सिद्धारमैया का दलित कार्ड, कांग्रेस के ये 2 चेहरे CM पद की दावेदारी में आगे

नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को आएंगे. लेकिन उससे पहले एग्जिट पोल के आए नतीजों से त्रिशंकु विधानसभा के संकेत मिल रहे हैं. गोवा, मणिपुर और मेघालय जैसी गलती कांग्रेस कर्नाटक में नहीं दोहराना चाहती है. राज्य में कांग्रेस मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ी थी लेकिन अब सिद्धारमैया ने ही दलित दांव चल दिया है. उन्होंने कहा कि अगर कोई दलित चेहरा मुख्यमंत्री बनता है तो पद छोड़ने को तैयार हैं. ऐसे में कर्नाटक में कांग्रेस के दो चेहरे हैं, जिनके नाम पर मुहर लग सकती है.

सिद्धारमैया ने कहा, ‘मैं दलित के लिए पद छोड़ने को तैयार हूं. अगर आलाकमान चाहे तो किसी दलित को सीएम बना सकता है. इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है.’ इसके साथ ही सिद्धारमैया ने एक फिर कहा कि यह उनका आखिरी चुनाव था. अब वो राजनीति में तो सक्रिय रहेंगे लेकिन चुनाव नहीं लड़ेंगे.

सिद्धारमैया दलित सीएम के बयान के कांग्रेस के दो दलित चेहरे के नाम पर कयास लगाए जा रहे हैं. सीएम के प्रमुख दावेदार के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम है. खड़गे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार किए जाते हैं. इसके अलावा कर्नाटक में पार्टी के दलित चेहरे के साथ-साथ जमीनी नेता के तौर पर उनका नाम आता है. 2013 में मल्लिकार्जुन खड़गे सीएम पद की रेस में भी थे. लेकिन पार्टी ने उनकी जगह सिद्धारमैया को सीएम बनाया था. इसके बाद खड़गे को राष्ट्रीय राजनीति की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

बता दें कि मल्लिकार्जुन खड़गे स्वच्छ छवि वाले नेता माने जाते हैं और 9 बार जीतकर विधायक बन चुके हैं और दूसरी बार सांसद हैं. कर्नाटक की राजनीति में लंबा अनुभव रखने वाले नेता हैं. ऐसे में  दलित सीएम के रूप में खड़गे सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.

सिद्धारमैया के दलित सीएम वाले बयान पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मैंने कभी भी दलित नेता के तौर पर मुख्यमंत्री पद की मांग नहीं रखी. अगर उन्हें मुझको एक नेता के रूप में स्वीकार करने में शर्म आती है, तो वो मुझे पार्टी का वरिष्ठ कार्यकर्ता मान लें. पार्टी मुझे मेरी जाति की बजाए, वरिष्ठता के आधार पर शीर्ष पद के योग्य मानती है तो मैं इसका स्वागत करता हूं.

उन्हें दलित सीएम बनाए जाने की संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि हर बार इस बारे में बात करने का कोई फायदा नहीं है. यदि ऐसा होना होगा तो होगा. खड़गे ने अप्रत्यक्ष रूप से सीएम पद के लिए अपनी दावेदारी की है.

दलित सीएम दावेदार के रूप में दूसरा नाम कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जी. परमेश्वर का है. पार्टी के दिग्गज नेता माने जाते हैं. लेकिन उनकी राह में सबसे बड़ी दिक्कत सिद्धारमैया खुद हैं. दोनों नेताओं के बीच रिश्ते बहुत बेहतर नहीं है. बावजूद इसके परमेश्वर राज्य में अपनी पहचान एक दलित नेता के तौर पर बनाने में सफल रहे हैं.

दलित सीएम वाले बयान पर जी परमेश्वर ने कहा कि सिद्धारमैया का बयान स्वागत योग्य है. मैं उनके इस कदम का स्वागत करता हूं. हालांकि उन्होंने अपनी दावदेरी पर बात करने से मना कर दिया. परमेश्वर ने कहा कि कांग्रेस की परपंरा है कि विधायक दल की बैठक और पार्टी के शीर्ष नेताओं से विचार-विमर्श के बाद ही सीएम के लिए निर्णय होता है. पिछली बार भी सिद्धारमैया को ऐसे ही चुना गया था, जो मौजूदा विधानसभा चुनाव में सीएम इन वेटिंग भी हैं.

दलित के लिए क्यों छोड़ रहे सीएम पद?

बता दें कि तमाम एग्जिट पोल कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा की ओर इशारा कर रहे हैं. ऐसे में एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस की भूमिका किंगमेकर वाली हो जाती है. सिद्धारमैया के साथ जेडीएस का छत्तीस का आंकड़ा रहा है. ऐसे में जेडीएस उनके नाम पर किसी भी हालत में राजी नहीं होगी. जेडीएस को बीजेपी के संग जाने से रोकने के लिहाज से सिद्धारमैया ने खुद ही दांव चल दिया है.

कांग्रेस त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जेडीएस का समर्थन हासिल करने के लिए दलित सीएम कार्ड खेल सकती है. कांग्रेस के इस दांव पर जेडीएस को भी एतराज नहीं होगा.

 

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