उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर साधा निशाना, कहा- ‘2014 में जनता से ठगी हुई’

नई दिल्ली। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के इंटरव्यू का दूसरा भाग प्रकाशित किया है. दूसरे भाग के इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने साफ कहा है कि शिवसेना रिजनल पार्टी है लेकिन यह ओरिजिनल है. उन्होंने यह भी कहा है कि शिवसेना को शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने दूसरों का दल तोड़कर स्थापित नहीं किया है. यह शिवसेना के रूप में स्थापित हुई, शिवसेना के रूप में है और यह शिवसेना के रूप में ही रहेगी. बता दें कि पार्टी के मुखपत्र में प्रकाशित उद्धव का इंटरव्यू पार्टी नेता संजय राउत ने लिया है. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 के जनमत का रुझान जनता की गलती नहीं बल्कि जनता से ठगी थी.
पीएम मोदी पर साधा निशाना
इससे पहले 22 जुलाई को सामना में प्रकाशित उद्धव ठाकरे के इंटरव्यू के पहले भाग में उन्होंने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि मैं पीएम मोदी के सपनों के लिए नहीं आम जनता के सपनों के लिए लड़ रहा हूं. उन्होंने यह भी कहा था कि वह किसी के मित्र नहीं हैं, बल्कि वह भारत की जनता के मित्र हैं. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए यह भी कहा था कि शिकार तो मैं ही करुंगा, लेकिन ऐसा करने के लिए मुझे किसी के कंधे की जरूरत नहीं होगी और ना ही बंदूक की जरूरत होगी.
जनता से ठगी बताया
इंटरव्यू के दूसरे भाग में उन्होंने कहा कि 2014 के जनमत का रुझान जनता की गलती नहीं बल्कि जनता से ठगी थी. उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में पैसे का जोर बढ़ गया है. यह पैसा कहां से आता है, यह पता चल गया तो अन्य राजनीतिक दलों को भी लाभ होगा. उन्होंने किसानों के मामले में पीएम मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पीएम मोदी के गुजरात में पांच हजार किसानों ने इच्छामृत्यु की मांग की है. क्या यही तुम्हारे विकास का मॉडल है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान गुजरात की ओर ना होकर विदेश की ओर है.
जनता को फंसाया गया था
2014 में जनता का मत, जनता की भूल थी. आपको क्या लगता है. इस पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि नहीं मैं ऐसा नहीं कहता, जनता को फंसाया गया था. इसलिए मैं कहता हूं कि समझो अगर उस समय हम सत्ता में सहभागी नहीं होते जिस प्रकार से बीजेपी आज राज्यों को जीतती जा रही है, किसी भी प्रकार से, जैसे त्रिपुरा में कांग्रेस, तृणमूल को जोड़कर राज्य संभाला, वैसे ही महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी आदि को तोड़कर अपना राज स्थापित किया होता तब हम सिर्फ चिल्लाते बैठते रास्ते पर. उसकी बजाय मैंने अपने लोगों को काम करने का अनुभव लेने दिया.
यह लोकशाही नहीं, थैलीशाही है…
चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल व उनकी गड़बडि़यों पर उठने वाले विरोध और राजनीति में पैसों के प्रयोग पर भी उद्धव ठाकरे ने निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ‘शिवसेना प्रमुख कहते थे कि ऐसी लोकशाही मुझे स्वीकार नहीं. ये वही लोकशाही है. अब ईवीएम के बारे में जो संदेह व्यक्त किया जाता है.. ईवीएम मैनेज होता है क्या? होता होगा या नहीं, लेकिन मैंने हाल ही में स्नातक चुनावों के बारे में बताया…वहां बैलेट पेपर था. वहां आपको पता चलता था कि ठप्पा या निशान कहां किया जाता है और अब जो ये आरटीआई…उसमें तुम्हें दूसरों के बारे में जानकारी मिलती है. लेकिन आपको खुद का वोट कहां गया, ये आप आखिर तक नहीं जान पाते’. उन्होंने कहा कि ‘ईवीएम पर मतदान करते समय बटन दबाने के बाद आवाज आती है और लाइट जलती है लेकिन अंदर वोट किसे गया, कैसे पता चलेगा. यह नहीं पता चलता जो कि हमें बैलेट पेपर में पता चलता था. इसलिए यह जो पैसों से खरीदी हुई लोकशाही है ना, वो लोकशाही नहीं है…थैलीशाही है’. उन्होंने कहा कि यह थैलीशाही कांग्रेस के शासन में भी थी, उसी का विरोध करके तो हम सत्ता में आए हैं ना.
दूसरे की चाटूगीरी करने के बजाय खुद बॉस बनना पसंद करुंगा
संजय राउत की ओर से यह पूछे जाने पर कि क्या पदवीधर (डिग्रीधारक) हैं, उद्धवे ठाकरे ने अपने अंगूठे पर लगा स्याही का निशाना दिखाते हुए कहा, यह देखो. उन्होंने कहा कि यह मेरे पास प्रमाण है लेकिन ऐसा आपको क्यों लगा कि मैं स्नातक नहीं हूं. मैं अच्छी साफ-सुथरी राजनीति करता हूं इसलिए? मित्रों और समर्थकों की ओर से उन्हें दी जा रही उपाधियों पर सवाल पूछने पर उद्धव ठाकरे ने कहा ‘मेरा विचार है कि बेवजह दूसरे बॉस की चाटूगीरी करने के बजाय खुद बॉस बनना मुझे हमेशा पसंद आएगा. जो दूसरों को बॉस मानकर उसकी जो कुछ भी चाटूगीरी करते हैं, उन्हें मैं भी बॉस लगता होऊंगा तो अच्छा है.
शिवसेना ने अकेले सत्ता में रहने का अनुभव नहीं लिया
महाराष्ट्र का भाग्य बदलने की ताकत दूसरे सत्ताधीशों में हो सकती है क्या? इस सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि ‘क्यों नहीं? दूसरा कौन करेगा? लेकिन पहले उसे एक अच्छा सत्ताधीश होना चाहिए. तब तो भाग्य बदलेगा ना’. ऐसा सत्ताधीश शिवसेना को कब मिलेगा इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जब जनता ने तय कर लिया, तब आएगा. और मुझे विश्वास है कि अब तक जनता ने सभी पार्टियों का या अन्य दशावतारों का अनुभव लिया है. शिवसेना ने अकेले सत्ता में रहने का अनुभव नहीं लिया है और इसीलिए मैंने कहा ना कि मैंने अपने लोगों को सत्ता का अनुभव दिलवाया है.
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