सुब्रमण्यम स्वामी का ममता बनर्जी पर हमला, बंगाल में की राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग

नई दिल्ली। एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बड़ा हमला बोला है. सुब्रमण्यम स्वामी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. इससे पहले कल राज्यसभा में स्वामी ने कहा था कि अगर हमारी सरकार पश्चिम बंगाल में आई तो हम वहां भी एनआरसी लागू करेंगे. एनआरसी का मुखर होकर विरोध कर रही ममता ने कहा है कि अगर आगे भी इस तरह की कोशिश जारी रही तो देश में गृहयुद्ध छिड़ सकता है. खूनखराबा मच सकता है.

भारत कोई धर्मशाला नहीं है- स्वामी

स्वामी ने कल कहा था, ‘’अगर कोई चटाई लेकर भारत के अंदर आ जाए तो क्या वह भारत का नागरिक हो जाएगा? भारत कोई धर्मशाला नहीं है जहां पर कोई भी किसी भी देश से आकर बस जाए. अभी तो असम में एनआरसी लागू हुआ है. अगर हमारी सरकार पश्चिम बंगाल में आएगी तो हम वहां पर भी एनआरसी लागू करेंगे.’’

गृह युद्ध पर ममता की टिप्पणी निंदाजनक- रिजिजू

वहीं ममता के खूनखराबा वाले बयान पर गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने भी उनपर निशाना साधा है. किरन रिजिजू ने कहा है कि राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने और हिंसा को उत्तेजित करने के लिए मुख्यमंत्री का कर्तव्य है. गृह युद्ध पर उनकी टिप्पणी निंदाजनक है.’’

गृह युद्ध हुआ तो ममता जिम्मेदार होंगी- अनंत कुमार

संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि अवैध घुसपैठिए हमें मंजूर नहीं हैं. उनको बाहर जाना ही पड़ेगा. अनंत कुमार का कहना है कि असम एकॉर्ड साल 1985 में राजीव गांधी ने किया था. लालकिले से उन्होंने ऐलान किया था कि हमने ऐतिहासिक समझौता किया है और कहा कि हम घुसपैठियों को बाहर कर देंगे. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने भी कई बार कहा कि अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालेंगे. लेकिन आज की कांग्रेस अवैध घुसपैठिए के पक्ष में है.

अनंत कुमार ने आगे कहा, ‘’जो बात वह कर रही हैं उसकी जिम्मेदारी उनकी होगी. कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होगी. ममता क्या कहना चाहती हैं. वह एक प्रदेश की मुख्यमंत्री हैं. असम में अवैध घुसपैठ से डेमोक्रेटिक इमबैलेंस हो चुका है. पूरे देश की जनता जानती है इसके लिए कौन जिम्मेदार है.

ममता ने की राजनाथ सिंह से मुलाकात

बता दें कि ममता बनर्जी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद यह मुद्दा उठाते हुए कहा था, ”मैंने गृहमंत्री से कहा है कि आपके नेता कहते हैं कि अगला टारगेट पश्चिम बंगाल है. ये आदेश किसने दिया है. अभी वे कहेंगे की बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र और यूपी में इसे लागू करना है. ऐसे देश नहीं चलेगा. गृहयुद्ध हो जाएगा. खूनखराबा हो जाएगा. सत्तारूढ़ दल का काम ये नहीं होता है.”

ममता ने कहा कि हमने असम के बारे में गृहमंत्री को बताया. उन्होंने आश्ववासन दिया है कि वो लोगों को परेशान नहीं करेंगे. मानवता का ख्याल रखा जाएगा. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या केंद्र सरकार असम की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में भी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) तैयार करने की कवायद चाह रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां एनआरसी पर बात करने के लिए आई. उन 40 लाख लोगों के नाम सौंपे जिनके नाम छूट गए हैं. मैंने उन्हें बताया कि उनका नेतृत्व दावा कर रहा है कि अगला एनआरसी बंगाल में बनेगा. उन्हें किसने अधिकार दिया है?’’ एनआरसी के सोमवार (30 जुलाई) को जारी किए गए अंतिम मसौदा सूची में करीब 40 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर कर दिया गया है.

क्या कहता है एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट?

असम में सोमवार को नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन की दूसरी ड्राफ्ट लिस्ट का प्रकाशन कर दिया गया. जिसके मुताबिक कुल तीन करोड़ 29 लाख आवेदन में से दो करोड़ नवासी लाख लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया है, वहीं करीब चालीस लाख लोगों के नाम इससे बाहर रखे गए हैं. NRC का पहला मसौदा 1 जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे. दूसरे ड्राफ्ट में पहली लिस्ट से भी काफी नाम हटाए गए हैं.

नए ड्राफ्ट में असम में बसे सभी भारतीय नागरिकों के नाम पते और फोटो हैं. इस ड्राफ्ट से असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को बारे में जानकारी मिल सकेगी. असम के असली नागरिकों की पहचान के लिए 24 मार्च 1971 की समय सीमा मानी गई है यानी इससे पहले से रहने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है.

 

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