सलमान खान के नाम पर आसाराम ने मांगी थी जमानत, 3 साल बाद दोनों जेल में बने पड़ोसी!
साल 2015 के मई की बात है, जोधपुर के सेंट्रल जेल में कैद नाबालिग से यौन उत्पीड़न के आरोपी आसाराम ने कहा था कि सजायाफ्ता सलमान खान को जमानत मिल सकती है तो मुझे क्यों नहीं, मैं तो केवल आरोपी हूं. इत्तेफाक की बात यह है कि करीब तीन साल बाद सलमान खान काला हिरण शिकार मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद इसी जोधपुर जेल में पहुंच गए हैं. दरअसल, उस दौरान हिट एंड रन केस मामले में निचली अदालत से सजा मिलने के बाद भी सलमान खान को जेल नहीं जाना पड़ा था. सजा मिलने के चार घंटे के भीतर सलमान खान ने बॉम्बे हाईकार्ट से जमानत हासिल कर ली थी. इसी को आधार बनाकर आसाराम ने खुद के भी जमानत की मांग की थी.
आसाराम साल 2014 से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं. बताया जा रहा है कि आसाराम और सलमान खान जोधपुर सेंट्रल जेल में पड़ोसी बन जाएंगे. दरअसल, इस जेल में सुरक्षित बैरक एक साथ ही बने हुए हैं. इन्हीं में से एक बैरक में सलमान खान को शिफ्ट किया जाएगा. जबकि आसाराम यहां पहले से रह रहे हैं.
आसाराम पर 16 साल की लड़की का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है. किशोरी ने 20 अगस्त, 2013 को आसाराम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. वहीं बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को 1998 के काले हिरन के शिकार मामले में पांच साल कैद की सजा सुनाई गई है. इसी मामले में चार अन्य सह आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया. यह चार अन्य आरोपी फिल्मी सितारे सोनाली बेंद्रे, सैफ अली खान, तब्बू और नीलम हैं.
52 वर्षीय सलमान को कानून की ओर से प्रतिबंधित लुप्तप्राय प्रजाति के दो काले हिरनों के शिकार के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 9/51 के तहत दोषी पाया गया. घटना बॉलीवुड फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान अक्टूबर एक-दो 1998 को जोधपुर के समीप कनकनी गांव में हुई थी.
अभिनेता को जोधपुर की सेंट्रल जेल ले जाया गया है. अगर सजा तीन साल जेल से कम की होती तो सलमान इसी अदालत में जमानत याचिका दाखिल कर सकते थे. लेकिन, उन्हें अब जमानत के लिए सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा.
अभिनेता के पक्ष का प्रतिनिधित्व वकील हस्तिमल सारस्वत कर रहे थे. सलमान को यह फैसला मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी देव कुमार खत्री ने सुनाया. इस दौरान सलमान की बहन अलविरा और अर्पिता भी मौजूद थीं.
मामले की सुनवाई पिछले 19 साल से चल रही थी और अदालत ने 28 मार्च की हुई अंतिम बहस के बाद आदेश को सुरक्षित रख लिया था.
जीव रक्षा बिशनोई सभा ने अन्य आरोपियों को बरी करने के फैसले का विरोध किया है. संगठन के राज्य अध्यक्ष शिवराज बिशनोई ने कहा कि इन्हें बरी करने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी.
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