शेल कंपनियों से जुड़े लोगों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी, सरकार के हाथ लगी अहम जानकारी

नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद सरकार के रडार पर आई शेल कंपनियों से जुड़े लोगों पर अब कार्रवाई तेज होने वाली है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अगले कुछ दिनों में सरकार ऐसे लोगों पर बड़ी कार्रवाई करेगी. कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को बैंक से शेल कंपनियों के जरिए हुए ट्रांजैक्शन की डिटेल्स मिली हैं. इन डिटेल्स के आधार पर सरकार कार्रवाई की तैयारी कर रही है. जानकारी के मुताबिक, शेल कंपनियों से जुड़े कुछ मामलों में SFIO की जांच भी शुरू हो चुकी है. आपको बता दें, कुछ दिन पहले ही कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने बैंकिंग सेक्रेटरी और इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) के चेयरमैन के साथ बैठक की थी. इसके बाद बैंकों ने शेल कंपनियों की डिटेल्स मांगी गई थी.

मंत्रालय को मिली बड़ी जानकारी
कॉरपोरेट मंत्रालय को बैंकों से जो डिटेल्स मिली हैं उनमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. नोटबंदी के दौरान इन शेल कंपनियों के जरिए मोटी ट्रांजैक्शन की गई थीं. बाद में इन कंपनियों की मदद से ही नोटबंदी के वक्त बैंकों में जमा की गई पूरी राशि निकाल ली गई. डिटेल्स में खुलासा हुआ है कि एक ही पते में करीब 400 कंपनियां रजिस्टर हैं.

2.36 लाख कंपनियां की गई थी निरस्त
इससे पहले भी शेल कंपनियों को लेकर लगातार जानकारी सामने आई हैं. कुछ महीने पहले ही सरकार ने 2.97 लाख कंपनियों को नोटिस भेजा था. यह सभी कंपनियां शेल कंपनियां हैं. यह सभी कंपनियां नॉन कंपलायंस पाई गई थीं. हालांकि, इनमें से 60 कंपनियों ने बाद में कंपलायंस पूरा कर लिया. बाद में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने 2.36 लाख कंपनियों को निरस्त कर दिया था. अब इनसे जुड़े लोगों पर कार्रवाई की जानी है.

सिर्फ ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल हुईं
शेल कंपनियों से जुड़े लोगों पर कार्रवाई की तैयारी ट्रांजैक्शन के आधार पर की जाएगी. दरअसल, कंपनी एक्ट में शेल कंपनी की परिभाषा नहीं है, लेकिन ये वो कंपनियां हैं जिनका कोई कारोबार नहीं है. इन कंपनियों का इस्तेमाल सिर्फ ट्रांजैक्शन के लिए किया गया था. कुछ कंपनियों को नोटंबदी के दौरान ही रजिस्टर कराया गया था.

ससंदीय समिति ने मांगी जानकारी
संसद की एक समिति ने हाल ही में सरकार से शेल कंपनियों की परिभाषा तय करने को कहा है. समिति ने पूछा है कि कंपनी कानून में यह साफ तौर पर बताए कि शेल कंपनियां किसे कहा जाए. समिति ने यह भी कहा कि धोखाझड़ी करने वाले और पर्याप्त जानकारी न देने वालों के बीच क्या फर्क है, यह भी साफ करना चाहिए.

क्यों अहम हैं ये सिफारिशें?
सरकार उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, जो लंबे समय से किसी तरह का कोई कारोबार नहीं कर रही हैं. साथ ही उन इकाईयों पर भी कार्रवाई हो रही है, जिनका इस्तेमाल कथित तौर पर काले धन को ठिकाना लगाने में किया जा रहा है.

 

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