लखनऊ में पलटने से बची शताब्दी एक्सप्रेस, 700 यात्रियों की सांसें अटकी

लखनऊ। शताब्दी एक्सप्रेस के 700 से अधिक यात्रियों की सांसें तब अटकी गईं, जब यह पिपरसण्ड स्टेशन पर पलटते-पलटते बची। ट्रेन लखनऊ से दिल्ली जा रही थी। दरअसल, पटरियों की मरम्मत के बाद मजदूर ट्रैक पर ही उपकरण छोड़ गए, जिनके ऊपर से ही ट्रेन गुजर गई। इसकी जानकारी होते ही लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाए। ऐसे में करीब आधे घंटे बाद ट्रेन दोबारा रवाना हो सकी।

उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के लखनऊ-कानपुर रेलखण्ड पर सोमवार दोपहर पिपरसंड के पास ट्रैक की मरम्मत का काम चल रहा था। इसके लिए 50 से अधिक मजदूर लगे थे। उधर, दूसरी ओर दिल्ली के लिए शताब्दी एक्सप्रेस (12003) दोपहर करीब 3.35 बजे जंक्शन से रवाना कर दी गई। जब ट्रेन पिपरसंड पहुंचने वाली थी तो मजदूर ट्रैक से हट गए। इनमें से कुछ अपने उपकरण (गैस कटर आदि) ट्रैक पर ही भूल गए।

चूंकि, ट्रेन की स्पीड अधिक थी, इसलिए जैसे ही पायलट की नजर ट्रैक पर रखे उपकरणों पर पड़ी, उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए। हालांकि तब तक ट्रेन का काफी हिस्सा गुजर चुका था और उपकरण ट्रैक पर बोगियों के नीचे पड़े नजर आए। यात्रियों के अनुसार इस दौरान दो मजदूर भी चोटिल हो गए। यात्री मोहम्मद जाहिद ने बताया कि अचानक ट्रेन का ट्रैक बदल गया और जोरदार आवाज के साथ यह रुक गई। ट्रेन के पहिये थमने के बाद यात्रियों की जान में जान आई।

डीआरएम ने दिए जांच के आदेश
देर शाम तक मामला डीआरएम सतीश कुमार के संज्ञान में आया। उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच के आदेश दे दिए।

… और ट्रेन देखते ही भाग खड़े हुए मजदूर

शताब्दी एक्सप्रेस

शताब्दी एक्सप्रेस – फोटो : amar ujala
ट्रैक पर काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि मरम्ममत का काम चल रहा था, इसी दौरान सामने से हाईस्पीड ट्रेन आ गई। चूंकि, ट्रेन रफ्तार में थी इसलिए उपकरण छोड़कर भागना पड़ा। वहीं रेलवे अधिकारियों ने बताया कि मजदूर काम कर चुके थे और उपकरण गलती से ट्रैक पर छूट गए थे।

लोको पायलट से कहासुनी
ट्रैक पर मरम्मत कार्य चलने के बावजूद शताब्दी एक्सप्रेस को रोका नहीं गया। जब ट्रेन उपकरणों पर से गुजरी और लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्र्रेक लगाया तो यह रुकी। इसके बाद नाराज यात्रियों व काम करने वाले मजदूरों की लोको पायलट से कहासुनी तक हुई। हालांकि, पिपरसण्ड रेलवे स्टेशन मास्टर मो. असलम ने मारपीट की बात से इनकार कर दिया। उन्होंने इसके बारे में जानकारी से इन्कार कर दिया।

पहली बार नहीं हुई ऐसी लापरवाही
ट्रैक की मरम्मत के दौरान लापरवाही बरतने का यह पहला मामला नहीं है। इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही इससे पहले बाराबंकी रेलखण्ड पर भी उजागर हो चुकी है। यहां पटरियों को बदलने का काम चल रहा था और इसकी जानकारी लोको पायलट को नहीं दी गई थी। जब ट्रेन गुजरी तो पटरी टूट गई और रेलवे प्रशासन सकते में आ गया। हालांकि, कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ था। वहीं, पिपरसण्ड का मामला भी गंभीर है। ट्रैक पर उपकरण पड़े होने से बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।

उपकरण छूटने की बात बेबुनियाद
मामले पर उत्तर रेलवे के सीनियर डीओएम अजीत सिन्हा का कहना है कि ट्रैक पर उपकरण छूटने की बात बेबुनियाद है। पिपरसण्ड में पटरियों की मरम्मत के लिए सुबह 11.20 से दोपहर सवा एक बजे तक ब्लॉक लिया गया था। जहां सेफ्टी के लिए बैनर लगा हुआ था और 30 किमी प्रति घंटे का कॉशन था। शताब्दी यहां पहुंचने से पहले ही रुक गई थी।’

 

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