देव उठनी एकादशी आज, इस राशि के लोग जरूर करें ये उपाय, मिलेगा लाभ
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है। देवउठनी एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी व देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं।
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है। देवउठनी एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी व देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस बार देव उठनी एकादशी कल यानी 25 नवंबर को मनाई जाएगी। इस एकादशी पर तुलसी विवाह का सबसे ज्यादा महत्व होता है। देवउठनी एकादशी को छोटी दिवाली के रूप मे मनाया जाता है। इस दिन विधि विधान के साथ तुलसी विवाह का पूजन किया जाता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस बार देवउठनी एकादशी बुधवार, 25 नवंबर को है। ज्योतिषविदों के मुताबिक, इस बार देव उठनी के दिन राशिनुसार कुछ विशेष उपाय करने से बड़ा लाभ मिल सकता है। ये मामूली से उपाय आपके जीवन के बड़े संकटों को समाप्त कर सकते हैं।
मेष- श्री हरि का भजन कीर्तन करें. गुड़ का भोग लगाएं और खाएं।
वृष- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. भगवान को पंचामृत का भोग लगाएं, ग्रहण करें।
मिथुन- श्री हरि को मिठाई और तुलसी दल अर्पित करें। तुलसी दल का सेवन करें।
कर्क- भगवान का भजन कीर्तन करें. भगवान को सफेद चन्दन अर्पित करें, स्वयं भी लगाएं।
सिंह- भगवान को शुद्ध जल अर्पित करें, पूरे घर में जल का छिड़काव करें।
कन्या- घर के मुख्य द्वार पर वंदनवार लगाएं. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, शंख ध्वनि करें।
तुला- भगवान को पंचामृत अर्पित करें. जितना सम्भव हो हरि कीर्तन करें।
वृश्चिक- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. भोजन अर्पित करें, प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
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धनु- नारायण कवच का पाठ करें। साथ ही भगवान को पीले वस्त्र अर्पित करें।
मकर- श्री हरि के मन्त्रों का जप करें। भगवान को फलों का भोग लगाएं।
कुम्भ- भगवान के लिए घी का दीपक जलाएं, खूब भजन कीर्तन करें।
मीन- भगवद्गीता का पाठ करें। भगवान को ढेर सारे फूल अर्पित करें।
आज से शुरू होते हैं सरे मांगलिक कार्य
आज प्रबोधिनी एकादशी है। आज 4 महीने के शयन के बाद श्री हरि विष्णु निद्रा का परित्याग करेंगे।हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के प्रबोधनोत्सव के बाद ही सारे शुभ कार्य प्रारंभ होते है ।अतः आज आप सब अपने आराध्य के इस पावन पवित्र पर्व पर भगवान का षोडशोपचार पूजन कर खुशी मनाएं।
साल केवल विवाह सात मुहूर्त है
आज देवउठनी एकादशी के दिन बिना मुहूर्त के भी विवाह किया जा सकता है। इस दिन विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है। इस साल केवल विवाह सात मुहूर्त है। 11 दिसंबर से अगले चार महीने तक विवाह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहेंगे। इस तरह अगले वर्ष 22 अप्रैल को पहला विवाह मुहूर्त रहेगा।
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