सहारनपुर: पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद का हुआ निधन, इतने बार रहे संसद

सहारनपुर: पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद का सोमवार को निधन हो गया. वह 73 साल के थे. कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद मसूद का दिल्ली के अस्पताल में ईलाज चल रहा था और वह ठीक भी हो गए थे हालांकि बाद में उनकी तबियत बिगड़ गई.

काजी रशीद मसूद के भतीजे पूर्व विधायक इमरान मसूद ने कहा कि दिल्ली में ईलाज के बाद वह सहारनपुर लौट आए थे लेकिन उनकी तबियत फिर से खराब हुई और उन्हें रुड़की के एक नर्सिग होम में भर्ती कराया गया था जहां सोमवार सुबह उनका इंतकाल हो गया.

दिग्गज राजनेता काजी रशीद मसूद का निधन हो गया है। कई बीमारियों से जूझ रहे 73 साल के रशीद मसूद का रुड़की में इलाज चल रहा था। सोमवार सुबह 10 बजे के करीब उनका निधन हो गया। उनकी गिनती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दिग्गज राजनेताओं में होती थी। पांच दशकों के सियासी सफर में वह वीपी सिंह से लेकर मुलायम सिंह यादव के हमसफर रहे। वहीं, 2012 में वह कांग्रेस में भी शामिल हुए थे।

रशीद मसूद कुल नौ बार संसद के सदस्य रहे। अपने लंबे राजनैतिक करियर में लोकसभा के साथ ही राज्यसभा के लिए भी वह निर्वाचित हुए थे। सोमवार को रुड़की के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो जाने से समर्थकों में गम की लहर दौड़ गई। रशीद मसूद हार्ट और किडनी जैसी कई बीमारियों से जूझ रहे थे। पैतृक निवास गंगोह में उन्हें सपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। 1989 में केंद्र में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार में वह स्वास्थ्य मंत्री रहे थे।

1977 में शुरू की थी सियासत
रशीद मसूद पांच बार लोकसभा सदस्य होने के साथ ही चार बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए। 2012 में यूपी विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा। साथ ही केंद्रीय मंत्री का दर्जा देते हुए एपीडा का चेयरमैन बनाया था। उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव इमरजेंसी के तुरंत बाद 1977 में लड़ा था। वह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की।

जेल भी जाना पड़ा था

वर्ष 1989 का चुनाव उन्होंने जनता दल से लड़ा और फिर जीत दर्ज की। इस दौरान वह 1990 और 91 में स्वास्थ्य राज्य मंत्री थे। रहे। वर्ष 1994 में सपा में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने 1996 में इंडिन एकता पार्टी बनाई। वर्ष 2003 में सपा का दामन थाम लिया। वर्ष 2004 में उन्होंने सपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते।

2012 यूपी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में आ गए। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री रहने के दौरान एमबीबीएस के भर्ती मामले में सज़ा होने पर जेल गए और राज्यसभा की सदस्यता भी खोनी पड़ी थी। इस सबके साथ ही उन्हें लोकसभा के 1996, 1998, 99 और 2009 के चु्नाव में हार भी का सामना करना पड़ा।

 

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