अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ और यूपी का सीएम बनने की पूरी कहानी
लखनऊ। करीब साल भर पहले उत्तर प्रदेश में जब विधानसभा चुनाव की तैयारी के बारे में राजनीतिक दलों ने सोचना शुरू ही किया था, योगी आदित्यनाथ के समर्थकों ने ‘केंद्र में मोदी, यूपी में योगी’ और ..अबकी बार योगी सरकार का नारा दे दिया था। साल भर की चुनावी तैयारी के बीच योगी आदित्यनाथ का नाम कई बार ऊपर-नीचे होता रहा, एक बार तो लगा था कि सीएम की रेस में योगी काफी पीछे छूट गए लेकिन योगी ने कभी हार नहीं मानी। योगी आदित्यनाथ की पहचान बीजेपी के फायरब्रांड नेता के रूप में रही है। विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा रैलियां करने वाले योगी पूर्वांचल के बड़े नेता माने जाते हैं, पूर्वांचल की कम से कम 60 सीटों पर उनकी जबरदस्त पकड़ है, इसीलिए बीजेपी उनकी अनदेखी कर भी नहीं सकती थी।
यूपी के नए सीएम योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के गढ़वाल में जो कि तब उत्तर प्रदेश का हिस्सा था में हुआ था। योगी आदित्यनाथ का वास्तविक नाम अजय सिंह बिष्ट है। योगी आदित्यनाथ गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी की डिग्री हासिल कर चुके हैं। 22 साल की उम्र में ही उन्होंने सांसारिक जीवन त्याग दिया और संन्यासी बन गए और उन्हें आदित्यनाथ नाम दिया गया। वो गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए। महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, जिसके बाद वे राजनीति में आए। योगी आदित्यनाथ के नाम सबसे कम उम्र (26 साल) में सांसद बनने का रिकॉर्ड है। उन्होंने पहली बार 1998 में लोकसभा का चुनाव जीता था। इसके बाद आदित्यनाथ 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी लगातार लोकसभा का चुनाव जीतते रहे।
राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली, उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। उन्होंने कई बार विवादित बयान भी दिए, लेकिन दूसरी तरफ उनका राजनीतिक कद बढ़ता चला गया। योगी धर्मांतरण के खिलाफ और घर वापसी के लिए काफी चर्चा में रहे। 2005 में योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर 1800 ईसाइयों का शुद्धीकरण कर हिन्दू धर्म में शामिल कराया। ईसाइयों के इस शुद्धीकरण का काम उत्तर प्रदेश के एटा जिले में किया गया। 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया, गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं।
गोरखपुर क्षेत्र में योगी आदित्यनाथ का सिक्का कैसे चलते है और उनकी कही बातों को उनके समर्थक कानून के रूप में पालन कैसे करवाते हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ के कहने के चलते ही गोरखनाथ मंदिर में होली और दीपावली जैसे बड़े त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं। साल 2014 में अपने गुरु और गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ के प्राण त्याग के बाद वो गोरखनाथ मंदिर के महंत यानी पीठाधीश्वर चुन लिए गए। महंत बन जाने के बाद योगी के स्वभाव में और गंभीरता आई। उनके उग्र भाषणों में कमी आई और वो अब संतुलित बयान देने लगे हैं। योगी खुल कर कहने लगे हैं कि उन्होंने कभी भी मुसलमानों का विरोध नहीं किया और वो सबका साथ, सबका विकास की धारणा में ही यकीन रखते हैं। अब जब बीजेपी ने उन्हें सीएम के लिए चुन लिया है तो उनसे यही उम्मीद है कि वो सबका साथ-सबका विकास के साथ ही आगे बढ़ेंगे।
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