19 साल पुरानी है रेप आरोपियों को फांसी देने की मांग, क्या मोदी सरकार करेगी पूरी?

नई दिल्ली।  जम्मू-कश्मीर के कठुआ में जिस तरह 8 साल की बच्ची के साथ रेप और बाद में हत्या कर दी गई इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस घटना को लेकर पूरे देश में गुस्सा है. जिस तरह 2012 में निर्भया मामले के बाद देशवासियों ने इस प्रकार के मामलों में फांसी की सजा की मांग की थी, एक बार फिर ये मांग उठ रही है.

पार्टी लाइन से इतर कई नेताओं ने भी 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने पर फांसी की सजा देने की बात कही है. इस मांग को राष्ट्रीय और राज्य स्तर के नेताओं ने अपनी आवाज बुलंद की है.

राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने उठाई आवाज़

कठुआ मामले के बाद केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने पॉक्सो एक्ट में बदलाव की बात कही. उन्होंने कहा कि अभी इस एक्ट के तहत किसी बड़ी सज़ा का प्रावधान नहीं है लेकिन हमारी सरकार इस पर विचार कर रही है. मेनका गांधी की इस अपील के बाद हेमा मालिनी, अनुप्रिया पटेल समेत कई लोगों ने इस बात का सपोर्ट किया.

राज्य सरकारों ने भी की अपील

कठुआ रेप केस के बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने नया कानून लाने की बात कही. ना सिर्फ महबूबा मुफ्ती बल्कि फारुक अब्दुल्ला ने भी इस मांग का समर्थन किया है. वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इन मामलों में कड़ी सजा की बात कही है. केजरीवाल ने भरोसा दिया है कि अगले सत्र में वो विधानसभा में इस पर कानून पेश करेंगे. वहीं दिल्ली में फास्ट ट्रैक कोर्ट का भी गठन किया जाएगा.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल भी लगातार रेप की घटनाओं के विरोध में अनशन पर हैं. उन्होंने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चिट्ठी लिखी है. उन्होंने ऐसे मामलों में कड़ी सज़ा की मांग की है.

बीते दिनों में क्या हुआ?

गौरतलब है कि करीब तीन राज्यों ने इस प्रकार की घटनाओं में कड़ी सज़ा के लिए बिल को पास कर दिया है. इनमें मध्यप्रदेश की सरकार ने बीते दिसंबर में बिल को पास किया था. वहीं इसके बाद हरियाणा की खट्टर सरकार और राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने भी ऐसे ही प्रावधानों को पेश किया है. ये तीनों ही बीजेपी शासित राज्य हैं.

1998 से उठ रही है मांग

रेप के मामलों में कड़ी सजा की मांग पिछले 19 सालों से चल रही है. उस दौरान तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने रेप के आरोपियों को फांसी देने की अपील की थी. उस दौरान उन्होंने कहा था कि इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार को साथ में विचार करना चाहिए.

उस दौरान राम दास अठावले ने सुझाव दिया था कि POTA का उपयोग रेप आरोपियों के खिलाफ किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि 2012 के निर्भया केस के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने भी कहा था कि वो रेप के आरोपियों पर कड़ी सजा का प्रावधान करने की बात कही थी.

अब तक क्या हुआ?

आंकड़ों की मानें तो पिछले काफी समय में भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध में बढ़े हैं. हर 53 मिनट में एक महिला का रेप किया जाता है. वहीं हर सात मिनट में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटना सामने आती हैं. मनमोहन सरकार ने उस दौरान जेएस वर्मा कमेटी का गठन किया था जो कि कानून की कानून पर विचार करने की बात कही थी.

 

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