विकास दुबे ने शहीद सीओ पर 22 साल पहले भी चलाई थी गोली, तब बीएसपी नेताओं ने उसके लिए दिया था धरना

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कानपुर के बिकरू गांव में पुलिसकर्मियों पर हमले से जुड़ा एक बड़ा खुलासा हुआ है। इस हमले में शहीद हुए सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा से विकास दुबे की करीब 22 साल पुरानी दुश्मनी थी। मिश्रा तब कल्याणपुर थाने में सिपाही थे और दुबे से उनका आमना-सामना हुआ था। उस वक्त दोनों ने एक दूसर के ऊपर बंदूक भी तान दी थी और फायर किया। मगर दोनों में से किसी की बंदूक से फायर नहीं हो पाया था। इसके बाद देवेंद्र ने विकास को खूब पीटा और हवालात में बंद कर दिया।

उज्जैन से कानपुर लाए जाने के बीच एसटीएफ की पूछताछ में विकास दुबे ने खुद ये जानकारी दी। अधिकारियों के मुताबिक साल 1998 में विकास दुबे स्मैक की तीस पुड़िया और बंदूक के साथ कल्याणपुर से गिरफ्तार हुआ था। दुबे तब के थानेदार हरिमोहन यादव से थाने में ही भिड़ गया। ये देखकर देवेंद्र मिश्रा विकास से भिड़ गए। अधिकारियों के मुताबिक तब से ही विकास दुबे सीओ मिश्रा से रंजिश मानने लगा।

मिश्रा को जब बिल्हौर का चार्ज मिला तो दुबे समझ गया कि अब उसे परेशानी होगी। ऐसे में उसने थानेदार विनय तिवारी के साथ साठगांठ की और सीओ मिश्रा जब अपनी टीम के साथ बिकरू गांव में दबिश देने गए तो विनय ने मुखबिरी कर दी। शहीद देवेंद्र मिश्रा को करीब देढ़ साल पहले बतौर सीओ बिल्हौर की जिम्मेदारी मिली थी।

खास बात है कि तब तत्कालीन बीएसपी विधायक भगवती सागर और राजाराम पाल ने थाने में पहुंचकर खुद विकास दुबे की पैरवी की थी। जब पुलिस ने दोनों की बात नहीं मानी तो बसपा नेता थाने में ही धरना देने लगे। इससे साफ है कि विकास की शुरू से राजनीति में अच्छी पकड़ थी।

इधर कानपुर के नजदीक कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एक कथित मुठभेड़ में मारे जाने के एक दिन बाद उसके चार सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया। उसके दो सहयोगियों को महाराष्ट्र और दो को मध्यप्रदेश से गिरफ्तार किया गया। साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उसकी संपत्तियों और लेन-देन के ब्यौरे की जांच करेगा।

विकास की अपराध फाइल को अधिकारियों ने खंगालना शुरू कर दिया है। पुलिस ने उसकी पत्नी और बेटे को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था जो उसके अंतिम संस्कार के बाद लखनऊ स्थित अपने घर लौट आए हैं।

 

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