25 सालों बाद समाजवादी पार्टी और बीएसपी में चुनावी तालमेल हुआ, उपचुनावों से होकर राज्य सभा पहुंचेंगी मायावती

लखनऊ। यूपी में लोकसभा की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए मायावती ने अखिलेश यादव को समर्थन देने का फैसला किया है. गोरखपुर और फूलपुर में बीएसपी नेताओं की बैठक के बाद इसका एलान हुआ. ठीक 25 सालों बाद समाजवादी पार्टी और बीएसपी में चुनावी तालमेल हुआ है. लेकिन दोनों ही पार्टियों के नेता न तो मंच साझा करेंगे और न ही साथ-साथ प्रचार करेंगे. साथ ही बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये भी साफ कर दिया है कि ये समर्थन केवल उपचुनावों के लिए है और अभी लोकसभा चुनावों को लेकर ऐसी कोई सहमति नहीं बनी है. मायावती ने राज्य सभा पहुंचने के लिए समाजवादी पार्टी को लोकसभा उपचुनाव में समर्थन दे दिया है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के इस्तीफ़े के बाद गोरखपुर की सीट ख़ाली हुई है. वे यहां से लगातार 5 बार सांसद रहे. फूलपुर से एमपी रहे केशव प्रसाद मौर्य अब यूपी के डिप्टी सीएम हैं.

उपचुनाव के लिए साथ आई SP और BSP

होली से तीन दिन पहले बीएसपी और समाजवादी पार्टी के नेताओं के बीच बातचीत शुरू हुई. मामला लोकसभा उपचुनाव का था. यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी और बीएसपी नेता लालजी वर्मा की मुलाक़ात हुई. दो दौर की मीटिंग हुई. अखिलेश यादव और मायावती को सारी बातें बताई गईं. पिछले 9 सालों से बीएसपी कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ती है. गोरखपुर और फूलपुर से समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार का एलान कर चुकी थी. मायावती और अखिलेश यादव के बीच कोई सीधी बातचीत या फिर मुलाकात नहीं हुई. लेकिन उपचुनाव को लेकर एसपी और बीएसपी के बीच डील पक्की हो गई.

आज इलाहाबाद में बीएसपी के ज़ोनल कोऑर्डिनेटर अशोक गौतम ने पार्टी के लोकल नेताओं की मीटिंग बुलाई. इस बैठक में बहनजी का संदेश पढ़ कर सबको सुनाया गया. जिसके बाद मीटिंग में एसपी के उम्मीदवार नागेन्द्र पटेल को बुलाया गया. बीएसपी के नेताओं से उनका परिचय कराया गया. ठीक ऐसा ही गोरखपुर में भी हुआ. बीएसपी के ज़ोनल कोऑर्डिनेटर घनश्याम खरवार ने पार्टी नेताओं की मीटिंग के बाद एसपी को समर्थन देने का एलान किया. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रवीण निषाद भी मीटिंग में मौजूद रहे.

राज्यसभा के लिए हो रही है तैयारी

अब सब जानना चाहते हैं कि क्या मायावती और अखिलेश यादव का साथ अगले लोकसभा चुनाव तक रहेगा. अंदर की ख़बर ये है कि राज्य सभा चुनाव तक के लिए ही तालमेल हुआ है. हमारी इस खबर पर अब खुद मायावती भी मुहर लगा चुकी हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य सभा पहुंचने के लिए समाजवादी पार्टी को लोकसभा उपचुनाव में समर्थन दे दिया है. आपको बता दें कि 23 मार्च को यूपी से दस सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. बीजेपी आसानी से 8 नेताओं को राज्य सभा भेज सकती है. 47 विधायकों वाली समाजवादी पार्टी आसानी से नौवीं सीट जीत लेगी. बीएसपी के 19 और कांग्रेस के 7 एनएसए हैं. राज्य सभा सीट जीतने के लिए 37 विधायकों का वोट चाहिए.

अगर एसपी, बीएसपी और कांग्रेस एकजुट हुए तो मायावती फिर से राज्य सभा पहुंच सकती हैं. उपचुनाव में एसपी को समर्थन देने के बदले एमपी बनने को लेकर कोई डील तो नहीं हुई है ? अखिलेश के क़रीबी नेता उदयवीर सिंह कहते हैं “ हमारा मक़सद सिर्फ़ बीजेपी को हराना है. अगर हम दोनों सीट जीत गए तो फिर अगले लोक सभा चुनाव से पहले हवा बदल जाएगी.बीएसपी के समर्थन से हमें मज़बूती मिलेगी”. वैसे बीएसपी का कोई बड़ा नेता इस नई दोस्ती पर मुंह खोलने को तैयार नहीं है. समर्थन पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुटकी लेते हुए कहा ”रहीम कैसे निभे केर बेर का संग”.

इन पार्टियों के साथ बीएसपी कर चुकी है समर्थन

कोई ऐसी पार्टी नहीं बची यूपी में, जिसके साथ मायावती की बीएसपी ने समर्थन न किया हो. 1993 में पहली बार एसपी और बीएसपी के बीच समझौता हुआ था. उन दिनों बीएसपी के कांशीराम ज़िंदा थे. मुलायम सिंह यादव को पार्टी बनाए हुए साल भर ही हुआ था. वो दौर था अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन का. उस ज़माने में बीजेपी के ख़िलाफ़ नारे लगते थे- मिले मुलायम और कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम. उग्र हिंदुत्व के दौर में भी बीएसपी और एसपी के समर्थन ने बीजेपी को पछाड़ दिया था. अब सवाल ये है क्या फिर ऐसा हो सकता है ? जितने मुँह, उतनी बातें. अब तो चुनावी नतीजे ही बतायेंगे हाथी को साइकिल की सवारी कैसी लगी .

 

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