5 बिंदुओं में समझिए BJP, सरकार और देश के लिए जेटली की अहमियत

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली किडनी संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं. दिल्ली के एम्स में डायलिसिस कराने के बाद वह सोमवार को अपने घर लौट आए. उनका किडनी ट्रांसप्लांट फिलहाल नहीं हो पाया है. गंभीर रूप से बीमार रहने के बावजूद जेटली ने काम करना बंद नहीं किया है. इसकी वजह शायद यही हो सकती है कि उनके कंधों पर काम की जिम्मेदारी बहुत ज्यादा है.

गत 5 अप्रैल को अपनी सेहत की जानकारी सार्वजनिक करते हुए जेटली ने एक ट्वीट किया था कि वह किडनी से संबंधि‍त कुछ समस्याओं और संक्रमण से जूझ रहे हैं. उन्होंने बताया था कि फिलहाल वह घर पर ही नियंत्रित वातावरण में रह रहे हैं.

Arun Jaitley

@arunjaitley

I am being treated for kidney related problems & certain infections that I have contracted. I am therefore currently working from controlled environment at home. The future course of my treatment would be determined by the doctors treating me.

पिछले दो दशकों में बीजेपी और सरकार में अरुण जेटली का योगदान काफी महत्वपूर्ण रहा है. बीजेपी और नरेंद्र मोदी सरकार में उनके महत्व को पांच बिंदुओं में समझा जा सकता है.

1. सरकार

सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) संभवत: सरकार का सबसे हाई-प्रोफाइल समूह है. प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं और इसमें रक्षा, वित्त, गृह और विदेश मंत्री शामिल होते हैं. नरेंद्र मोदी सरकार ने जब 26 मई, 2014 को शपथग्रहण किया तो जेटली को दो महत्वपूर्ण विभाग वित्त और रक्षा मंत्रालय दिए गए. इस तरह सीसीएस के चार मंत्रालयों में से दो उनके पास थे.

बाद में गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को दिल्ली बुलाकर रक्षा मंत्रालय सौंपा गया. इसके बाद फिर मनोहर पर्रिकर गोवा गए और कुछ समय के लिए रक्षा मंत्रालय जेटली को वापस दिया गया. बाद में निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्री बनाया गया. इससे समझा जा सकता है कि मोदी और बीजेपी सरकार के लिए जेटली का क्या महत्व है.

जेटली के वित्त मंत्री रहने के दौरान ही मोदी सरकार ने जीएसटी और नोटबंदी जैसे दो ऐतिहासिक कदम उठाए.

जेटली की अगुवाई में ही मोदी सरकार ने रेल बजट को आम बजट में मिला दिया. यही नहीं, जेटली के वित्त मंत्री रहने के दौरान ही आम बजट पेश होने की तिथि 1 फरवरी कर दी गई. पहले फरवरी के अंत में बजट पेश किया जाता था.

अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में भी जेटली का महत्वपूर्ण स्थान था. साल 2000 में जेटली को राम जेठमलानी की जगह कानून मंत्री बनाया गया था.

2. विपक्ष के नेता

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान अरुण जेटली को राज्यसभा में विपक्ष के नेता जैसा महत्वपूर्ण दायित्व मिला था. राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में वह मनमोहन सिंह सरकार पर बीजेपी के हमलों के दौरान अगुआ रहते थे. तत्कालीन वित्त और गृह मंत्री पी. चिदम्बरम से राज्यसभा में उनकी वैसी ही लंबी बहसें होती थीं, जैसे दो वकील किसी अदालत में जिरह कर रहे हों. दोनों नेता देश के जाने-माने वकील हैं.

3. मोदी के करीबी

अरुण जेटली को हमेशा ही नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है. माना जाता है कि साल 2001 में गुजरात में पहली बार नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. इसके बाद साल 2013 में मोदी के बीजेपी प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने में भी अरुण जेटली की अहम भूमिका रही. ऐसा माना जाता है कि साल 2002 के गुजरात दंगों के बाद जब नरेंद्र मोदी की स्थ‍िति थोड़ी कमजोर हुई, तो जेटली ने उन्हें मजबूती से समर्थन दिया.

बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता जैसे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज या तो मोदी को बीजेपी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने का विरोध कर रहे थे, या इस विचार के बहुत समर्थन में नहीं थे, लेकिन ऐसे मौके पर भी जेटली मजबूती से मोदी का हाथ थामे रहे. अरुण जेटली और बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मोदी की इस तरक्की के लिए जमीन तैयार की.

4. चुनावी राजनीति

अरुण जेटली हमेशा से ही बीजेपी के महत्वपूर्ण रणनीतिकार रहे हैं. बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह के राष्ट्रीय फलक पर उभरने से काफी पहले से ही जेटली लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी की रणनीति बनाने के लिहाज से एक प्रमुख खिलाड़ी रहे हैं.

संभवत: बीजेपी के किसी अन्य नेता ने सीधे इतने राज्य के विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी नहीं देखी है, जितनी कि अरुण जेटली ने. बीजेपी के महासचिव या एक मंत्री के रूप में उन्होंने करीब एक दर्जन राज्य विधानसभा चुनावों के प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी संभाली है और पार्टी को जीत दिलाई है.

वह साल 2002 से ही गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, असम और पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्यों के प्रभारी रहे हैं.

5. वकील

एक जाने-माने वकील के रूप में भी अरुण जेटली की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. उन्होंने विभिन्न अदालतों में अपनी पार्टी बीजेपी और पार्टी के कई नेताओं का भी बचाव किया है. अरुण जेटली से जुड़े करीबी सूत्रों ने इंडिया टुडे-आजतक को बताया कि उन्होंने गुजरात दंगों के मामलों में कई अदालतों में मोदी का भी बचाव किया है. विवादास्पद सोहराबुद्दीन और इशरत जहां एनकाउंटर मामले में उन्होंने अमित शाह का भी बचाव किया है. जेटली या तो ऐसे मामलों में खुद कोर्ट में पैरवी के लिए गए या उन्होंने पैरवी कर रहे वकीलों का मार्गदर्शन किया.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button