42 साल के करियर में कोई पछतावा नहीं, रिटायर होने के बाद बोले जस्टिस चेलमेश्वर

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे. चेलमेश्वर शुक्रवार को रिटायर हो गए. रिटायमेंट के बाद इंडिया टुडे को दिए खास इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें अपने 42 साल के करियर में कोई पछतावा नहीं है. उन्‍होंने आगे कहा, न्यायपालिका के साथ कुछ समस्याएं बनी हुई हैं, लेकिन वे सिस्‍टम से लड़े हैं.

बता दें, जस्टिस जे. चेलमेश्वर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के खिलाफ बगावत करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार न्यायाधीशों में शामिल थे. न्‍यायपालिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर अपनी बात रखी.

न्यायपालिका के साथ कुछ समस्याएं

जस्‍ट‍िस जे. चेलमेश्‍वर ने सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस पर कहा, 12 जनवरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो हुआ वो वास्तव में अभूतपूर्व था. अभूतपूर्व घटनाओं के अभूतपूर्व परिणाम होते हैं. चेलमेश्वर ने कहा कि वह सिस्टम से लड़ रहे थे और न्यायपालिका के साथ कुछ समस्याएं बनी हुई हैं.रिटयमेंट के साथ ही खाली किया सरकारी बंगला

बता दें, जस्‍ट‍िस जे. चेलमेश्‍वर की शख्‍सियत को आप इस तरह से जान सकते हैं कि रिटायर होने के दिन ही उन्‍होंने अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया. वो भी सुबह 5 बजे. जस्‍ट‍िस चेलमेश्‍वर 4 तुगलक रोड पर सरकारी बंगले में रहते थे. इस बंगले में वो 6 साल पहले आए थे. जस्‍ट‍िस चेलमेश्‍वर ने रिटायरमेंट के बाद अपने गृहप्रदेश (आंध्र प्रदेश) लौटने का फैसला किया है.कई अहम फैसलों में रहे शामिल

जस्टिस चेलमेश्वर कई अहम फैसलों में शामिल रहे. वह नौ न्यायाधीशों की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था. वह न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्ति से संबंधित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को निरस्त किया था, हालांकि चेलमेश्वर पीठ से अलग फैसला देने वाले एकमात्र न्यायाधीश थे.

10 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने

गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के मोव्या मंडल के पेड्डा मुत्तेवी में 23 जून 1953 को जन्मे चेलमेश्वर की शुरुआती पढ़ाई कृष्णा जिले के मछलीपत्तनम के हिंदू हाईस्कूल से हुई और उन्होंने ग्रेजुएशन चेन्नई के लोयोला कॉलेज से फिजिक्स में किया. उन्होंने कानून की डिग्री 1976 में विशाखापत्तनम के आंध्र विश्वविद्यालय से ली. वह तीन मई 2007 को गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने थे और बाद में केरल हाईकोर्ट में ट्रांसफर हुआ. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर 10 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे.

 

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