17 साल बाद होगा ऐसा जब अखिलेश नहीं होंगे किसी सदन के सदस्य

लखनऊ। सन् 2000 में कन्नौज से अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शनिवार को आधी रात के बाद से किसी भी सदन के सदस्य नहीं होंगे. 5 मई को उनका कार्यकाल उत्तर प्रदेश की विधानसभा में खत्म हो रहा है और अब अखिलेश यादव एक आम राजनीतिक कार्यकर्ता की तरह हो जाएंगे.

शनिवार को यूपी के उच्च सदन में उनका आखिरी दिन है, 5-6 मई रात 12 बजे से अखिलेश यादव किसी भी सदन के सदस्य नहीं होंगे. अखिलेश यादव का विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त होगा, 17 साल बाद ऐसा पहली बार होगा जब अखिलेश यादव किसी भी सदन के सदस्य नहीं होंगे.

अखिलेश यादव ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि 2019 में वह कन्नौज से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे यानी अगले 1 साल तक अखिलेश किसी भी सदन के सदस्य नहीं बनेंगे और 2019 में पत्नी डिंपल की खाली की गई सीट से वह चुनाव लड़ेंगे.

कैराना उपचुनाव के लिये गठबंधन की सुगबुगाहट

दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव को लेकर बढ़ती गहमागहमी के बीच राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के उपाध्यक्ष जयन्त चौधरी ने शनिवार को समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की.

दोनों के बीच हुई इस मुलाकात का ब्योरा नहीं मिल सका है, लेकिन माना जा रहा है कि बैठक में कैराना लोकसभा उपचुनाव को लेकर बात हुई है. सपा के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने इस बैठक में हुई बातचीत के बारे में कोई जानकारी नहीं होने की बात कही.

हालांकि कैराना उपचुनाव में रालोद को मदद दिये जाने की सम्भावना के सवाल पर उन्होंने इतना जरूर कहा कि सपा कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव लड़ने की तैयारी में पहले से ही लगी है.

 

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