लखनऊ : कोरोना काल में बाजार बंदी का दंश झेल रहे है छोटे दुकानदार…

लखनऊ : पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेकर लाखो लोगो की जिंदगियां निगलने वाले कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए भारत मे 25 मार्च से लगातार 68 दिनों तक लॉक डाउन रहा। इस दौरान आवश्यक वस्तुओं को छोड़ कर कोई भी दुकान या बाजार नही खुले। हां ये जरूर है कि 25 से भारत मे लागू हुए लॉक डाउन के 40वें दिन भारत की अर्थ व्यवस्था को मजबूत करने के लिए शराब की दुकानों को खोला गया था।

  • लॉक डाउन से कोरोना वायरस की रोकथाम तो नही हो पाई.
  • कोरोना वायरस लगातार विस्तार करता गया.
  • अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह कम पडऩे लगी.
  • कोरोना के हजारो मरीजों को उनके घरों में ही आइसोलेट किया गया।
  • 68 दिनों के लॉक डाउन के बाद देश को अनलॉक किया गया और एक के बाद एक छूट देशवासियो को मिलती गई.
  • लेकिन 4 महीने के अनलॉक के बाद अगर किसी को कारोबार करने की इजाजत नही मिली तो वो है साप्ताहिक बाजारो में छोटी छोटी दुकानें लगा कर अपना घर चलाने वाले गरीब दुकानदारों को।
  • 25 मार्च से लेकर अब तक 25 रविवार बीत चुके है.
  • जब से लेकर आज तक पुराने लखनऊ में करीब सौ सालों से नक्खास में रविवार को लगने वाली साप्ताहिक बाजार का ताला नही खुला।
  • इस साप्ताहिक बाजार से हजारो छोटे दुकानदारों की रोजी रोटी जुड़ी है।

पुराने लखनऊ के नक्खास में लगती है यह ऐतिहासिक साप्ताहिक बाजार:-

  • पुराने लखनऊ के नक्खास में लगने वाली इस ऐतिहासिक साप्ताहिक बाजार से सिर्फ लखनऊ के दुकानदारों का वास्ता नही था.
  • बल्कि आसपास के कई जिलों से दुकानदार रविवार को यहाँ आकर अपनी दुकानें सजाते थे।
  • नक्खास की इस ऐतिहासिक साप्ताहिक बाजार में सिर्फ कपड़ा ही नही बल्कि अनेक नई पुरानी वस्तुए बिकती थी।
  • नए सामान और पुराने सामानों को खरीदने के लिए रविवार की सुबह से ही इस बाजार में ग्रहको का ऐसा रेला चलता था.
  • जिससे रविवार को नक्खास क्षेत्र की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो जाती थी.
  • लेकिन 25 रविवार ऐसे गुजरे जैसे गुरुवार की बन्दी के रविवार हो।
  • 25 मार्च के बाद दूसरे जिलों से नक्खास की बाजार में दुकानें लगाने वाले दुकानदार तो लखनऊ नही आए.
  • लेकिन नक्खास के आसपास रहने वाले तमाम ऐसे लोगों से मुलाकात के बाद पता चला कि साप्ताहिक बाजार की तालाबंदी की सिल्वर जुबली का उनके परिवारों पर कितना बुरा असर पड़ा है।
  • नक्खास की बाजार में छोटी सी दुकान लगा कर पूरे हफ्ते तक अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले सैकड़ो दुकानदारों की आर्थिक स्थिति अब दयनीय रूप धारण कर चुकी है।

इस साप्ताहिक बाजार में दुकानें लगाने वाले तमाम दुकानदारों का कहना है कि:-

  • जिस तरह से सरकार ने कोविड 19 प्रोटोकॉल के तहत लोगो को कारोबार करने की इजाजत दी है.
  • उसी तरह से हम गरीब दुकानदारों को भी सहूलियतें दी जानी चाहिए।
  • क्योंकि 183 दिनों से उनके कारोबार ठप है।
  • कुछ दुकानदार ऐसे भी है जिनकी बेटियों की शादियां होने वाली थी.
  • लेकिन ताला बन्दी की मार की वजह से बेटी की शादी को भी स्थगित करना पड़ा।
  • ऐतिहासिक नक्खास की साप्ताहिक बाजार के दुकानदारों की परेशानी का समाधान भी होना चाहिए।
  • क्योंकि मोदी जी ने कहा था कि आत्मनिर्भर बनो और कारोबार बंद रहते हुए ऐसे छोटे दुकानदारों के लिए आत्मनिर्भर बनना सम्भव नही है।
 

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