परि’वॉर’: रामगोपाल भी मैदान में, कहा-जहां अखिलेश वहां विजय
लखनऊ। समाजवादी पार्टी में परि’वॉर’ थमने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की सुलह की कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव हथियार डालने को तैयार नहीं दिख रहे। सीएम ने अपने वफादार मंत्रियों और विधायकों की बैठक बुलाई है। अटकलें हैं कि वे पार्टी से अलग होने का फैसला भी ले सकते हैं। वहीं, सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने एक चिट्ठी लिखकर भतीजे अखिलेश का पुरजोर समर्थन किया है। रामगोपाल ने कार्यकर्ताओं के नाम लिखी चिट्ठी में कहा है कि वे अखिलेश का समर्थन करें।
रामगोपाल ने लिखा,’बहकावे में आने की जरूरत नहीं है। रथयात्रा विरोधियों के गले की फांस है। इस फांस को और शार्प करना है। अखिलेश के विरोध करने वाले विधानसभा का मुंह नहीं देख पाएंगे। न डरें, न विचलित हों, जहां अखिलेश वहां विजय।’ रामगोपाल ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि वह चाहते हैं कि प्रदेश में अखिलेश के नेतृत्व में सरकार बने। लेकिन कुछ लोग चाहते हैं कि अखिलेश हर हालत में हारें।
रामगोपाल की कार्यकर्ताओं को लिखी चिट्ठी
Pradesh mein jo bhi rajneetik hulchul ho rahi hai, wo mai dekh raha hoon: Uttar Pradesh Governor Ram Naik pic.twitter.com/Q994jhjM3E
— ANI UP (@ANINewsUP) October 23, 2016
Mumbai: Samajwadi Party general Secretary Ram Gopal Yadav evades media when questioned about his letter to party workers. pic.twitter.com/Q3asVqavCv
— ANI (@ANI_news) October 23, 2016
अगले 48 घंटे अहम
उधर, समाजवादी पार्टी में मचे कोहराम को थामने के मकसद से मुलायम ने सोमवार को पार्टी विधायकों और एमएलसी की बैठक बुलाई है। इससे पहले ही यूपी के सीएम अखिलेश ने रविवार को ही विधायक दल को बातचीत के लिए बुलाया है। इस लिहाज से एसपी में मची अंतर्कलह को लेकर अगले 48 घंटे निर्णायक साबित हो सकते हैं। यही नहीं इन दो दिनों में विधानसभा चुनावों से पहले सूबे की राजनीतिक तस्वीर भी बदल सकती है। इससे पहले शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से पिता-पुत्र के बीच मतभेदों की खाई पाटने की सारी कोशिशें बेकार साबित हुईं। लेकिन, अखिलेश के भरोसेमंद कहे जाने वाले उदयवीर सिंह के पार्टी से निष्कासन ने विवाद को और सतह पर ला दिया है। यही नहीं पिछले महीने शिवपाल यादव द्वारा अखिलेश के सिपहसालारों को युवा विंग से हटाए जाने के बाद उनके स्थान पर नए नेताओं को नियुक्त कर दिया गया है।
सीएम आहत
अखिलेश के करीबियों को हटाने के बाद उनके स्थान पर नए लोगों की नियुक्ति से साफ है कि अब इन नेताओं की वापसी की राह और कठिन हो गई है। इस बीच अखिलेश यह महसूस कर रहे हैं कि उन्हें अकेला करने का प्रयास किया जा रहा है। उनके भरोसेमंदों पर गाज गिराई जा रही है और विकास के अजेंडे को चोट पहुंचाई जा रही है। सूत्रों ने संकेत दिया कि शनिवार को उदयवीर के पार्टी से निष्कासन के बाद वह एक बार फिर आहत महसूस कर रहे हैं।
सीएम की मीटिंग में चाचा को बुलावा नहीं
रविवार की मीटिंग को लेकर सीएम ऑफिस की ओर से कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई है। लेकिन कई विधायकों ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें बैठक की सूचना मिली है। मालूम हो कि अखिलेश के चाचा और एसपी के यूपी प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव खुद भी विधायक हैं, लेकिन उन्हें इस मीटिंग के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। इस बीच दोनों खेमे इस बात को सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि रविवार और सोमवार को होने वाली उनकी मीटिंगों में विधायकों की ज्यादा से ज्यादा संख्या रहे। खबरें ये भी हैं कि शिवपाल खेमा इस बैठक का बहिष्कार कर सकता है।
शनिवार को क्या हुआ?
शनिवार को पार्टी के चार सीनियर नेताओं राज्यसभा सांसद बेनी प्रसाद वर्मा, नरेश अग्रवाल, स्पीकर माता प्रसाद पांडेय और पार्टी उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने मुलायम सिंह से मुलाकात कर उन्हें मनाने की कोशिश की। लेकिन, एसपी सुप्रीमो ने अपने तेवर नरम करने से साफ इनकार कर दिया। इन नेताओं ने शाम को अखिलेश से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन उनकी ओर से भी बर्फ नहीं पिघली।
अखिलेश ने बनाया प्लान
इसके उलट सीएम ने पार्टी पदों से हटाए गए युवा नेताओं की मीटिंग बुलाई और 3 नवंबर से शुरू होने वाली अपनी विकास रथ यात्रा को सपॉर्ट करने की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक अखिलेश की ओर से बुलाई गई विधायकों की मीटिंग में यदि संख्या पर्याप्त रहती है तो यह संकेत जाएगा कि फिलहाल वह ही सूबे में पार्टी को वोट दिलाने की सबसे ज्यादा क्षमता रखते हैं।
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :
कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:
हमें ईमेल करें : [email protected]