बीजेपी और सपा की सियासी दुश्मनी में क़रीब 70 हज़ार लोगों की नौकरी खटाई में
लखनऊ। बीजेपी और समाजवादी पार्टी की सियासी दुश्मनी में यूपी में क़रीब 70 हज़ार लोगों की नौकरी खटाई में पड़ गई है. इन लोगों ने अलग-अलग नौकरियों के लिए सारे इम्तिहान पास कर लिए… फिर इन्हें पोस्टिंग मिलनी थी, लेकिन नई सरकार ने इसकी जांच करने के लिए पूरी भर्तियों पर रोक लगा दी. इन्हें पता नहीं कि जिस नौकरी में इनका सिलेक्शन हुआ था वो इन्हें मिलेगी भी या नहीं. इनमें से कई अब धरने-प्रदर्शन पर उतर आए हैं… मीडिया और सरकार से हताश हो रहे हैं कि कोई उनकी सुन नहीं रहा है.
लखनऊ में गोमती नदी के किनारे विरोध के खेमे हैं.. एक तरफ दरिया तो दूसरी तरफ उनकी तकलीफ का समंदर जो उसके किनारे इस बारिश में भी जमे हैं, ताकि उनकी आवाज हुकूमत तक पहुंच जाए.. अखिलेश सरकार में इन्होंने नौकरी के लिए लिखित परीक्षा, फिजिकल टेस्ट, ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू वगैरह पास किया. बस अपॉइंटमेंट लैटर मिलना था, लेकिन नई सरकार आ गई, जिसने भर्ती रोक दी. जिन भर्तियों को रोका गया, उनमें फिजिकल एजुकेशन टीचर की 32,000.. प्राइमरी शिक्षक की 12,460.. उर्दू टीचर की 4,000.. यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन की 4,000.. सबोर्डिनेट सर्विस सिलेक्शन कमीशन की 11,500… दरोगा की 4,000 और होम गार्ड की 138 नौकरियां शामिल हैं.
बीपीएड संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप यादव कहते हैं कि ‘हमारे लिए 32,000 पद सृजित कर शासनादेश तक जारी हो गया. हम लोगों ने फॉर्म भर दिया और जैसे ही सत्ता परिवर्तन हुआ, माननीय योगी जी की सरकार बनी और तब से इस भर्ती प्रकिया पर रोक लगा दी गई’.
दरिया किनारे लगे तंबू बारिश के पानी से गिर चुके हैं. तमाम तंबू उखड़ गए हैं.. कुछ अपने भीगे टैंट सुखाने की जुगत में हैं, तो कुछ ने पास के फ्लाईओवर के नीचे पनाह ली है. पिछली हुकूमत में भी इन्हें नौकरी मांगने पर लाठियां मिलती थीं. इस सरकार में भी लाठियां पड़ी हैं. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने करीब 11,500 नौकरियां निकालीं. करीब 4,000 लोग लिखित परीक्षा में पास हुए, कुछ का इंटरव्यू भी हुआ, लेकिन भर्ती पर रोक लग गई.
जूनियर असिस्टेंट पद के उम्मीदवार सूरज पांडे का कहना है कि ‘हम सभी विद्यार्थियों का भविष्य अधर में डूबा हुआ है. समझ में नहीं आ रहा कि सरकार हमें जॉब देना चाहती है या नहीं देना चाहती. हम लोग इसी आश्वासन पर अभी भी टिके हुए हैं कि सरकार हमें एक अच्छी सी नौकरी उपलब्ध कराएगी, लेकिन समयसीमा बहुत लंबी खींचती जा रही है. क्या हम बेरोजगारों की जिंदगी ऐसी ही खिंचती हुई चली जाएगी’.
वहीं, जूनियर असिस्टेंट पद के उम्मीदवार अमित यादव ने कहा कि ‘हमारे परिवार में सब उम्मीद लगा कर बैठे हैं. सभी के घरों में लोग आस लगा के बैठे हैं. हम बेरोजगार छात्र हैं. अगर हममें से कोई एक आगे नहीं आएगा तो हम अपनी मांगों को सरकार तक कैसे पहुंचाएंगे’.
दरिया किनारे सन्नाटे में लगे अपने खेमों में ये छात्र रहते हैं. यहां से इनकी आवाज़ हुकूमत तक मीडिया के जरिये ही पहुंचती है. BTC और TET प्रशिक्षित लोग भी यहां नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यह कहते हैं कि बेसिक शिक्षा मंत्री ने इनसे कहा कि नौकरी नहीं मिल सकती, क्योंकि 65,000 शिक्षक ज्यादा हैं. इन्हें RTI से पता चला कि डेढ़ लाख शिक्षकों की कमी है.
शिक्षक पद के उम्मीदवार विकास वर्मा ने कहा कि ‘हम लोग 75,000 भर्तियों की मांग कर रहे हैं, लेकिन 90 दिन से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक न कोई आश्वासन मिला है, न ही इन्होंने अपना कोई वादा पूरा किया है’.
नौकरी मांगने वालों की इस भीड़ में सिराज अपनी रोजी चला लेते हैं. यहां ठेले पर पानी बेचते हैं. कुछ कोल्ड ड्रिंक वगैरह भी बेच लेते हैं. इनके साथ रहते-रहते इन्हें भी सबकी तकलीफें पता चल गई हैं. ये खुद भी इनकी नौकरी के लिए दुआएं करते हैं. सिराज कहते हैं, ‘इन लोगों के साथ इंसाफ होना चाहिए. इतने दिनों से भूखे-प्यासे बारिश में पड़े रहते हैं. लेकिन अगर इन लोगों को न्याय मिल जाएगा और ये यहां से चले जाएंगे तो आपका काम कैसे चलेगा, इस सवाल के जवाब में सिराज का कहना है कि ‘यहां पर बहुत सारे लोग अपना दुख-दर्द लेकर आते रहते हैं. तकलीफ हम लोगों को भी होती है कि बेचारे अपना घर छोड़कर यहां आते हैं. इतने-इतने दिन पड़े रहते हैं. सरकार इन लोगों की जल्दी सुनवाई करे.. इन लोगों का काम करे. हमको तो कोई और भी काम मिल जाएगा.. कर लेंगे’.
नई सरकार में योग की बात आगे बढ़ी.. पीएम मोदी खुद उसमें शामिल हुए तो बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन की डिग्री वाले डेढ़ लाख लोगों की उम्मीद जागी कि उनकी नौकरी की मांग बढ़ेगी, लेकनि यहां तो जिन 32,000 लोगों का इम्तिहान हुआ, उनकी ही नौकरी खटाई में पड़ गई.
बीपीएड संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप यादव का कहना है कि ‘एक तरफ तो माननीय योगी जी और माननीय प्रधानमंत्री जी योग को बढ़ावा देने के लिए 21 जून को योग दिवस मनाते हैं.. जमीन पर आकर खुद बैठते हैं.. जनता को ये दिखाने का प्रयास करते हैं कि हम योग को बढ़ावा देते हैं, लेकिन जब तक शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होगी, जो गरीब परिवारों के बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं, उनको योग कैसे सिखाया जा सकता है’.
नई सरकार का इल्जाम है कि अखिलेश सरकार के दौरान भर्तियों में बहुत बड़े पैमाने पर गड़बडि़यां हुई हैं. तमाम भर्तियों पर अदालतों ने रोक लगाई थी. यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन को भी भर्तियों में घोटाले के इल्जाम में अदालत ने हटाया. ऐसे में इन भर्तियों में पारदर्शिता और ईमानदारी की जांच की जा रही है.
भाजपा के मीडिया इंचार्ज हरीशचंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि, ‘जिस तरह का भ्रष्टाचार समाजवादी पार्टी की सरकार में नियुक्तियों को लेकर था, वह आम था. योग्य बच्चे कुंठित हो रहे थे. योगी जी की सरकार का एजेंडा बिल्कुल साफ है कि हम एक पारदर्शी व्यवस्था दें. उस पारदर्शी व्यवस्था में ताकि निष्पक्ष नियुक्तियां हो सकें. जो योग्य अभ्यर्थी हैं, उनको स्थान मिल सके’.
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