‘राय साहेब’ की राय के भरोसे 2019 में अपनी नैया पर लगाएगी समाजवादी पार्टी

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के बड़े बड़े नेता इन दिनों ‘राय साहेब’ की कुंडली पता करने में लगे हैं. कोई उनका मोबाइल नंबर ढूंढ रहा है, तो कोई ये जानना चाहता है कि वे कहां के रहने वाले हैं. कुछ नेता ये पता कर रहे हैं कि ‘अध्यक्ष जी’ अखिलेश यादव से राय साहेब को किसने मिलवाया. जितने मुंह उतनी बातें. लेकिन सच ये है कि पार्टी के किसी नेता को उनका पूरा नाम तक नहीं पता है. लेकिन राय साहेब को सबने देखा है. उनकी क्लास में बड़े बड़े नेता से लेकर पार्टी के प्रवक्ता भी मौजूद रहे हैं.

समाजवादी पार्टी के नेता जब आपस में मिलते हैं. तो एक दूसरे से बस यही पूछते हैं ‘क्या राय साहेब के बारे में कुछ पता चला’ लेकिन इस सवाल का जवाब अब तक किसी को नहीं मिल पाया है. राय साहेब से एक विधायक ने मोबाइल नंबर पूछा तो वे बोले ‘मेरा नंबर सिर्फ़ अखिलेश यादव जी के पास है’. हाल में ही लखनऊ में समाजवादी पार्टी की लगातार चार बैठकें हुई. यादव, मुस्लिम और ग़ैर यादव पिछड़े नेताओं की अलग अलग मीटींग हुई. फिर पार्टी के प्रवक्ताओं की बैठक हुई. राय साहेब सभी मीटींग में मौजूद रहे. बूथ लेवल तक समाजवादी पार्टी कैसे मज़बूत हो से लेकर नेता कैसे भाषण दें. राय साहेब ने कई मुद्दों पर पार्टी नेताओं की क्लास ली.

यादव नेताओं को उनहोंने समझाया कैसे दलितों को पार्टी से जोड़ना है. तो मुस्लिम नेताओं को भी राय साहेब ने  कई टिप्स दिए. ईद-बक़रीद में होर्डिंग और बैनर में अखिलेश यादव की तस्वीर कैसी होनी चाहिए. बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ हिंदू विरोधी बयान और भाषण न दें. कोई ऐसा काम न करें जिससे हिंदुओं की भावना को ठेस पहुँचे. पीएम नरेन्द्र मोदी के ख़िलाफ़ अभद्र भाषा न बोलें. ग़ैर यादव पिछड़े नेताओं को भी राय साहेब ने राजनीति के गुर बताये. उन्होंने बताया कोई ऐसा काम न करें जिससे लगे कि पार्टी मुस्लिम समर्थक है. राय साहेब ने प्रवक्ताओं को बताया न्यूज़ चैनलों पर डिबेट में अपनी बात कैसे रखें. मीडिया से किस तरीक़े से बात करें, कपड़े किस तरह के हों. राय साहेब की क्लास में हर मुद्दे पर चर्चा हुई. सोशल मीडिया में किस तरह से अपनी बात रखें, कैसे ट्वीट करें. ये सब राय साहेब ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को बताया.

लोकसभा के उपचुनाव में  भी राय साहेब की राय आई बहुत काम

सूत्र बताते हैं कि हाल में हुए लोकसभा के उपचुनाव में  भी राय साहेब की राय बहुत काम आई. सीएम योगी आदित्यनाथ के इस्तीफ़े से गोरखपुर और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के इस्तीफ़े से फूलपुर सीट ख़ाली हुई थी. इनके सुझाव पर समाजवादी पार्टी नेताओं ने भाषण में संयम बनाए रखा. किसी बड़े मुस्लिम नेता को चुनाव प्रचार में नहीं लगाया गया. ग्राऊंड पर एसपी और बीएसपी कार्यकर्ताओं के तालमेल की कमान अखिलेश यादव के पास थी. बीजेपी के नेता लगातार इस गठबंधन को कोसते रहे, साँप छूछूंदर तक कह दिया. लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता उनकी जाल में नहीं फँसे. ऐसा लग रहा है कि राय साहेब सबको पसंद आ गए हैं. लेकिन असली चुनौती तो लोकसभा चुनाव की है. वैसे पिछले विधान सभा चुनाव में भी अखिलेश यादव ने चुनावी रणनीति बनाने के लिए एक एजेंसी की मदद ली थी.

समाजवादी पार्टी के नेताओं की एक बैठक में अखिलेश यादव और राय साहेब मौजूद थे. अखिलेश ने बताया ‘ये मिस्टर राय हैं, आप सबको चुनावी रणनीति से लेकर प्रचार के तौर तरीक़े बतायेंगे. बड़े क़ाबिल और पढ़े लिखे हैं. हमारी और आपकी मदद करने आए हैं’. फिर बारी आई राय साहेब की. उन्होंने अपनी बात ती शुरूआत इस तरह से की ‘हमें तो बीजेपी ने करोड़ों के ऑफ़र दिए थे. लेकिन मैं सामाजिक न्याय के लिए काम करना चाहता हूँ’. बिहार से भी कनेक्शन है राय साहेब का. बताया जाता है कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी उनके संपर्क में हैं. देश के एक दलित एक्टिविस्ट भी राय साहेब की मदद कर रहे हैं.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button