विकास दुबे मामले में फरार चल रहे एक आरोपी ने कुछ इस अंदाज में किया सरेंडर, देखें Video…

विकास दुबे मामले में फरार चल रहे एक आरोपी ने कुछ इस अंदाज में किया सरेंडर, देखें Video...

Vikas Dubey case surrendered manner An accused kanpur:- विकास दुबे मामले में फरार चल रहे एक आरोपी ने कुछ इस अंदाज में किया सरेंडर, देखें Video…

Vikas Dubey case surrendered manner An accused kanpur:-

  • विकास दुबे मामले में फरार चल रहे एक आरोपी ने चौबेपुर थाने में कुछ इस अंदाज में सरेंडर किया
  • पुलिस थाने पर साष्टांग दंडवत और गले में तख्ती के साथ

Vikas Dubey case surrendered manner An accused kanpur

कानपुर – विकास दुबे कांड में इनामी ने किया सरेंडर

  • 50 हजार के इनामी उमाकांत ने किया सरेंडर
  • एनकाउंटर के डर से उमाकांत ने किया सरेंडर
  • उमाकांत ने थाना चौबेपुर में किया सरेंडर
  • पत्नी, बच्चों को लेकर पहुंचा था उमाकांत
  • बिकरु कांड में वांछित चल रहा था उमाकांत

विकास दुबे केस- वायरल ऑडियो की भी होगी जांच

कानपुर कांड की जांच कर रही एसआईटी शहीद सीओ देवेन्द्र मिश्रा और पुलिस अधीक्षक (देहात) के बीच कथित बातचीत के ऑडियो की भी जांच कराएगी।

यह ऑडियो हाल ही में वायरल हुआ था।

इसमें शहीद सीओ कहते सुने गए हैं कि

थानाध्यक्ष चौबेपुर ने एक पूर्व एसएसपी को पांच लाख रुपये दे दिए।

यह एसएसपी डीआईजी होने के बाद कानपुर से हटा दिए गए थे।

ऑडियो में हो रही बातचीत में भ्रष्टाचार का विषय होने के कारण एसआईटी ने इसका संज्ञान लिया है।

अब पहले इसकी सत्यता की जांच कराई जाएगी।

  • सही पाने पर इसमें सामने आए तथ्यों की जांच की जाएगी।
  • आडियो में शहीद सीओ एसपी ग्रामीण से बातचीत कर रहे हैं।
  • इसमें वह चौबेपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी का जिक्र कर रहे हैं।
  • वह यह आरोप भी लगा रहे हैं कि
  • एसओ ने पूर्व कप्तान को पांच लाख रुपये दिए गए थे।
  • इसके अलावा वह यह अंदेशा भी जता रहे हैं
  • कि एसओ ने विकास दुबे को दबिश की जानकारी दे दी होगी।

जांच की समय सीमा 30 अगस्त तक बढ़ाई गई

शासन ने एसआईटी को 31 जुलाई तक अपनी जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था, लेकिन जांच में समय लगने के कारण यह समय सीमा 30 अगस्त तक बढ़ा दी गई है।

एसआईटी ने पिछले दिनों कानपुर, लखनऊ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से विकास दुबे के अलावा उसके परिवार, करीबी रिश्तेदारों और गैंग के सदस्यों को मिला कर कुल 57 लोगों के नाम खरीदे गए मकान, फ्लैट या भूखंडों के संबंध में जानकारी मांगी थी।

यह जानकारी भी अभी तक नहीं मिल पाई है।

 

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