हाथरस मामला: सामने आया दो अलग अलग रिपोर्ट का सच, पहली में रेप की बात दूसरी में…

हाथरस मामले में आए दिन नए नए खुलासे सामने आ रहे हैं। पीड़िता का एक वीडियो जारी हुआ था जिसमें उसने इस बात की हामी भरी थी कि उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया था। उसके लगभग 1 हफ्ते के बाद मेडिको-लीगल निरीक्षण में ये पता चला था कि उसका गाला दबाया गया था साथ ही उसका मुँह भी बाँधा गया था।

लेकिन इसी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ने अपनी फाइनल ओपिनियन में, फॉरेंसिक विश्लेषण का हवाला देते हुए इंटरकोर्स (संभोग) की संभावना को खारिज कर दिया।

बता दें कि, रिपोर्ट में बताया गया था कि, पीड़िता का दुपट्टे से गला दबाया गया था. पीड़िता के बयान के आधार पर चार संदिग्धों को आरोपी बनाया गया है। एमएलसी रिपोर्ट के मुताबिक ‘पीड़िता का मुंह बंद कराया गया’ और उसे हत्या के इरादे से किए गए हमले का सामना करना पड़ा।

निष्कर्षों से जुड़े आरेखों (डायग्राम्स) में, गला दबाने से पीड़िता की गर्दन पर लिगचर मार्क्स दाईं ओर 10×3 सेमी, और बाईं ओर 5×2 सेमी के थे।

लेकिन वैजाइनल एरिया को दर्शाने वाले डायग्राम में कोई चोट की रिपोर्ट नहीं है। हालांकि, एमएलसी ने दर्ज किया है कि पीड़िता को ‘कम्पलीट पेनिट्रेशन’ का सामना करना पड़ा था।

JNMC के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट में सहायक प्रोफेसर डॉ फैज अहमद की ओर से हस्ताक्षरित, रिपोर्ट में एक सेक्शन में “पता नहीं” लिखा गया. ये सेक्शन इस संबंध में था कि क्या पीड़ित के शरीर के अंगों या कपड़ों में अंदर या बाहर वीर्य के सैम्पल थे.

निरीक्षण रिपोर्ट 22 सितंबर को दोपहर 1.30 बजे पूरी हुई. पीड़िता पर हमला 14 सितंबर को हुआ था. निरीक्षण करने वाली डॉक्टर भूमिका के मुताबिक पीड़िता को मजबूर किया गया था. हालांकि, उन्होंने साथ ही कहा कि एक विस्तृत राय केवल एक विस्तृत विश्लेषण के बाद एक सक्षम फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की ओर से ही दी जा सकती है.

डॉक्टर भूमिका ने लिखा, “लोकल निरीक्षण के आधार पर, मेरी राय है कि बल इस्तेमाल किए जाने के संकेत हैं. हालांकि, पेनिट्रेटिव इंटरकोर्स (संभोग) के संबंध में राय सुरक्षित है क्योंकि एफएसएल रिपोर्ट की उपलब्धता लंबित है.”

क्या कहती है अंतिम राय

लेकिन 10 अक्टूबर को हाथरस जिले के सादाबाद पुलिस स्टेशन को दिए गए पत्र में, जेएनएमसी ने सैम्पल्स की पूरी फॉरेंसिक जांच का हवाला दिया और निष्कर्ष निकाला कि पीड़िता का यौन उत्पीड़न नहीं किया गया था. इसमें लिखा गया है कि ‘वैजाइनल/एनल इंटरकोर्स के कोई संकेत नहीं हैं.’

डॉ अहमद की ओर से हस्ताक्षरित पत्र में पीड़ित की गर्दन और पीठ पर चोट के निशान का जिक्र है. जेएनएमसी के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग ने कहा, “शारीरिक हमले (गर्दन और पीठ पर चोट) के सबूत हैं.”

 

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