स्वामीनाथन और श्रीधरन ने कहा- नहीं किया है JNU के अनिवार्य उपस्थिति का समर्थन

नई दिल्ली। जेएनयू के 90 शिक्षकों के समूह ने शुक्रवार को दावा किया कि प्रशासन द्वारा लाए गए अनिवार्य उपस्थिति के फरमान का प्रसिद्ध वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन और ‘मेट्रो मैन’ ई. श्रीधरन से समर्थन किया है. लेकिन थोड़ी देर बाद ही दोनों ने ऐसे किसी समर्थन से इनकार कर दिया.

आउटलुक में छपी खबर के मुताबिक प्रो. अतुल जौहरी, जो शिक्षकों के इस समूह का नेतृत्व कर रहे थे, उन्होंने यह कहा कि कई प्रमुख अकादमिक हस्तियों ने जेएनयू में अनिवार्य उपस्थिति का समर्थन किया है, जिसमें कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन, इसरो के पूर्व चेयरमैन जी. माधवन नायर और इस तरह कई लोग शामिल हैं.

हालांकि जब पीटीआई ने वैज्ञानिक स्वामीनाथन और उनकी जीवनी लिखने वाले परशुरामन से संपर्क किया, जो दिल्ली एक समारोह में शामिल होने आए थे, उन्होंने ऐसे किसी भी तरह के समर्थन से इनकार किया. परशुरामन ने कहा कि यह बहुत ही अनैतिक बात है अगर कोई ऐसा कर रहा है तो.

श्रीधरन ने भी कहा कि उन्होंने इस तरह के किसी भी बात का समर्थन नहीं किया है. उन्होंने कहा कि उन लोगों ने मुझसे संपर्क किया था लेकिन मैंने उन्हें किसी तरह का समर्थन नहीं दिया है.

छात्र संघ और शिक्षक संघ कर रहे हैं विरोध

जेएनयू में हाल में 75 फीसदी अनिवार्य उपस्थिति को लेकर काफी विवाद चल रहा है. जेएनयू छात्रसंघ और जेएनयू शिक्षक संघ प्रशासन के इस कदम का विरोध किया है.

जेएनयू के जो शिक्षक प्रशासन के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि हम जेएनयू को बेहतरीन और चमकदार यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते हैं. हमें उम्मीद है कि जेएनयू के छात्र लोकप्रिय चलनों और पहले से स्थापित नियमों का पालन करेंगे. उन्होंने कहा कि इस वजह से हम अनिवार्य उपस्थिति के खिलाफ चलाए जा रहे कैंपेन की निंदा करते हैं.

शिक्षकों के इस समूह ने आरोप लगाया कि जेएनयू छात्रसंघ जेएनयू शिक्षक संघ के इशारे पर काम कर रहा है. इस समूह ने यह भी कहा कि हम जेएनयू शिक्षक संघ से अपील करते हैं कि वे जेएनयू छात्र संघ के विध्वंसकारी व्यवहार की निंदा करे. अगर शिक्षक संघ ऐसा नहीं करता है तो हम शिक्षक संघ को अपना फीस देना बंद कर देंगे. इन शिक्षकों ने जेएनयू छात्रसंघ के पदाधिकारियों के खिलाफ वाइस चांसलर के पास शिकायत भी दर्ज करवाई है.

छात्र लगातार अनिवार्य उपस्थिति का विरोध कर रहे हैं. इस कड़ी में बुधवार को रेफरेंडम (जनमत संग्रह) हुआ. जहां 98 प्रतिशत छात्रों ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने इसके खिलाफ मतदान किया. जानकारी के मुताबिक इस गुप्त मतदान प्रक्रिया में कुल 4450 छात्रों ने हिस्सा लिया.

गुरूवार को इसका परिणाम जारी किया गया. परिणाम के मुताबिक 4338 छात्रों ने इस नियम के खिलाफ मतदान किया. वहीं मात्र 41 यानी 0.92 प्रतिशत छात्र इसके समर्थन में दिखे. कुल 27 वोट अमान्य करार दिए गए.

 

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