मुन्ना बजरंगी को पहले ही हो गया था अपने क़त्ल का अंदेशा, लगाई थी सुरक्षा की गुहार

लखनऊ/इलाहाबाद। बागपत जेल में फ़िल्मी अंदाज़ में मौत के घाट उतारे गए पूर्वांचल के माफिया डान मुन्ना बजरंगी को पहले ही अपनी हत्या का अंदेशा हो गया था. मुन्ना बजरंगी ने अपनी ज़िंदगी को खतरा बताते हुए जेल में भी अपने लिए सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग को लेकर कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. अपनी अर्जी में मुन्ना बजरंगी ने यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स पर कुछ लोगों से मिलकर जेल कैम्पस या फिर पेशी पर वाराणसी ले जाते समय रास्ते में फर्जी इनकाउंटर किए जाने की आशंका जताते हुए अदालत से सुरक्षा की गुहार लगाई थी.

हत्या को गहरी साजिश बताते हुए इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग
माफिया डान की इस अर्जी पर हाईकोर्ट से अभी कोई आदेश भले ही न हो पाया हो, लेकिन यह इत्तेफाक ही था, कि आज जिस दिन मुन्ना बजरंगी को मौत के घाट उतारा गया, उसी दिन हाईकोर्ट में उसकी अर्जी पर सुनवाई भी होनी थी. बहरहाल मुन्ना बजरंगी के क़त्ल के बाद हाईकोर्ट में उसकी वकील स्वाति अग्रवाल ने हत्या को गहरी साजिश बताते हुए इसकी सीबीआई जांच कराए जाने का आदेश दिए जाने की मांग को लेकर अलग से अर्जी दाखिल कर दी है.

मुन्ना बजरंगी ने जताई थी फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की आशंका
अर्जी में कहा गया है कि मुन्ना बजरंगी ने हाईकोर्ट में दाखिल अपनी अर्जी में यूपी पुलिस की एसटीएफ से ही अपनी जान को खतरा बताते हुए फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की आशंका जताई थी, इसलिए जेल में हुई उसकी हत्या की जांच केंद्रीय एजेंसी सीबीआई या किसी दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए. अर्जी में मुन्ना बजरंगी के परिवार को आर्थिक मुआवजा दिए जाने की भी मांग की है.

11 जुलाई को सुनवाई कर सकती है जस्टिस एसडी सिंह की बेंच
मुन्ना बजरंगी की वकील स्वाति अग्रवाल की तरफ से दाखिल इस अर्जी पर जस्टिस एसडी सिंह की बेंच बुधवार ग्यारह जुलाई को सुनवाई कर सकती है. अपने लिए जेल और पेशी पर ले जाते समय रास्ते में विशेष सुरक्षा की मांग को लेकर मुन्ना बजरंगी ने इसी साल सोलह मई को अर्जी दाखिल की थी. अर्जी दाखिल करने के समय वह झांसी जेल में बंद था. अर्जी में उसने यूपी सरकार, यूपी के डीजीपी, झांसी जेल के सुप्रीटेंडेंट और हत्या की एफआईआर दर्ज कराने वाले आशीष कुमार साहू को पक्षकार बनाया था.

हालांकि मुन्ना बजरंगी की इस अर्जी पर तकरीबन डेढ़ महीने तक सुनवाई नहीं हो सकी थी. चार जुलाई को हुई पहली सुनवाई में अदालत ने विपक्षियों से जवाब दाखिल करने को कहा था. सोमवार को अदालत मुन्ना बजरंगी की इस अर्जी पर कोई अंतरिम आदेश या फिर निर्देश जारी कर सकती थी.

 

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