जी को भारी बहुमत से जिताइये।

 

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